धर्म

सुंदरकांड की आरती – Sunderkand Ki Aarti

सुंदरकांड की आरती को प्रायः सुंदरकाण्ड के पाठ के बाद गाया जाता है। इसका प्रतिदिन पाठ करने से मन की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही सुंदरकांड की आरती पढ़ने से जीवन के सभी दुःख-कष्ट और परेशानियाँ दूर हो जाते हैं। यदि किसी के जीवन में कोई काम नहीं बन पा रहा है तो सुंदरकाण्ड-पाठ के साथ सुंदरकांड की आरती के गायन से वह भी पूर्ण होते हैं।

श्री पंचम सौपान की कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥
सरल श्लोक दोहा चौपाई,
गावत सुनत लगत सुखदाई,
निश्चय अरु विश्वास से कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥

सुरसा सिंगीका लंकिनी तारी,
मिलत सिया सो लंका जारी,
श्री मानस के सार की कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥

चूड़ामणि ले पार ही आए,
सीता के सुधि प्रभु ही सुनाए,
ऐसे विद्यावान की कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥

रावण लात विभीषण मारी,
आए शरण लंकेश पुकारी,
ऐसे रघुवर राम की कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥

सकल सुमंगल दायक पढ़े जो,
बिनु जलयान तरे भव जग सो
रसराज ह्रदय मानस की कीजे,
आरती सुंदरकाण्ड की कीजे॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सुंदरकांड आरती को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह आरती रोमन में–

Read Sunderkand Ki Aarti

śrī paṃcama saupāna kī kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥
sarala śloka dohā caupāī,
gāvata sunata lagata sukhadāī,
niścaya aru viśvāsa se kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥

surasā siṃgīkā laṃkinī tārī,
milata siyā so laṃkā jārī,
śrī mānasa ke sāra kī kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥

cūड़āmaṇi le pāra hī āe,
sītā ke sudhi prabhu hī sunāe,
aise vidyāvāna kī kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥

rāvaṇa lāta vibhīṣaṇa mārī,
āe śaraṇa laṃkeśa pukārī,
aise raghuvara rāma kī kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥

sakala sumaṃgala dāyaka paढ़e jo,
binu jalayāna tare bhava jaga so
rasarāja hradaya mānasa kī kīje,
āratī suṃdarakāṇḍa kī kīje॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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