स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 1
“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 1” में पढ़ें स्वामी विवेकानंद जी के 70 पत्र हिंदी में। इन पत्रों में स्वामीजी के ओजस्वी विचारों और गहन चिंतन का पता लगता है। उनकी हर चिट्ठी पठनीय है। पढ़ें और मनन करें–
- श्री प्रमदादास मित्र (12 अगस्त, 1888)
- श्री प्रमदादास मित्र (20 अगस्त, 1888)
- श्री प्रमदादास मित्र (19 नवंबर, 1888)
- श्री प्रमदादास मित्र (28 नवंबर, 1888)
- श्री प्रमदादास मित्र (4 फरवरी, 1889)
- श्री महेन्द्रनाथ गुप्त (7 फरवरी, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (21 फरवरी, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (21 मार्च, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (26 जून, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (4 जुलाई, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (14 जुलाई, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (7 अगस्त, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (17 अगस्त, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (2 सितम्बर, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (3 दिसम्बर, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (13 दिसम्बर, 1889)
- श्री बलराम बसु (24 दिसम्बर, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (26 दिसम्बर, 1889)
- श्री बलराम बसु (30 दिसम्बर, 1889)
- श्री प्रमदादास मित्र (31 दिसम्बर, 1889)
- श्री बलराम बसु (5 जनवरी, 1890)
- श्री यज्ञेश्वर भट्टाचार्य (5 जनवरी, 1890)
- श्री कृष्णमयी तथा इन्दु (5 जनवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (24 जनवरी, 1890)
- श्री बलराम बसु (30 जनवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (31 जनवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (4 फरवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (7 फरवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (13 फरवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (14 फरवरी, 1890)
- श्री बलराम बसु (14 फरवरी, 1890)
- श्री स्वामी सदानन्द (14 फरवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (19 फरवरी, 1890)
- श्री स्वामी अखण्डानन्द (फरवरी, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र (25 फरवरी, 1890)
- श्री स्वामी अखण्डानन्द को लिखित (मार्च, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (3 मार्च, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (8 मार्च, 1890)
- श्री बलराम बसु को लिखित (12 मार्च, 1890)
- श्री बलराम बसु को लिखित (15 मार्च, 1890)
- श्री अतुलचन्द्र घोष को लिखित (15 मार्च, 1890)
- स्वामी अखण्डानन्द को लिखित (मार्च, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (31 मार्च, 1890)
- स्वामी अभेदानन्द को लिखित (2 अप्रैल, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (2 अप्रैल, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (10 मई, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (26 मई, 1890)
- श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (4 जून, 1890)
- श्री स्वामी सारदानन्द को लिखित (6 जुलाई, 1890)
- श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (14 अप्रैल, 1891)
- श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (30 अप्रैल, 1891)
- श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (अप्रैल, 1891)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (26 अप्रैल 1892)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (15 जून 1892)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (22 अगस्त, 1892)
- पण्डित शंकरलाल को लिखित (20 सितम्बर, 1892)
- श्री हरिपद मित्र को लिखित (1893)
- श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (21 फरवरी, 1893)
- डॉ. नंजुन्दा राव को लिखित (27 अप्रैल, 1893)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (28 अप्रैल, 1893)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (मई, 1893)
- श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (22 मई, 1893)
- घोर गार्हस्थ्य शोक से पीड़ित एक मद्रासी मित्र श्री डी. आर. बालाजी राव को लिखित (23 मई, 1893)
- श्रीमती इन्दुमती मित्र को लिखित (24 मई, 1893)
- श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (10 जुलाई, 1893)
- श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (20 अगस्त, 1893)
- प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट को लिखित (30 अगस्त, 1893)
- प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट को लिखित (4 सितम्बर, 1893)
- प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट को लिखित (2 अक्टूबर, 1893)
“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 1” में स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित अक्टूबर 1893 तक की चिट्ठियाँ हैं। स्वामी जी का चिंतन और व्यक्तित्व बहुआयामी था। उनकी हर चिट्ठी किसी-न-किसी आयाम की गहराई से पड़ताल कर उसे उजागर करती है।
इससे आगे के पत्र पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 2