कविता

जाने वालो जरा – Jane Walo Jara Lyrics in Hindi

“जाने वालो जरा” 1964 की प्रसिद्ध फ़िल्म दोस्ती का गाना है। इसे सुरों से सजाया है मोहम्मद रफ़ी ने व संगीतबद्ध किया है लक्ष्मीकान्त, प्यारेलाल ने। मजरुह सुल्तानपुरी की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में सुधीर कुमार, सुशील कुमार और संजय खान ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें इस गीत के बोल हिंदी में (Jane Walo Jara Lyrics In Hindi)–

“जाने वालो जरा” लिरिक्स

जाने वालो जरा
एक इंसान हु मै तुम्हारी तरह
जिसने सबको रचा
उसकी पहचान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जाने वालो जरा

इस अनोखे जगत की मई तक़दीर हो
मई विधाता के हाथों की तस्वीर हो
इस जहाँ के लिए
शिव का वरदान हो
जाने वालो जरा

मनन के अंदर छिपाए मिलान की लगन
अपने सूरज से ह एक बिछडी किरण
फिर रहा हु भटकता
और परेशां हु
जाने वालो जरा

मेरे पास आओ छोडो यह सारा भरम
जो मेरा दुःख वही है तुम्हारा भी घूम
देखता हु तुम्हे जानता हू तुम्हे
लाख अनजान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जानें वालो जरा.

फिल्म से जुड़े तथ्य

फिल्मदोस्ती
वर्ष1964
गायक / गायिकामोहम्मद रफ़ी
संगीतकारलक्ष्मीकान्त, प्यारेलाल
गीतकारमजरुह सुल्तानपुरी
अभिनेता / अभिनेत्रीसुधीर कुमार, सुशील कुमार, संजय खान

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम इस गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Jane Walo Jara रोमन में-

Jane Walo Jara Lyrics in Hindi

jāne vālo jarā
eka iṃsāna hu mai tumhārī taraha
jisane sabako racā
usakī pahacāna hū~ maiṃ tumhārī taraha
jāne vālo jarā

isa anokhe jagata kī maī taक़dīra ho
maī vidhātā ke hāthoṃ kī tasvīra ho
isa jahā~ ke lie
śiva kā varadāna ho
jāne vālo jarā

manana ke aṃdara chipāe milāna kī lagana
apane sūraja se ha eka bichaḍī kiraṇa
phira rahā hu bhaṭakatā
aura pareśāṃ hu
jāne vālo jarā

mere pāsa āo choḍo yaha sārā bharama
jo merā duḥkha vahī hai tumhārā bhī ghūma
dekhatā hu tumhe jānatā hū tumhe
lākha anajāna hū~ maiṃ tumhārī taraha
jāne vālo jarā.

Facts about the Film

FilmDosti
Year1964
SingerMohammed Rafi
MusicLaxmikant, Pyarelal
LyricsMajrooh Sultanpur
ActorsSudhir Kumar, Sushil Kumar, Sanjay Khan

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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