धर्मस्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद कृत “राजयोग” हिंदी में: Swami Vivekananda’s RajYog in Hindi

Read & Download PDF Of Swami Vivekananda’s Book “Raja Yoga” In Hindi

“राजयोग” स्वामी विवेकानंद की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है। यह किताब सन् 1896 ई. के जुलाई महीने में प्रकाशित हुई थी। योग को सबसे पहले वैश्विक स्तर पर ले जाने का श्रेय स्वामी जी को ही दिया जाता है। इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द ने राज योग या अष्टांग योग की न सिर्फ़ व्याख्या की है, बल्कि इस पथ पर चलने के लिए आवश्यक साधनों और परिणामों की भी गंभीर चर्चा है।

योग के विषय में इसे एक प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। “राजयोग” अभी तक हिंदी भाषा में उपलब्ध नहीं थी। इसे हिन्दी-भाषी पाठकों के समक्ष लाते हुए हमें बहुत हर्ष का अनुभव हो रहा है।

यदि हिंदीपथ पर यह कालजयी पुस्तक पढ़कर पाठकों के मन में योग के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो और उसके अभ्यास में और भी अधिक दृढ़ता आ सके, तो हम अपना प्रयास सफल समझेंगे। यहाँ आप स्वामी विवेकानंद कृत राजयोग को हिंदी में ऑनलाइन पढ़ भी सकते हैं और पीडीएफ के रूप में डाउनलोड भी कर सकते हैं।

Raj Yog (राजा योग बुक) Swami Vivekananda द्वारा रचित प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है। योग को प्रसिद्धि देने में और उसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाने में स्वामी जी द्वारा लिखी हुई इस पुस्तक का बहुत बड़ा हाथ है। Rajyog Book अभी तक नेट पर अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध थी। परन्तु हिंदीपथ के माध्यम से इसका हिंदी संस्करण प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यंत हर्ष महसूस हो रहा है। यहाँ आप इसे हिंदी में सरल रूप में पढ़ सकते हैं और इसका पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।

Read Raja Yoga by Swami Vivekananda in Hindi here. This is one of the most famous books of Swami Ji that was published in July 1896. It was not available in Hindi online. Here, you can read Swami Vivekananda’s RajYog in Hindi as well as download Raja Yoga PDF in Hindi.

स्वामी विवेकानंद कृत “राजयोग” की विषय-सूची
Hindi Table Of Content Of Swami Vivekananda’s RajYog

  1. ग्रंथकार की भूमिका
    Granthkar Ki Bhumika
  2. अवतरणिका
    Avtaranika
  3. साधना के प्राथमिक सोपान
    Sadhna Ke Prathmik Sopan
  4. प्राण
    Pran
  5. प्राण का आध्यात्मिक रूप
    Pran Ka Adhyatmik Roop
  6. आध्यात्मिक प्राण का संयम
    Adhyatmik Pran Ka Sanyam
  7. प्रत्याहार और धारणा
    Pratyahar Aur Dharna
  8. ध्यान और समाधि
    Dhyan Aur Samadhi
  9. संक्षेप में राजयोग
    Sankshep Me RajYog

ऊपर दी गई कड़ियों के माध्यम से आप स्वामी विवेकानंद की विख्यात किताब राजयोग के सभी अध्याय पढ़ सकते हैं और डाउनलोड कर सकते हैं। यदि आप राजयोग पीडीएफ में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो यहाँ क्लिक करें–

स्वामी विवेकानंद की किताब “राजयोग” हिंदी में डाउनलोड करें
Download Swami Vivekananda’s RajYog book PDF in Hindi

In order to read each chapter online in Hindi, please click on aforementioned links. You may also download Raja Yoga Book PDF in Hindi. These lectures were delivered by Swami Vivekananda in the West and, therefore, he has been often given the credit to take Yoga to the West. Read the transcriptions of these lectures on RajYog in Hindi online here.

स्वामी विवेकानंद की अन्य पुस्तकें
Other Swami Vivekananda Books in Hindi

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

3 thoughts on “स्वामी विवेकानंद कृत “राजयोग” हिंदी में: Swami Vivekananda’s RajYog in Hindi

  • Shekhar Kumar

    Sir, मैं वैसे ही विवेकानंद जी के बारे में search kar रहा था आपकी इस webside पर आ गया , यहां पर तो मुझे ज्ञान का खजाना मिल गया ।मुझे विवेकानंद और चाणक्य के बारे में जो जानना था वो सब मुझे मिल गया यहां ,अब मैं इस webside पर जितना भी content है उसकी सारा का सारा पढ़ लूंगा ।मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने इतना अच्छा लिखा हैं।
    दिल से रिस्पेक्ट है sir आपको

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    • HindiPath

      शेखर जी, टिप्पणी के माध्यम से हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हमारा प्रयास है कि स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की सभी किताबों को शीघ्र ही हिंदीभाषी पाठकों के समक्ष निःशुल्क प्रस्तुत किया जा सके। उनके विचार अग्नि की तरह फैलने में समर्थ हैं, आवश्यकता है तो बस आवश्यक सेतुओं के निर्माण की। हिंदीपथ एक उसी तरह का सेतु है। इसी तरह हिंदी पथ पढ़ते रहें और हमें अपने विचारों से अवगत कराते रहें।

      Reply
  • Sachin Sharma

    Sir is book ka hindi version online kaha se purchase kar sakte hai .

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