प्रदोष व्रत कथा – त्रयोदशी व्रत की कथा
प्रदोष व्रत कथा को जो भी व्यक्ति नियम-पूर्वक पढ़ता है, वह सदैव सुख का भागी बनता है। कहते हैं कि इस उपवास में सम्पूर्ण पापों का नाश करने की शक्ति सन्निहित है। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने वाले की सभी कामनाएँ कैलाशपति शंकर द्वारा पूर्ण की जाती हैं।
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इसे के करने से विधवा स्त्रियों को अधर्म से ग्लानि होती है और सुहागन नारियों का सुहाग सदा अटल रहता है, बन्दी कारागार से छूट जाता है। जो स्त्री पुरुष जिस कामना को लेकर इस उपवास को करते हैं, उनकी सभी कामनाएँ शिव जी पूरी करते हैं। सूत जी कहते हैं कि त्रयोदशी का व्रत करने और प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से सौ गऊ दान का फल प्राप्त होता है। इस उपवास को जो विधि विधान और तन-मन-धन से करता है उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं। सभी माता बहनों को ग्यारह त्रयोदशी या पूरे साल की 26 त्रयोदशी पूरी करने के बाद उद्यापन करना चाहिये। उपवास करने से पूर्व प्रदोष व्रत पूजा के नियम और प्रदोष व्रत उद्यापन की विधि अवश्य पढ़ लेनी चाहिए। पढ़ें वारों के अनुसार प्रदोष व्रत कथा–
१. रवि प्रदोष व्रत कथा – दीर्घ आयु और आरोग्यता के लिये रवि प्रदोष व्रत करना चाहिए।
२. सोम प्रदोष व्रत की कथा – ग्रह बाधा निवारण कामना हेतु सोम त्रयोदशी करें।
३. मंगल प्रदोष कथा – रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य हेतु मंगल त्रयोदशी उपवास करें।
४. बुध प्रदोष की कहानी – सर्व कामना सिद्धि के लिये बुध प्रदोष व्रत करें।
५. बृहस्पति प्रदोष की कथा – शत्रु विनाश के लिये बृहस्पति का यह उपवास करें।
६. शुक्र प्रदोष व्रत की कहानी – सौभाग्य और स्त्री/पुरुष की समृद्धि के लिये शुक्र प्रदोष व्रत करें।
७. शनि प्रदोष की कथा – खोया हुआ राज्य व पद प्राप्ति कामना हेतु शनि का यह उपवास करें।
त्रयोदशी के दिन जो वार पड़ता हो, उसी का (त्रयोदशी प्रदोष व्रत) करना चाहिये तथा उसी दिन की कहानी पढ़नी व सुननी चाहिये। रवि, सोम, शनि (त्रयोदशी प्रदोष व्रत) अवश्य करें। इन सभी से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
यह कलियुग का समय चल रहा है। कलियुग में प्रदोष व्रत कथा का पाठ न केवल सभी कार्यों में सफलता देता है, बल्कि भक्त को मुक्ति भी प्रदान करता है। इसके नित्य पाठ से हृदय में आनन्द उत्पन्न होता है, उसकी अनुभूति भक्त सहज ही कर सकते हैं।