विश्वकर्मा जी की आरती – Vishwakarma Aarti
विश्वकर्मा जी की आरती का गायन जीवन में रचनाधर्मिता, मौलिकता और प्रगति की दिशा देता है। जो भी इसका नित्य गायन करता है, उसकी बुद्धि तीव्र हो जाती है और वह प्रज्ञावान बन जाता है। भगवान विश्वकर्मा रचनात्मकता और सृजनशक्ति के अधिष्ठाता हैं।
जो भी शुद्ध अन्तःकरण से विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Aarti) गाता है, उसके हृदय में ये गुण स्वयं प्रकट होने लगते हैं। पढ़ें विश्वकर्मा जी की आरती–
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनी, और कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जी दुखियों के दुख टारे॥
विनय करी भगवान कृष्ण ने द्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा की प्रभु की लाज बचायो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…
रामचन्द्र ने पूजन की तब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार किया प्रभु लंका विजय करने॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…
श्री कृष्ण की विजय सुनो प्रभु आके दर्श दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाश मेरा जीवन सफल बनाओ॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…
विश्वकर्मा जी की चालीसा पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – विश्वकर्मा चालीसा।
संस्कृत में आरती को निरंजन या आर्तिक्य भी कहा जाता है। पूजन के अन्त में इसे गाने का शास्त्रीय विधान है। इसके पीछे कारण यह है कि पूजा के दौरान यदि कोई त्रुटि हो जाए या इस दौरान किए गए कार्यों में अनजाने ही कोई दोष हो, तो आर्तिक्य के गायन से इनका परिहार हो जाता है।
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विश्वकर्मा जी की आरती रोमन में–
Read Vishwakarma Aarti
prabhu śrī viśvakarmā ghara āvo prabhu viśvakarmā।
sudāmā kī vinaya sunī, aura kaṃcana mahala banāye।
sakala padāratha dekara prabhu jī dukhiyoṃ ke dukha ṭāre॥
vinaya karī bhagavāna kṛṣṇa ne dvārikāpurī banāo।
gvāla bāloṃ kī rakṣā kī prabhu kī lāja bacāyo॥ vi.॥
rāmacandra ne pūjana kī taba setu bāṃdha raci ḍāro।
saba senā ko pāra kiyā prabhu laṃkā vijaya karane॥
vi.॥ śrī kṛṣṇa kī vijaya suno prabhu āke darśa dikhāvo।
śilpa vidyā kā do prakāśa merā jīvana saphala banāo॥ vi.॥