कविता

ऐ मेरे दिल-ए-नादां – Aye Mere Dil E Nadan Lyrics in Hindi

“ऐ मेरे दिल-ए-नादां” 1962 की प्रसिद्ध फ़िल्म टावर हाऊस का गाना है। इसे सुरों से सजाया है लता मंगेशकर ने व संगीतबद्ध किया है रवी ने। असद भोपाली की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में शकीला, अजीत खान, भगवान दादा और नज़ीमा ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें ऐ मेरे दिल-ए-नादां के बोल हिंदी में (Aye Mere Dil E Nadan lyrics in Hindi)–

“ऐ मेरे दिल-ए-नादां” लिरिक्स

ऐ मेरे दिल-ए-नादां
तू ग़म से न घबराना
एक दिन तो समझ लेगी
दुनिया तेरा अफ़साना
ऐ मेरे दिल-ए-नादां…

अरमान भरे दिल में
ज़ख्मों को जगह दे दे
भड़के हुए शोलों को
कुछ और हवा दे दे
बनती है तो बन जाए
ये ज़िन्दगी अफ़साना
ऐ मेरे दिल-ए-नादां…

फ़रियाद से क्या हासिल
रोने से नतीजा क्या
बेकार हैं ये बातें
इन बातों से होगा क्या
अपना भी घडी भर में
बन जाता है बेगाना
ऐ मेरे दिल-ए-नादां..

टावर हाऊस से जुड़े तथ्य

फिल्मटावर हाऊस
वर्ष1962
गायक / गायिकालता मंगेशकर
संगीतकाररवी
गीतकारअसद भोपाली
अभिनेता / अभिनेत्रीशकीला, अजीत खान, भगवान दादा, नज़ीमा

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम ऐ मेरे दिल-ए-नादां गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Aye Mere Dil E Nadan रोमन में-

Aye Mere Dil E Nadan Lyrics in Hindi

ai mere dila-e-nādāṃ
tū ग़ma se na ghabarānā
eka dina to samajha legī
duniyā terā aफ़sānā
ai mere dila-e-nādāṃ…

aramāna bhare dila meṃ
ज़khmoṃ ko jagaha de de
bhaड़ke hue śoloṃ ko
kucha aura havā de de
banatī hai to bana jāe
ye ज़indagī aफ़sānā
ai mere dila-e-nādāṃ…

फ़riyāda se kyā hāsila
rone se natījā kyā
bekāra haiṃ ye bāteṃ
ina bātoṃ se hogā kyā
apanā bhī ghaḍī bhara meṃ
bana jātā hai begānā
ai mere dila-e-nādāṃ..

Facts about the Film

FilmTower House
Year1962
SingerLata Mangeshkar
MusicRavi
LyricsAsad Bhopali
ActorsShakila, Ajit Khan, Bhagwan Dada, Nazima 

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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