ज्ञानयोग पर प्रवचन – स्वामी विवेकानंद
“ज्ञानयोग पर प्रवचन” स्वामी विवेकानंद ने अमरीका में रहते समय दिये थे जो उनकी एक शिष्या कुमारी एस्. ई. वाल्डो ने लिपिबद्ध कर लिये थे। तत्पश्चात् स्वामी जी के गुरुभाई स्वामी सारदानन्द सन् 1896 ई. में जब वेदान्त के प्रचार हेतु अमरीका गये तब उन्होंने ये भाषण कु. वाल्डो की नोटबुक से लिख लिये।
इन प्रवचनों के साथ स्वामी विवेकानन्द जी के अन्य दो प्रवचनों ‘ज्ञान योग का परिचय’ तथा ‘ज्ञानसाधना’ का सारांश सम्मिलित है। पढ़िए ज्ञान योग के ऊपर ये व्याख्यान हिंदी में–
स्वामी जी ने ज्ञान योग का विवेचन उपनिषद तथा भगवद्गीता के आधार पर किया है और इस प्रकार इन व्याख्यानों में उन्होंने यह स्पष्ट दर्शाया है कि ज्ञानयोग साधक को किस तरह मुक्ति के लक्ष्य की ओर ले जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी बड़े सरल ढंग से बतला दिया है कि ज्ञान योग के मार्ग में सफल होने के लिए किन गुणों तथा साधना की आवश्यकता है। इस ज्ञानयोग का अनुसरण कर आत्मज्ञान में प्रतिष्ठित हो शाश्वत सुख की प्राप्ति किस प्रकार हो सकती है, इसका दिग्दर्शन भी स्वामीजी ने बड़े सुन्दर एवं युक्तियुक्त रूप से किया है। आदर्श जीवनगठन के लिए ज्ञान योग किस रूप से उपयुक्त है, इस सम्बन्ध में स्वामी विवेकानंद के ओजपूर्ण विचार सभी का निश्चित मार्गदर्शन करेंगे।
आदि शंकराचार्य के अनुसार केवल ज्ञान ही मोक्ष का साधन है। शेष सभी उपाय अन्तःकरण को शुद्ध करके ज्ञान प्राप्त करने की पात्रता देते हैं। इन व्याख्यानों में स्वामी जी ने आधुनिक भाषा में इस प्राचीन योग की सरल व सुसंगत विवेचना की है। प्रस्तुत पुस्तक का प्रत्येक अध्याय पठनीय और चिंतनीय है।
“ज्ञानयोग पर प्रवचन” अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित संपूर्ण विवेकानन्द साहित्य से संकलित किये गये है।
स्वामी विवेकानंद की अन्य किताबें
Other Swami Vivekananda Books in Hindi
- कर्मयोग (Karma Yoga in Hindi)
- व्यावहारिक जीवन में वेदांत (Practical Vedanta in Hindi)
- राजयोग (Raja Yoga in Hindi)
- राजयोग पर छः पाठ (Six Lessons on Raja Yoga in Hindi)
- भारत में विवेकानन्द (Bharat Mein Vivekananda)
- ज्ञानयोग
- पवहारी बाबा – स्वामी विवेकानंद कृत पुस्तक
संदीप शाह जी,
आपका बहुत आभारी हूँ मैं। आप की मेहनत के कारण हम सब स्वामी विकेकानंद जी को हिन्दी में पढ़ पा रहे हैं। राज योग, ज्ञान योग और कर्म योग स्वामीजी द्वारा वर्णित और गुडविन द्वारा लिपिबद्ध, जिसका आपने हिन्दी में सरल अनुवाद किया है, उसके लिए यह भारत वर्ष आपका सदा आभारी रहेगा। (ऐसा मेरा मानना है)।
पुनः कोटी कोटी धन्यवाद,
विनोद नानेरिया
विनोद जी, आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए अनेकानेक धन्यवाद। हमारा प्रयास है कि स्वामी विवेकानंद की किताबें और संपूर्ण साहित्य, समस्त वैदिक साहित्य और अन्य स्तरीय हिंदी सामग्री को जन-जन तक पहुँचाया जाए। यद्यपि यहाँ दिया गया अनुवाद हमारा नहीं, बल्कि अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित ग्रंथों का है। इसी तरह आप निरंतर हिंदीपथ पढ़ते रहें और हमारा मार्गदर्शन करते रहें।