कैला चालीसा – Kaila Devi Chalisa
कैला चालीसा (Kaila Devi Chalisa) का पाठ हृदय में आदि शक्ति के प्रकाश को उत्पन्न करता है। फिर ऐसे शुद्ध अन्तःकरण वाले भक्त के लिए इस जगत में कुछ भी असंभव या अप्राप्य नहीं रह जाता है।
केला मैया तो मन की सारी मुरादें पूर्ण करने वाली है। वह अपने भक्तों की त्रुटियों को भी सहज ही माफ कर देती है। देवी का स्वरूप ही मातृत्वमयी है। जो भी इस कैला चालीसा (Kela Devi Chalisa) को नियमित पढ़ता है उसका हर काम बन जाता है तथा सारे विघ्न स्वयमेव विनष्ट हो जाते हैं। ऐसा भक्त धन, बल, विद्या और बुद्धि से परिपूर्ण हो जाता है तथा जीवन में प्रतिपल उन्नति करता है। संपूर्ण संसार में उसका यश फैलने लगता है और जीवन भर सुख की प्राप्ति होती है। कैला चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत नहीं सताते हैं तथा दुःख-दारिद्र्य का नाश हो जाता है। पढ़ें कैला देवी चालीसा–
यह भी पढे – केला मैया (लोकगीत)
॥ दोहा ॥
जय जय कैला मात हे,
तुम्हे नमाउ माथ।
शरण पडूं में चरण में,
जोडूं दोनों हाथ॥
आप जानी जान हो,
मैं माता अंजान।
क्षमा भूल मेरी करो,
करूँ तेरा गुणगान॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय कैला महारानी।
नमो नमो जगदम्ब भवानी॥
सब जग की हो भाग्य विधाता।
आदि शक्ति तू सबकी माता॥
दोनों बहिना सबसे न्यारी।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी॥
शोभा सदन सकल गुणखानी।
वैद पुराणन माँही बखानी॥
जय हो मात करौली वाली।
शत प्रणाम कालीसिल वाली॥
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी।
हिंगलाज में तू महतारी॥
तू ही नई सैमरी वाली।
तू चामुंडा तू कंकाली॥
नगर कोट में तू ही विराजे।
विंध्यांचल में तू ही राजै॥
धौलागढ़ बेलौन तू माता।
वैष्णवदेवी जग विख्याता॥
यह भी पढ़ें – तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम्
नव दुर्गा तू मात भवानी।
चामुंडा मंशा कल्याणी॥
जय जय सूये चोले वाली।
जय काली कलकत्ते वाली॥
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी।
पार्वती तू ही इन्द्राणी ॥
सरस्वती तू विद्या दाता।
तू ही है संतोषी माता॥
अन्नपुर्णा तू जग पालक।
मात पिता तू ही हम बालक॥
तू राधा तू सावित्री।
तारा मतंग्डिंग गायत्री॥
तू ही आदि सुंदरी अम्बा।
मात चर्चिका हे जगदम्बा॥
एक हाथ में खप्पर राजै।
दूजे हाथ त्रिशूल विराजै॥
कालीसिल पै दानव मारे।
राजा नल के कारज सारे॥
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी।
महिषासुर को मारनवारी॥
रक्तबीज रण बीच पछारो।
शंखासुर तैने संहारो॥
ऊँचे नीचे पर्वत वारी।
करती माता सिंह सवारी॥
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे।
तीन लोक में यश फैलावे॥
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै।
चाँदी के चौतरा विराजै॥
लांगुर घटूअन चलै भवन में।
मात राज तेरौ त्रिभुवन में॥
घनन घनन घन घंटा बाजत।
ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत॥
अगनित दीप जले मंदिर में।
ज्योति जले तेरी घर-घर में॥
चौसठ जोगिन आंगन नाचत।
बामन भैरों अस्तुति गावत॥
देव दनुज गन्धर्व व किन्नर।
भूत पिशाच नाग नारी नर॥
सब मिल माता तोय मनावे।
रात दिन तेरे गुण गावे॥
जो तेरा बोले जयकारा।
होय मात उसका निस्तारा॥
मना मनौती आकर घर सै।
जात लगा जो तोंकू परसै॥
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे।
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै॥
हलुआ पूरी भोग लगावै।
रोली मेहंदी फूल चढ़ावे॥
जो लांगुरिया गोद खिलावै।
धन बल विद्या बुद्धि पावै॥
जो माँ को जागरण करावै।
चाँदी को सिर छत्र धरावै॥
जीवन भर सारे सुख पावै।
यश गौरव दुनिया में छावै॥
जो भभूत मस्तक पै लगावे।
भूत-प्रेत न वाय सतावै॥
जो कैला चालीसा पढ़ता।
नित्य नियम से इसे सुमरता॥
मन वांछित वह फल को पाता।
दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता॥
रक्षा कर कैला महतारी॥
॥ दोहा ॥
संवत तत्व गुण नभ,
भुज सुन्दर रविवार।
पौष सुदी दौज शुभ,
पूर्ण भयो यह कार॥
यह भी पढ़ें – कैला देवी मंदिर
॥ इति कैला देवी चालीसा समाप्त ॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कैला चालीसा (Kela Devi Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कैला चालीसा रोमन में–
Read Kela Devi Chalisa
॥ dohā ॥
jaya jaya kailā māta he,
tumhe namāu mātha।
śaraṇa paḍūṃ meṃ caraṇa meṃ,
joḍūṃ donoṃ hātha॥
āpa jānī jāna ho,
maiṃ mātā aṃjāna।
kṣamā bhūla merī karo,
karū~ terā guṇagāna॥
॥ caupāī ॥
jaya jaya jaya kailā mahārānī।
namo namo jagadamba bhavānī॥
saba jaga kī ho bhāgya vidhātā।
ādi śakti tū sabakī mātā॥
donoṃ bahinā sabase nyārī।
mahimā aparampāra tumhārī॥
śobhā sadana sakala guṇakhānī।
vaida purāṇana mā~hī bakhānī॥
jaya ho māta karaulī vālī।
śata praṇāma kālīsila vālī॥
jvālājī meṃ jyoti tumhārī।
hiṃgalāja meṃ tū mahatārī॥
tū hī naī saimarī vālī।
tū cāmuṃḍā tū kaṃkālī॥
nagara koṭa meṃ tū hī virāje।
viṃdhyāṃcala meṃ tū hī rājai॥
dhaulāgaḍha़ belauna tū mātā।
vaiṣṇavadevī jaga vikhyātā॥
nava durgā tū māta bhavānī।
cāmuṃḍā maṃśā kalyāṇī॥
jaya jaya sūye cole vālī।
jaya kālī kalakatte vālī॥
tū hī lakṣmī tū hī bramhāṇī।
pārvatī tū hī indrāṇī॥
sarasvatī tū vidyā dātā।
tū hī hai saṃtoṣī mātā॥
annapurṇā tū jaga pālaka।
māta pitā tū hī hama bālaka॥
tū rādhā tū sāvitrī।
tārā mataṃgḍiṃga gāyatrī॥
tū hī ādi suṃdarī ambā।
māta carcikā he jagadambā॥
eka hātha meṃ khappara rājai।
dūje hātha triśūla virājai॥
kālīsila pai dānava māre।
rājā nala ke kāraja sāre॥
śumbha niśumbha nasāvani hārī।
mahiṣāsura ko māranavārī॥
raktabīja raṇa bīca pachāro।
śaṃkhāsura taine saṃhāro॥
ū~ce nīce parvata vārī।
karatī mātā siṃha savārī॥
dhvajā terī ūpara phaharāve।
tīna loka meṃ yaśa phailāve॥
aṣṭa prahara mā~ naubata bājai।
cā~dī ke cautarā virājai॥
lāṃgura ghaṭūana calai bhavana meṃ।
māta rāja terau tribhuvana meṃ॥
ghanana ghanana ghana ghaṃṭā bājata।
brahmā viṣṇu deva saba dhyāvata॥
aganita dīpa jale maṃdira meṃ।
jyoti jale terī ghara-ghara meṃ॥
causaṭha jogina āṃgana nācata।
bāmana bhairoṃ astuti gāvata॥
deva danuja gandharva va kinnara।
bhūta piśāca nāga nārī nara॥
saba mila mātā toya manāve।
rāta dina tere guṇa gāve॥
jo terā bole jayakārā।
hoya māta usakā nistārā॥
manā manautī ākara ghara sai।
jāta lagā jo toṃkū parasai॥
dhvajā nāriyala bheṃṭa caḍha़āve।
guṃgara lauṃga so jyoti jalāvai॥
haluā pūrī bhoga lagāvai।
rolī mehaṃdī phūla caḍha़āve॥
jo lāṃguriyā goda khilāvai।
dhana bala vidyā buddhi pāvai॥
jo mā~ ko jāgaraṇa karāvai।
cā~dī ko sira chatra dharāvai॥
jīvana bhara sāre sukha pāvai।
yaśa gaurava duniyā meṃ chāvai॥
jo bhabhūta mastaka pai lagāve।
bhūta-preta na vāya satāvai॥
jo kailā cālīsā paḍha़tā।
nitya niyama se ise sumaratā॥
mana vāṃchita vaha phala ko pātā।
duḥkha dāridra naṣṭa ho jātā॥
govinda śiśu hai śaraṇa tumhārī।
rakṣā kara kailā mahatārī॥
॥ dohā ॥
saṃvata tatva guṇa nabha bhuja sundara ravivāra।
pauṣa sudī dauja śubha pūrṇa bhayo yaha kāra॥
॥ iti kailā devī cālīsā samāpta ॥