धर्म

महाकाली चालीसा – Mahakali Chalisa

महाकाली चालीसा का पाठ भक्तों के सारे दुःख हरने वाला है। जो भी व्यक्ति नित्य इस दिव्य महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa) का गायन करता है, उसपर माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा जरूर होती है। इसमें अपार शक्ति निहित है।

आवश्यकता है तो बस श्रद्धा और भक्ति से महाकाली चालीसा के प्रतिदिन पाठ की। ऐसा करने से यह शक्ति शीघ्र ही प्रकट हो जाती है और महाकाली चालीसा पढ़ने वाले की सभी मुरादों को पूरी कर देती है। पढ़ें महाकाली चालीसा–

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॥ दोहा ॥
जय जय सीता राम के,
मध्य वासिनी अम्ब।
देहु दरश जगदम्ब अब,
करो न मातु विलम्ब॥

जय तारा जय कालिका
जय दश विद्या वृन्द।
काली चालीसा रचत
एक सिद्धि कवि हिन्द॥

प्रात:काल उठ जो पढ़े,
दुपहरिया या शाम।
दुःख दारिद्रता दूर हों,
सिद्ध होय सब काम॥

जय जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महा कपालिनी।

रक्तबीज बध कारिणी माता,
सदा भक्त जननकी सुखदाता॥

शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय माँ काली जय मद्य मतंगे

हर हृदयारविदं सुविलासिनी,
जय जगदम्ब सकल दुख नाशिनी॥

ह्रीं काली श्रीं महाकाली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणा काली।

जय कलावती जय विद्यावती,
जय तारा सुन्दरी महामती॥

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट।

जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे॥

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन के भयनाशिनी।

अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु॥

जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान द्युति गाता।

यह शंकरी सुरेशि सनातनी,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातन॥

कर्पिदनी कलि कल्प बिमोचन,
जय विकसित नवनलिन बिलोचनि।

आनन्द करणि आनन्द निधाना,
देहु मातु मोहि निर्मल ज्ञाना॥

करुणामृत सागर कृपामयी,
होहु दुष्टजन पर अब निर्दयी।

सकल जीव तोहिं समान प्यारा,
सकल विश्व तोरे आधारा॥

प्रलय काल में नर्तन कारिणी,
जग-जननी सब जब की पालनि।

महोदरी महेश्वरी माया,
हिमगिरी सुता विश्व की छाया॥

स्वच्छन्द रद मराद धुनिमाहीं,
गर्जत नाहीं और कोऊ तुम्हीं।

स्फुरति मणि गणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम- विताने॥

श्री धारे संतन हितकारिणी,
अग्नि पाणि अतिदुष्ट विदारिणि।

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचनि,
शुम्भ-निशुम्भ मथनि वर लोचनि।

सहस्त्रभुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी॥

खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी।

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि-कालिका॥

अजा एक रूपा बहु रूपा,
अकथ चरित्र अरू शक्ति अनूपा॥

कलकत्ते के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोर महोशि अपारे।

कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय मातंगी काम के धामा॥

कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि।

मातंगी जयति प्रकृतिहे,
जयति भक्त ऊर कुमति सुमतिहे।

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा।

जल-थल-नभ मंडल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य अलापिनी॥

झननन तख्छुमरिखि नादिनि,
जय सरस्वती वीणा वादिनी।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै,
कलित कण्ठ शोभित एरमुण्डा॥

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता।

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अट्टहासिनी अरु अघन नाशिनी॥

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्ति जितचण्डे।

करहु कृपा सबपे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा।

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा।

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत।

तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई।

जो यह पाठ करे चालीसा,
तापर कृपा करहि गौरीशा।

॥ दोहा
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब।
सदा भक्तजन केरि दुःख
हरहु मातु अवलम्ब॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें महाकाली चालीसा रोमन में–

Mahakali Chalisa

॥ dohā ॥
jaya jaya sītārāma ke,
madhya vāsinī amba ।
dehu daraśa jagadamba aba,
karo na mātu vilamba॥

jaya tārā jaya kālikā
jaya daśa vidyā vṛnda।
kālī cālīsā racata
eka siddhi kavi hinda॥

prāta:kāla uṭha jo paḍha़e,
dupahariyā yā śāma।
duḥkha dāridratā dūra hoṃ,
siddha hoya saba kāma ॥

jaya jaya kālī kaṃkāla mālinī,
jaya maṃgalā mahā kapālinī।

raktabīja badha kāriṇī mātā,
sadā bhakta jananakī sukhadātā॥

śiro mālikā bhūṣita aṃge,
jaya kālī jaya madya mataṃge

hara hṛdayāravidaṃ suvilāsinī,
jaya jagadamba sakala dukha nāśinī॥

hrīṃ kālī śrīṃ mahākālī,
krīṃ kalyāṇī dakṣiṇā kālī।

jaya kalāvatī jaya vidyāvatī,
jaya tārā sundarī mahāmatī॥

dehu subuddhi harahu saba saṃkaṭa,
hohu bhakta ke āge paragaṭa।

jaya oṃ kāre jaya huṃkāre,
mahāśakti jaya aparampāre॥

kamalā kaliyuga darpa vināśinī,
sadā bhaktajana ke bhayanāśinī।

aba jagadamba na dera lagāvahu,
dukha daridratā mora haṭāvahu।।

jayati karāla kālikā mātā,
kālānala samāna dyuti gātā।

yaha śaṃkarī sureśi sanātanī,
koṭi siddhi kavi mātu purātana ॥

karpidanī kali kalpa bimocana,
jaya vikasita navanalina bilocani।

ānanda karaṇi ānanda nidhānā,
dehu mātu mohi nirmala jñānā॥

karuṇāmṛta sāgara kṛpāmayī,
hohu duṣṭajana para aba nirdayī।

sakala jīva tohiṃ samāna pyārā,
sakala viśva tore ādhārā॥

pralaya kāla meṃ nartana kāriṇī,
jaga-jananī saba jaba kī pālani।

mahodarī maheśvarī māyā,
himagirī sutā viśva kī chāyā॥

svacchanda rada marāda dhunimāhīṃ,
garjata nāhīṃ aura koū tumhīṃ।

sphurati maṇi gaṇākāra pratāne,
tārāgaṇa tū vyoma- vitāne ॥

śrī dhāre saṃtana hitakāriṇī,
agni pāṇi atiduṣṭa vidāriṇi।

dhūmra vilocani prāṇa vimocani,
śumbha-niśumbha mathani vara locani।

sahastrabhujī sarorūha mālinī,
cāmuṇḍe maraghaṭa kī vāsinī॥

khappara madhya suśoṇita sājī,
mārehu mā~ mahiṣāsura pājī।

amba ambikā caṇḍa caṇḍikā,
saba eke tuma ādi-kālikā ॥

ajā eka rūpā bahu rūpā,
akatha caritra arū śakti anūpā॥

kalakatte ke dakṣiṇa dvāre,
mūrati tora mahośi apāre।

kādambarī pānarata śyāmā,
jaya mātaṃgī kāma ke dhāmā॥

kamalāsana vāsinī kamalāyani,
jaya śyāmā jaya jaya śyāmāyani।

mātaṃgī jayati prakṛtihe,
jayati bhakta ūra kumati sumatihe।

koṭi brahma śiva viṣṇu kāmadā
jayati ahiṃsā dharma janmadā।

jala-thala-nabha maṃḍala meṃ vyāpinī,
saudāminī madhya alāpinī॥

jhananana takhchumarikhi nādini,
jaya sarasvatī vīṇā vādinī।

oṃ aiṃ hrīṃ klīṃ cāmuṇḍāyai viccai,
kalita kaṇṭha śobhita eramuṇḍā॥

jaya brahmāṇḍa siddhi kavi mātā,
kāmākhyā aura kālī mātā।

hiṃgalāja vindhyācala vāsinī,
aṭṭahāsinī aru aghana nāśinī॥

kitanī stuti karū~ akhaṇḍe,
tū brahmāṇḍe śakti jitacaṇḍe।

karahu kṛpā sabape jagadambā,
rahahiṃ niśaṃka tora avalambā।

caturbhujī kālī tuma śyāmā,
rūpa tumhāra mahā abhirāmā।

khaḍga aura khappara kara sohata,
sura nara muni sabako mana mohata।

tumhārī kṛpā pāve jo koī,
roga śoka nahiṃ tākaha~ hoī।

jo yaha pāṭha kare cālīsā,
tāpara kṛpā karahi gaurīśā।

॥ dohā ॥
jaya kapālinī jaya śivā,
jaya jaya jaya jagadamba।
sadā bhaktajana keri duḥkha
harahu mātu avalamba ॥

महाकाली चालीसा हिंदी में

जैसा की हम जानते हैं कि माँ दुर्गा के 9 स्वरूप हैं।  मान्यता अनुसार माँ काली, उनके सभी रूपों में से सबसे शक्तिशाली है। इन्हें महाकाली, कालरात्रि, काली माता आदि नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चण्ड मुण्ड नामक राक्षसों के संहार के लिए माता काली की उत्पत्ति हुई थी। माँ काली को शक्ति, बल, और महाविद्याओं की देवी कहा जाता है। श्री महाकाली चालीसा का पाठ, माँ को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम तरीका है। जो भी इस चालीसा का पाठ करते हैं, माँ उसके सभी दुखों को हर लेती हैं। हिंदीपथ के माध्यम से आप श्री महाकाली चालीसा हिंदी में पढ़ सकते हैं। 

महाकाली पाठ के लाभ 

  • महाकाली पाठ से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय, रोग, और दुखों से मुक्ति मिलती है।
  • अगर आपको करियर सम्बन्धी समस्याएं परेशान कर रही हैं तो काली चालीसा के पाठ से आपको सफलता प्राप्त हो सकती है। 
  • माँ प्रसन्न होकर परिवार में हो रहे तनावों को दूर करती हैं। 
  • जो भी भक्त नियमित रूप से महाकाली पाठ करता है, माँ उसकी हर प्रकार की बुरी आत्माओं से रक्षा करती हैं। 
  • माँ काली की पूजा और चालीसा पढ़ने वाले व्यक्ति पर कभी जादू टोन का असर नहीं होता।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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