स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री फांसिस लेगेट को लिखित (13 दिसम्बर, 1896)

(स्वामी विवेकानंद का श्री फांसिस लेगेट को लिखा गया पत्र)

१३ दिसम्बर, १८९६

प्रिय फ्रैंकिनसेंस,

तो गोपाल1 देवी शरीर धारण कर पैदा हुए! ऐसा होना ठीक ही था – समय और स्थान के विचार से। आजीवन उस पर प्रभु की कृपा बनी रहे! उसकी प्राप्ति के लिए तीव्र इच्छा थी और प्रार्थनाएँ भी की गयी थीं और वह तुम तथा तुम्हारी पत्नी के लिए जीवन में वरदान स्वरूप आयी है। मुझे इसमें रंच भी सन्देह नहीं है।

मेरी इच्छा थी कि चाहे यह रहस्य ही पूरा करने के ख्याल से कि ‘पाश्चात्य शिशु के लिए प्राच्य मुनि उपहार ला रहे हैं,’ मैं इस समय अमेरिका आ जाता। किन्तु सब प्रार्थनाओं और आशीर्वादों से भरपूर मेरा हृदय वहीं पर है और शरीर की अपेक्षा मन अधिक शक्तिशाली होता है।

मैं इस महीने की १६वीं तारीख को रवाना हो रहा हूँ और नेपुल्स में स्टीमर पर सवार हो जाऊँगा। अल्बर्टा से रोम में अवश्य ही मिलूँगा।

पावन परिवार को बहुत बहुत प्यार।

सदा प्रभुपदाश्रित
विवेकानन्द


  1. गोपाल का प्रयोग श्रीकृष्ण के शिशु रूप के लिए किया जाता है : यहाँ पुत्र-जन्म की प्रतीक्षा में पुत्री के जन्म का संकेत किया गया है।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!