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मैं हूँ शिव का मस्ताना – Main Hoon Shiv Ka Mastana Lyrics – Bhakti with Mast Maula Attitude

पढ़ें “मैं हूँ शिव का मस्ताना” आनंदमय, काव्यात्मक शिव भजन में एक मस्तीभरा भक्त पूरी मुक्तता के साथ गाता है — अहंकार, पद या सांसारिक मोह को त्यागते हुए — और भगवान शिव के असीम प्रेम में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाता है।

मैं हूँ शिव का मस्ताना, मुझ को होशियारी क्या?
रहूं फिरता या घर में, मुझ को दुनियादारी क्या?

जो बिछुड़े हैं अपनों से, भटकते इधर-उधर फिरते,
मेरा शंकर है मुझमें, मुझ को इंतज़ारी क्या?

मैं हूँ शिव का मस्ताना, मुझ को होशियारी क्या?
हर कण में है भोलेनाथ, मुझ को दुनियादारी क्या?

तू अपने नाम पे इतराए, सिर यूँ ही पटकता है,
मेरा शिव नाम साँचा है, मुझ को दुनिया से यारी क्या?

न पल बिछुड़े शिव मुझसे, न मैं बिछड़ा भोले से,
उन्हीं से मोह लागी है, मुझ को बेकरारी क्या?

मैं हूँ शिव का मस्ताना, मुझ को होशियारी क्या?
हर सांस में वो समाए हैं, मुझ को दुनियादारी क्या?

भक्ति का सार है जोगी, शक निकाल दिल से,
राह नाज़ुक है प्रेम की, मुझ को बोझ भारी क्या?

भोले की दुनिया अलग है, ना ऊँच ना नीच ना विचार,
प्यार करे जो दिल से, शिव हैं उसी के यार।

मैं हूँ शिव का मस्ताना, शिव का मस्ताना |

विदेशों में बसे कुछ हिंदी सज्जनों के आग्रह पर भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि ये इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिव भजन रोमन में

Read Main Hoon Shiv Ka Mastana Lyrics

maiṃ hū~ śiva kā mastānā, mujha ko hośiyārī kyā?
rahūṃ phiratā yā ghara meṃ, mujha ko duniyādārī kyā?

jo bichuḍa़e haiṃ apanoṃ se, bhaṭakate idhara-udhara phirate,
merā śaṃkara hai mujhameṃ, mujha ko iṃtaja़ārī kyā?

maiṃ hū~ śiva kā mastānā, mujha ko hośiyārī kyā?
hara kaṇa meṃ hai bholenātha, mujha ko duniyādārī kyā?

tū apane nāma pe itarāe, sira yū~ hī paṭakatā hai,
merā śiva nāma sā~cā hai, mujha ko duniyā se yārī kyā?

na pala bichuḍa़e śiva mujhase, na maiṃ bichaḍa़ā bhole se,
unhīṃ se moha lāgī hai, mujha ko bekarārī kyā?

maiṃ hū~ śiva kā mastānā, mujha ko hośiyārī kyā?
hara sāṃsa meṃ vo samāe haiṃ, mujha ko duniyādārī kyā?

bhakti kā sāra hai jogī, śaka nikāla dila se,
rāha nāja़uka hai prema kī, mujha ko bojha bhārī kyā?

bhole kī duniyā alaga hai, nā ū~ca nā nīca nā vicāra,
pyāra kare jo dila se, śiva haiṃ usī ke yāra।

maiṃ hū~ śiva kā mastānā, śiva kā mastānā |

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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