स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी मेरी हेल को लिखित (12 मार्च, 1900)
(स्वामी विवेकानंद का कुमारी मेरी हेल को लिखा गया पत्र)
१७१९, टर्क स्ट्रीट,
सैन फ़्रांसिस्को,
१२ मार्च, १९००
प्रिय मेरी,
तुम्हारा क्या हाल-चाल है? ‘मदर’ और बहनें कैसी हैं? शिकागो के क्या हालचाल हैं? मैं फ़्रिस्को में हूँ, और एकाध महीने यहीं रहूँगा। शिकागो के लिए मैं शुरू अप्रैल में रवाना होऊँगा। अवश्य ही उसके पहले मैं तुम्हें लिखूँगा। मेरी बड़ी इच्छा है कि तुम लोगों के साथ कुछ दिन रहूँ, आदमी काम करते करते थक जाता है। मेरा स्वास्थ्य बस यूँ ही सा है, किन्तु मेरा मन शान्त है और पिछले कुछ समय से ऐसा ही रहा है। मैं सारी चिन्ताएँ ईश्वर को सौंप देने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं तो केवल एक कार्यकर्ता हूँ। आज्ञापालन करना और काम करते जाना ही मेरा जीवन-उद्देश्य है। शेष सब प्रभु के हाथ में है।
“समस्त चिन्ताएँ और उपाय छोड़कर तुम मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हें सब भयों से मुक्त कर दूँगा।”1
मैं इसे कार्यान्वित करने की प्राणपण से चेष्टा कर रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि इसमें मैं शीघ्र ही सफल हो सकूँ।
तुम्हारा चिरस्नेही भाई,
विवेकानन्द
- सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥ – गीता॥१८।६६॥