गीता जी की आरती – Bhagwat Geeta Ki Aarti
गीता जी की आरती का गान सभी दुःखों का नाश करता है। जो इसे नित्य गाता है, उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश फैल जाता है और अज्ञान-तम नष्ट हो जाता है। बुद्धि स्वतः ही स्थितप्रज्ञ होने लगती है। मान्यता है कि गीता-पाठ के उपरान्त गीता जी की आरती अवश्य पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से ही गीता पढ़ने का पूरा फल प्राप्त होता है। पढ़ें गीता जी की आरती–
जय गीता माता श्री जय गीता माता।
सुख करनी दुःख हरनी तुमको जग गाता।
टेक- जय गीता माता, मैया जय गीता माता।
सुख करनी दुःख हरनी तुमको जग गाता।
अज्ञान मोह ममता को छिन में नाश करे,
सत्य ज्ञान का मन में तू प्रकाश करे।
शरण मेरी जो आवे तेरी मति ग्रहण करे,
पाप ताप मिट जावें निर्भय भव सिंधु तरे।
रणक्षेत्र में अर्जुन जब शोकाधीर हुआ,
कर्तव्य कर्म तज बैठा बहुत मलीन हुआ।
तब कृष्णचन्द्र के मुख से तुमने अवतार लिया,
तत्त्व बात समझाकर उसका उद्धार किया।
शरीर जन्मते मरते आत्मा अविनाशी,
शरीर को दुःख व्यापे आत्मा सुख राशी।
अतः शरीर की ममता मन से त्याग करो,
आत्मब्रह्म को चीन्हों उससे अनुराग करो।
निष्काम कर्म नित्य करके जग का उपकार करो,
फल वांछा को त्यागो सद्व्यवहार करो।
मन को वश में करके इच्छा त्याग करो,
निष्काम जग में रहकर हरि से अनुराग करो।
यह उपदेश तेरे जो नर मन में लावे,
भगवान भवसागर से वह क्यों न तर जावे।
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गीता जी की आरती (Bhagwat Geeta Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गीता जी की आरती रोमन में–
Read Bhagwat Geeta Ki Aarti
jaya gītā mātā śrī jaya gītā mātā।
sukha karanī duḥkha haranī tumako jaga gātā।
ṭeka- jaya gītā mātā, maiyā jaya gītā mātā।
sukha karanī duḥkha haranī tumako jaga gātā।
ajñāna moha mamatā ko china meṃ nāśa kare,
satya jñāna kā mana meṃ tū prakāśa kare।
śaraṇa merī jo āve terī mati grahaṇa kare,
pāpa tāpa miṭa jāveṃ nirbhaya bhava siṃdhu tare।
raṇakṣetra meṃ arjuna jaba śokādhīra huā,
kartavya karma taja baiṭhā bahuta malīna huā।
taba kṛṣṇacandra ke mukha se tumane avatāra liyā,
tattva bāta samajhākara usakā uddhāra kiyā।
śarīra janmate marate ātmā avināśī,
śarīra ko duḥkha vyāpe ātmā sukha rāśī।
ataḥ śarīra kī mamatā mana se tyāga karo,
ātmabrahma ko cīnhoṃ usase anurāga karo।
niṣkāma karma nitya karake jaga kā upakāra karo,
phala vāṃchā ko tyāgo sadvyavahāra karo।
mana ko vaśa meṃ karake icchā tyāga karo,
niṣkāma jaga meṃ rahakara hari se anurāga karo।
yaha upadeśa tere jo nara mana meṃ lāve,
bhagavāna bhavasāgara se vaha kyoṃ na tara jāve।
नोट – जो व्यक्ति प्रतिदिन गीता का पाठ नहीं कर सकता, उसे इस आरती को अवश्य पढ़ना चाहिए। भक्तिपूर्वक इसका रोज़ाना पाठ गीता-पाठ की तरह ही पुण्यदायक है।
हिन्दू धर्म में गीता यानि श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व से शायद ही कोई मनुष्य अनभिज्ञ है। यह हिन्दू धर्म का एक बेहद महान एवं पवित्र ग्रन्थ है। इसमें उल्लेखित प्रत्येक श्लोक एवं पंक्ति का अपना दिव्य महत्व है। भगवत गीता की आरती (Bhagavad gita ki aarti) गायन की भी अपनी ही अनोखी महिमा है।
श्रीमद्भगवद गीता श्री कृष्ण के दिए हुए उन उपदेशों का संकलन है, जो उन्होंने महाभारत युद्ध के ठीक पहले अर्जुन को दिए थे। भारतीय परंपरा में गीता को ब्रह्मसूत्र एवं उपनिषद के तुल्य दर्जा प्राप्त है। इसकी गणना भी प्रस्थानत्रयी में की जाती है। यही नहीं, अगर हम उपनिषद को गाय का दर्जा दें तो गीता को उसका दुग्ध कहना ग़लत नहीं होगा। भगवान वेदव्यास ने भी गीता के आरंभ से पहले यह कहा है। श्री भगवत् गीता की महिमा का जितना गुणगान किया जाए, उतना ही हम शब्दों का अभाव महसूस करेंगे।
कहते हैं हर घर में भगवद गीता अवश्य होनी चाहिए। नित्य रूप से इसका पाठ करना बेहद फलदायक होता है। इससे घर में सुख शांति एवं खुशहाली का वास होता है। परन्तु पाठ को पढ़ना ही काफी नहीं है, जब तक आरती नहीं होती, पाठ सम्पूर्ण नहीं माना जाता है। इसलिए हमेशा इसका पाठ करने के पश्चात् गीता जी की आरती अवश्य करें।
भगवद गीता की आरती करने से मन में छिपे विकारों से मुक्ति मिलती है, ज्ञान की प्राप्ति होती है, एवं व्यक्ति सही मार्ग पर प्रशस्त होता है।
हमारे ऑनलाइन प्लेटफार्म, हिंदीपथ पर आप गीता जी की आरती पढ़ सकते हैं एवं इसका गायन कर सकते हैं। यहां से आप इसका pdf फॉर्म भी डाउनलोड (Gita aarti pdf download) करके प्रिंट करवा कर अपने पास रख सकते हैं। इससे आप आवश्यकता के अनुसार इसका उपयोग कर पाएंगे।