धर्म

नाग लीला – Naag Leela

नाग लीला, जिसे कालिया नाग लीला के नाम से भी जाना जाता है, भगवान कृष्ण और नाग कालिया के बीच युद्ध के बारे में एक हिंदू किंवदंती है। यह कहानी भागवत पुराण और हरिवंश में बताई गई है, और इसे अक्सर नाट्य प्रदर्शनों और धार्मिक उत्सवों में दोहराया जाता है।

कृष्ण लीला कालिया नाग कहानी हिंदू संस्कृति में एक लोकप्रिय कहानी है, और इसे अक्सर अच्छे और बुरे के बीच संघर्ष के रूप में व्याख्या की जाती है। कृष्ण अच्छी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि कालिया बुरी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। कालिया पर कृष्ण की विजय बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

श्री कूल यमुना धनु आगे। जल में बैठे प्रभु जी आन के।
नाग नागिनी दोनों बैठे। श्रीकृष्ण जी पहुचे आन के।
नागिन कहती सुना रे बालक। जागो यहां से भाग के।
तेरी सुरत देख मन में दया उपजी। नाग मारेगा जाग के।
किसका बालक पुत्र कहिए।कौन तुम्हारा ग्राम है।
जिसके घर तू जनमिया रे। बालक क्या तेरा नाम है
वासुदेव जी का पुत्र कहिए। गोकुल हमारा ग्राम है।
श्री माता देवकी जनिमया मैंनू। श्रीकृष्ण हमारा नाम है।
ले रे बालक हत्थामदेकगन। कन्ना दे कुंडल सवा लाख की बोरियां।
इतना द्रव्य ले जा रे बालक।
दिया नागां कोलों चोरियां। क्या करां तेरे हाथों के कगंन।
कन्नादे कुंडल सवा लाख की बोरियाँ।
श्री मात यशोदा दही बिलावे । पावां तेरे नाग कालेदियाँ डोरिया।
क्या रे बालक वेद वेद ब्राम्हण। क्या मारिआ तू तान चाहनाएँ।
नाग दल में आ पहुँचिया। अब कैसे घर जावनाएँ।
ना रे पदमनी वेद ब्राम्हण। नन्द जी का में बालका।
श्री मात यशोदा दही पिलावे। नेत्रा मांगे काले नाग का।
कर चूमे भुजा मरोड़ी। नागनी नाग जगाया।
उठो रे उठो बलवंत योद्धा। बालक नथने को आया।
उठियो रे उठियो मांडलिक राजा। इन्द्र वांगूं गरजाया।
बांके मुकुट पर झपट किनी। श्रीकृष्ण जी मुकुट बचाया।
भुजा का बल स्वामी खेच लिया। भुजा का बल प्रभु हरण किया।
हाथ जोड़ नागनियाँ कहती। हूँ बल पिया जी कहाँ गया।
बंसरी सेती कालीनाग नथिया। फन फन नृत्य कराया।
फूल फूल मथुरा की नगरी। देवकी मंगल गाया।
भगत हेत लरभो जन्म लेकर। लंका में रावण मारिया।
काली प्रहलाद नाग नथिया। मथुरा में कंश पछारियाँ।
सप्त दीप नौखण्ड चौदह। सभी तेरा है पसारिया।
सूरदास जी तेरा यश गावे। तेरे चरणां बलिहारियाँ।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के नाग लीला को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह नाग लीला रोमन में–

Read Krishna Nag Leela

śrī kūla yamunā dhanu āge। jala meṃ baiṭhe prabhu jī āna ke।
nāga nāginī donoṃ baiṭhe। śrīkṛṣṇa jī pahuce āna ke।
nāgina kahatī sunā re bālaka। jāgo yahāṃ se bhāga ke।
terī surata dekha mana meṃ dayā upajī। nāga māregā jāga ke।
kisakā bālaka putra kahie।kauna tumhārā grāma hai।
jisake ghara tū janamiyā re। bālaka kyā terā nāma hai
vāsudeva jī kā putra kahie। gokula hamārā grāma hai।
śrī mātā devakī janimayā maiṃnū। śrīkṛṣṇa hamārā nāma hai।
le re bālaka hatthāmadekagana। kannā de kuṃḍala savā lākha kī boriyāṃ।
itanā dravya le jā re bālaka।
diyā nāgāṃ koloṃ coriyāṃ। kyā karāṃ tere hāthoṃ ke kagaṃna।
kannāde kuṃḍala savā lākha kī boriyā~।
śrī māta yaśodā dahī bilāve । pāvāṃ tere nāga kālediyā~ ḍoriyā।
kyā re bālaka veda veda brāmhaṇa। kyā māriā tū tāna cāhanāe~।
nāga dala meṃ ā pahu~ciyā। aba kaise ghara jāvanāe~।
nā re padamanī veda brāmhaṇa। nanda jī kā meṃ bālakā।
śrī māta yaśodā dahī pilāve। netrā māṃge kāle nāga kā।
kara cūme bhujā maroḍa़ī। nāganī nāga jagāyā।
uṭho re uṭho balavaṃta yoddhā। bālaka nathane ko āyā।
uṭhiyo re uṭhiyo māṃḍalika rājā। indra vāṃgūṃ garajāyā।
bāṃke mukuṭa para jhapaṭa kinī। śrīkṛṣṇa jī mukuṭa bacāyā।
bhujā kā bala svāmī kheca liyā। bhujā kā bala prabhu haraṇa kiyā।
hātha joḍa़ nāganiyā~ kahatī। hū~ bala piyā jī kahā~ gayā।
baṃsarī setī kālīnāga nathiyā। phana phana nṛtya karāyā।
phūla phūla mathurā kī nagarī। devakī maṃgala gāyā।
bhagata heta larabho janma lekara। laṃkā meṃ rāvaṇa māriyā।
kālī prahalāda nāga nathiyā। mathurā meṃ kaṃśa pachāriyā~।
sapta dīpa naukhaṇḍa caudaha। sabhī terā hai pasāriyā।
sūradāsa jī terā yaśa gāve। tere caraṇāṃ balihāriyā~।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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