स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री एफ. लेगेट को लिखित (7 जुलाई, 1895)

(स्वामी विवेकानंद का श्री एफ. लेगेट को लिखा गया पत्र)

द्वारा कुमारी डचर,
सहस्रद्वीपोद्यान, न्यूयार्क,
७ जुलाई, १८९५

प्रिय मित्र,

मुझे प्रतीत होता है कि आप न्यूयार्क का बहुत ही आनन्द ले रहे हैं, अतः पत्र से अपने स्वप्न-भंग के लिए मुझे क्षमा करें।

कुमारी मैक्लॉड और श्रीमती स्टारगीज के दो सुन्दर पत्र प्राप्त हुए। उन्होंने दो सुन्दर भोजपत्र की पुस्तकें भी भेजीं। मैंने उन्हें संस्कृत के मूल तथा अनुवादों से भर दिया हैं। और वे आज की डाक से जा रही हैं।

श्रीमती डोरा१ ‘महात्मीय’ दिशा में कुछ चमत्कारिक प्रदर्शन कर रही हैं, ऐसा मैंने सुना है। पर्सी से प्रस्थान के बाद अप्रत्याशित स्थानों से लंदन जाने के लिए मुझे निमंत्रण मिले हैं और मैं इसके लिए अत्यन्त आशान्वित हूँ।

मैं लन्दन में कार्य करने के इस अवसर को खोना नहीं चाहता। और इसलिए मैं जानता हूँ कि भविष्य-कार्य के लिए आपका निमंत्रण लन्दन के निमंत्रण के साथ मिलकर एक ईश्वरीय आह्वान हुआ है। मैं पूरे महीने यहीं रहूँगा और केवल अगस्त में कुछ दिनों के लिए शिकागो अवश्य जाऊँगा।

पिता लेगेट, आप खीझें नहीं, जब हम निश्चित रूप से मैत्रीपूर्ण हैं, प्रत्याशा के लिए यही उचित अवसर है। प्रभु सदा-सर्वदा आपका कल्याण करे, और चूँकि आप इसके योग्य पात्र हैं, इसलिए प्रभु सदैव आपको सुख प्रदान करे।

सदा प्रेम और प्रीतिबद्ध,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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