सरस्वती वंदना – Maa Saraswati Vandana
“सरस्वती वंदना” का पाठ करें। माँ शारदा विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। जगत में ऐसी कोई विद्या नहीं जो उनकी उपासना से सहज प्राप्य न हो। विश्व के प्राचीनतम साहित्य वेदों में भी माता सरस्वती को समर्पित कई मंत्र उपलब्ध हैं। निम्न श्लोकों को नित्य पढ़ने से निश्चित ही माता की कृपा मिलती है इसमें कोई संशय नहीं है। आज का युग ज्ञान-विज्ञान का युग है। वर्तमान काल में समस्त उन्नति का रहस्य विद्या-प्राप्ति में ही निहित है। जिसके पास विद्या, बुद्धि और ज्ञान का प्रकाश है, वह आगे ही बढ़ता चला जाता है। अतः आज माता सरस्वती का स्मरण और पूजन विशेष उपयोगी है।
पढ़ें “सरस्वती वंदना” इन हिंदी
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
श्लोकार्थ – जो ज्ञान व विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के पुष्प, चन्द्र देव, हिमराशि और मोती के हार के समान श्वेत रंग की हैं और जो धवल वस्त्र पहनती हैं, जिनके हाथ में वीणा सुशोभित है, जो श्वेत कमल पर विराजित हैं तथा सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, जगत-पालक श्री विष्णु एवं संहारकर्ता शंकर जी आदि देवताओं द्वारा जिनकी सदैव पूजा की जाती है, वे समस्त जड़ता व अज्ञान को नष्ट करने वाली माता सरस्वती हमारी रक्षा करें।
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सरस्वती की वंदना (Saraswati Mata Vandana) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह मां सरस्वती की वंदना रोमन में–
Saraswati Mata Vandana
yā kundendutuṣārahāradhavalā yā śubhravastrāvṛtā
yā vīṇāvaradaṇḍamaṇḍitakarā yā śvetapadmāsanā।
yā brahmācyuta śaṃkaraprabhṛtibhirdevaiḥ sadā vanditā
sā māṃ pātu sarasvatī bhagavatī niḥśeṣajāḍyāpahā॥1॥
ślokārtha – jo jñāna va vidyā kī devī bhagavatī sarasvatī kunda ke puṣpa, candra deva, himarāśi aura motī ke hāra ke samāna śveta raṃga kī haiṃ aura jo dhavala vastra pahanatī haiṃ, jinake hātha meṃ vīṇā suśobhita hai, jo śveta kamala para virājita haiṃ tathā sṛṣṭikartā brahmā, jagata-pālaka śrī viṣṇu evaṃ saṃhārakartā śaṃkara jī ādi devatāoṃ dvārā jinakī sadaiva pūjā kī jātī hai, ve samasta jaḍa़tā va ajñāna ko naṣṭa karane vālī mātā sarasvatī hamārī rakṣā kareṃ।
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