राम लक्ष्मण की आरती – Ram Lakshman Ki Aarti
राम लक्ष्मण की आरती (Ram Lakshman Ki Aarti) का निर्मल हृदय से गायन हृदय में भगवान श्री राम और उनके अनुज श्री लक्ष्मण जी के प्रति चित्त में प्रबल अनुराग पैदा करता है। भगवान विष्णु और शेषनाग के अवतार श्री राम और लक्ष्मण जी की आराधना चारों पुरुषार्थों में सिद्धि देने वाली है। श्री लक्ष्मण हमेशा परछाई की तरह प्रभु के साथ रहे और उनकी लीला में अपनी भूमिका को भली-भाँति पूर्ण किया। वस्तुतः राम और लक्ष्मण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और एक के बिना दूसरे की कल्पना करना भी असंभव है। राम लक्ष्मण की आरती करने वाले भक्त के लिए जगत में सब कुछ सर्वसुलभ हो जाता है इसमें संशय नहीं है। राम लक्ष्मण की आरती का पाठ करें–
अति सुख कौसल्या उठि धाई।
मुदित बदन मन मुदित सदनतें,
आरति साजि सुमित्रा ल्याई॥
जनु सुरभी बन बसति बच्छ बिनु,
परबस पसुपतिकी बहराई।
चली साँझ समुहाहि स्रवत थन,
उमँगि मिलन जननी दोउ आई॥
दधि-फल-दूब-कनक-कोपर भरि,
साजत सौंज बिचित्र बनाई।
अमी-बचन सुनि होत कोलाहल,
देवनि दिवि दंदुभी बजाई॥
बीथिन सकल सुंगध सिंचाई।
पुलकित-रोम, हरष-गदगद-स्वर,
जुबतिनि मंगल गाथा गाई॥
निज मंदिर लै आनि तिलक दै,
दुज गन मुदित असीस सुनाई।
सियासहित सुख बसो इहाँ तुम
‘सूरदास‘ नित उठि बलि जाई॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर राम लक्ष्मण की आरती (Ram Lakshman Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह आरती रोमन में–
Ram Lakshman Ki Aarti
ati sukha kausalyā uṭhi dhāī।
mudita badana mana mudita sadanateṃ,
ārati sāji sumitrā lyāī॥
janu surabhī bana basati baccha binu,
parabasa pasupatikī baharāī।
calī sā~jha samuhāhi sravata thana,
uma~gi milana jananī dou āī॥
dadhi-phala-dūba-kanaka-kopara bhari,
sājata sauṃja bicitra banāī।
amī-bacana suni hota kolāhala,
devani divi daṃdubhī bajāī॥
bīthina sakala suṃgadha siṃcāī।
pulakita-roma, haraṣa-gadagada-svara,
jubatini maṃgala gāthā gāī॥
nija maṃdira lai āni tilaka dai,
duja gana mudita asīsa sunāī।
siyāsahita sukha baso ihā~ tuma
‘sūradāsa‘ nita uṭhi bali jāī॥