धर्म

अपना बना ले भोले – Apna Bana Le Bhole Lyrics

पढ़ें “अपना बना ले भोले” लिरिक्स

ओ भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले
बम भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले

तेरे चरणों में आया हूं मैं छोड़ के ये संसार
अपनी शरण में रख ले मुझको चाहूँ मैं हर बार
ऊँ भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले

जब से पाया है जीवन
तुझ को सब है अर्पण
हर पल तेरी भक्ति है करते
जाने कब से है भटकन
अब तो छूटे ये तड़पन
मेरे मन को शक्ति तू दे दे

तेरा होके रहना है अब तो
तेरी मैया में जीना है मुझको
मुझे इतना कहना है अब तो
तेरी छाया में जीना है मुझको

ऊँ भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले
बम भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले

शंकरा मेरे शंकरा
तेरी तरफ मैं चल पड़ा
तेरे सहारे आ रहा
मेरी दुनिया है शंकरा

ओ भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले
बम भोले…
डमरू बाजा के फिर
अपना बना ले भोले

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम भोले भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिव भजन रोमन में–

Read Apna Bana Le Bhole Lyrics

o bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole
bama bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole

tere caraṇoṃ meṃ āyā hūṃ maiṃ choḍa़ ke ye saṃsāra
apanī śaraṇa meṃ rakha le mujhako cāhū~ maiṃ hara bāra
ū~ bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole

jaba se pāyā hai jīvana
tujha ko saba hai arpaṇa
hara pala terī bhakti hai karate
jāne kaba se hai bhaṭakana
aba to chūṭe ye taḍa़pana
mere mana ko śakti tū de de

terā hoke rahanā hai aba to
terī maiyā meṃ jīnā hai mujhako
mujhe itanā kahanā hai aba to
terī chāyā meṃ jīnā hai mujhako

ū~ bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole
bama bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole

śaṃkarā mere śaṃkarā
terī tarapha maiṃ cala paḍa़ā
tere sahāre ā rahā
merī duniyā hai śaṃkarā

o bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole
bama bhole…
ḍamarū bājā ke phira
apanā banā le bhole
apanā banā le bhole

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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