धर्म

कान्हा रे – Kanha Re Lyrics – Krishna Bhajan

पढ़ें “कान्हा रे” लिरिक्स

यशोदा जी का बड़ा दुलारा नटखट कान्हा रे
मेरे मन मन्दिर में तू ही बड़ा सुहाना रे – 2

गोकुल तुम्हरा गाँव है भगवन हमरे भी घर में पधारो

जीवन तुमपे वार दिया है हमरी भी नईया सांवरो
हमरी भी नईया सांवरो…..

ओह कान्हा रे…..ओह कान्हा रे मेरी नईया तू ही पार लगाना रे.- 2

पाऊं तुम्हे मै कण कण में
सपनों के सारे दर्पण में
नाम तेरा ही पहला साँवरे
जीवन यह तुझपे वारू में
दिल से तुम्हे पुकारूँ में
नाम तेरा ही पहला साँवरे – 2

मेरे सारे गीतों में सुख दुःख वाली रीतों में
मेरे मन के मंदिर में गीतों के सरगम में. – 2

नाम तेरा ही पहला साँवरे – 2

ओह कान्हा रे…..ओह कान्हा रे मेरी नईया तू ही पार लगाना रे.- 2

पाऊं तुम्हे मै कण कण में
सपनों के सारे दर्पण में
नाम तेरा ही पहला साँवरे
जीवन यह तुझपे वारू में
दिल से तुम्हे पुकारूँ में
नाम तेरा ही पहला साँवरे – 2

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह कान्हा रे भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Kanha Re Lyrics

yaśodā jī kā baड़ā dulārā naṭakhaṭa kānhā re
mere mana mandira meṃ tū hī baड़ā suhānā re – 2

gokula tumharā gā~va hai bhagavana hamare bhī ghara meṃ padhāro

jīvana tumape vāra diyā hai hamarī bhī naīyā sāṃvaro
hamarī bhī naīyā sāṃvaro…..

oha kānhā re…..oha kānhā re merī naīyā tū hī pāra lagānā re.- 2

pāūṃ tumhe mai kaṇa kaṇa meṃ
sapanoṃ ke sāre darpaṇa meṃ
nāma terā hī pahalā sā~vare
jīvana yaha tujhape vārū meṃ
dila se tumhe pukārū~ meṃ
nāma terā hī pahalā sā~vare – 2

mere sāre gītoṃ meṃ sukha duḥkha vālī rītoṃ meṃ
mere mana ke maṃdira meṃ gītoṃ ke saragama meṃ. – 2

nāma terā hī pahalā sā~vare – 2

oha kānhā re…..oha kānhā re merī naīyā tū hī pāra lagānā re.- 2

pāūṃ tumhe mai kaṇa kaṇa meṃ
sapanoṃ ke sāre darpaṇa meṃ
nāma terā hī pahalā sā~vare
jīvana yaha tujhape vārū meṃ
dila se tumhe pukārū~ meṃ
nāma terā hī pahalā sā~vare – 2

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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