कविता

साथी हाथ बढ़ाना – Sathi Hath Badhana Lyrics in Hindi

“साथी हाथ बढ़ाना” 1957 की प्रसिद्ध फ़िल्म नया दौर का गाना है। इसे सुरों से सजाया है आशा भोंसले और मुहम्मद रफ़ी ने व संगीतबद्ध किया है ओपी नैयर ने। साहिर लुधियानवी की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, अजीत, चांद उस्मानी और जीवन ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें “साथी हाथ बढ़ाना” के बोल हिंदी में (Sathi Hath Badhana lyrics in Hindi)– 

“साथी हाथ बढ़ाना” लिरिक्स

साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना …

हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाहें
हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें
साथी हाथ बढ़ाना…

मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना
अपना सुख भी एक है साथी, अपना दुःख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक
साथी हाथ बढ़ाना…

एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इन्सां, बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह गीत को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह गीत रोमन में–

hama mehanatavāloṃ ne jaba bhī milakara kadama baढ़āyā
sāgara ne rastā choड़ā, parabata ne sīsa jhukāyā
फ़aulādī haiṃ sīne apane, फ़aulādī haiṃ bāheṃ
hama cāheṃ to paidā karadeṃ, caṭṭānoṃ meṃ rāheṃ
sāthī hātha baढ़ānā…

mehanata apane lekha kī rekhā, mehanata se kyā ḍaranā
kala gairoṃ kī khātira kī, āja apanī khātira karanā
apanā sukha bhī eka hai sāthī, apanā duḥkha bhī eka
apanī maṃjila saca kī maṃjila apanā rastā neka
sāthī hātha baढ़ānā…

eka se eka mile to katarā bana jātā hai dariyā
eka se eka mile to ज़rrā bana jātā hai seharā
eka se eka mile to rāī bana sakatī hai parabata
eka se eka mile to insāṃ, basa meṃ kara le kismata
sāthī hātha baढ़ānā…

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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