स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (15 जनवरी, 1901)

(स्वामी विवेकानंद का श्री ई. टी. स्टर्डी लिखा गया पत्र)

मायावती, हिमालय,
१५ जनवरी, १९०१

प्रिय स्टर्डी,

सारदानन्द से मुझे यह समाचार मिला कि इंग्लैण्ड के कार्य के लिए जो १,५२९/- ) ५ पाई की धनराशि थी, उसे तुमने मठ में भेज दिया है। यह निश्चित है कि उसका उपयोग अच्छे ही कार्य में होगा।

प्रायः तीन महीने पूर्व कैप्टन सेवियर ने अपना शरीर छोड़ा है। उन लोगों ने इस पर्वत के ऊपर एक सुन्दर आश्रम की स्थापना की है; और श्रीमती सेवियर इसको कायम रखना चाहती हैं। मैं यहाँ उनसे मिलने आया हूँ एवं सम्भवतः उन्हींके साथ इंग्लैण्ड जा सकता हूँ।

मैंने पेरिस से तुमको एक पत्र लिखा था, शायद वह तुम्हें प्राप्त नहीं हुआ है।

श्रीमती स्टर्डी के शरीरान्त के समाचार से मुझे अत्यन्त कष्ट हुआ। वे एक साध्वी पत्नी तथा स्नेहमयी माता थीं; जीवन में इस प्रकार की महिला प्रायः दिखायी नहीं देती।

यह जीवन घात-प्रतिघातों से भरा हुआ है; किन्तु उस आघात की वेदना जैसे भी हो दूर हो ही जाती है – इतनी ही सान्त्वना है।

तुमने अपने विगत पत्र में अपनी मानसिक भावनाएँ स्पष्ट रूप से प्रकट की हैं, इसलिए मैंने पत्र लिखना छोड़ दिया है – यह बात नहीं है। मैं केवल वर्तमान तरंग के निकल जाने की प्रतीक्षा कर रहा था – यही मेरी रीति है। पत्र के जवाब देने से राई का पहाड़ बन जाता।

श्रीमती जॉन्सन तथा अन्यान्य मित्रों से भेंट होने पर कृपया उनसे मेरी श्रद्धा तथा स्नेह कहना।

चिरसत्याबद्ध तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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