धर्म

मेरे भोले मेरे शिव – Mere Bhole Mere Shiva Lyrics – Mahashivratri Special

पढ़े “मेरे भोले मेरे शिव” लिरिक्स

नंदी की सुंदर है सवारी
बैठे उसपे त्रिशूल धारी
महादानी गौरीशंकर
आदि त्रिनेत्रधारी

मुश्किल ये सफर है मेरे शिव
मेरे साथ तू चल मुझको तू रास्ता दिखा

तूने सबको है संभालना
सबका है तू रखवाला
मेरे शिव तू सबसे निराला
तूने पिया है विष का प्याला

मेरे शिव..
मेरे शिव…
मेरे भोले..
मेरे शिव..

नाम का डंका जग में बजे
भस्म राम कर शिव मेरा साजे
नाग गले में, जटा में गंगा
पर्वत पे मेरा भोले विराजे

संकट से बचने वाला
शंकर है दीन दयाला
मेरा शिव तू सबसे निराला
मेरा शिव तू सबसे निराला

तूने सबको है संभालना
सबका है तू रखवाला
मेरे शिव तू सबसे निराला
तूने पिया है विष का प्याला

नंदी की सुंदर है सवारी
बैठे उसपे त्रिशूल धारी
महादानी गौरीशंकर
आदि त्रिनेत्रधारी

तूने सबको है संभालना
सबका है तू रखवाला
मेरे शिव तू सबसे निराला
तूने पिया है विष का प्याला

मेरे शिव..
मेरे शिव…
मेरे भोले..
मेरे शिव..

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मेरे भोले मेरे शिव भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह शिव भजन रोमन में–

Read Mere Bhole Mere Shiva Lyrics

naṃdī kī suṃdara hai savārī
baiṭhe usape triśūla dhārī
mahādānī gaurīśaṃkara
ādi trinetradhārī

muśkila ye saphara hai mere śiva
mere sātha tū cala mujhako tū rāstā dikhā

tūne sabako hai saṃbhālanā
sabakā hai tū rakhavālā
mere śiva tū sabase nirālā
tūne piyā hai viṣa kā pyālā

mere śiva..
mere śiva…
mere bhole..
mere śiva..

nāma kā ḍaṃkā jaga meṃ baje
bhasma rāma kara śiva merā sāje
nāga gale meṃ, jaṭā meṃ gaṃgā
parvata pe merā bhole virāje

saṃkaṭa se bacane vālā
śaṃkara hai dīna dayālā
merā śiva tū sabase nirālā
merā śiva tū sabase nirālā

tūne sabako hai saṃbhālanā
sabakā hai tū rakhavālā
mere śiva tū sabase nirālā
tūne piyā hai viṣa kā pyālā

naṃdī kī suṃdara hai savārī
baiṭhe usape triśūla dhārī
mahādānī gaurīśaṃkara
ādi trinetradhārī

tūne sabako hai saṃbhālanā
sabakā hai tū rakhavālā
mere śiva tū sabase nirālā
tūne piyā hai viṣa kā pyālā

mere śiva..
mere śiva…
mere bhole..
mere śiva..

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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