भगवान अनंतनाथ की आरती – Anantnath Aarti
भगवान अनंतनाथ की आरती (Anantnath Aarti) के निरंतर पाठ से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती हैI भगवान श्री अनंतनाथ जैन धर्म के चौदहवें तीर्थंकर हुएI कहते हैं कि प्रभु के जन्म से पूर्व उनकी माता को स्वप्न आया जिसमे उन्होंने हीरे मोतियों की एक माला देखी जिसका ना आदि और ना अंत थाI मान्यताओं के अनुसार भगवान अनंतनाथ की आरती जन्म-जन्मान्तर के कष्टों और पापों से मुक्ति दिलाती हैI भगवान अनंतनाथ की आरती पढ़ें और न्याय, मैत्री और दया भावना जैसे गुणों को अपने चरित्र में शामिल करेंI
यह भी पढ़ें – अनंतनाथ चलीसा
करते हैं प्रभू की आरति, आतमज्योति जलेगी।
प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी॥
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तर्यामी॥टेक॥
हे सिंहसेन के राजदुलारे, जयश्यामा प्यारे।
साकेतपुरी के नाथ, अनंत गुणाकर तुम न्यारे॥
तेरी भक्ती से हर प्राणी में शक्ति जगेगी,
प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी॥
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तर्यामी
वदि ज्येष्ठ द्वादशी मे प्रभुवर, दीक्षा को धारा था,
चैत्री मावस में ज्ञानकल्याणक उत्सव प्यारा था।
प्रभु की दिव्यध्वनि दिव्यज्ञान आलोक भरेगी,
प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी॥
सम्मेदशिखर की पावन पूज्य धरा भी धन्य हुई
जहाँ से प्रभु ने निर्वाण लहा, वह जग में पूज्य कही।
उस मुक्तिथान को मैं प्रणमूँ, हर वांछा पूरेगी,
प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी॥
सुनते हैं तेरी भक्ती से, संसार जलधि तिरते,
हम भी तेरी आरति करके, भव आरत को हरते।
चंदनामती क्रम-क्रम से, इक दिन मुक्ति मिलेगी,
प्रभुवर अनंत की भक्ती, सदा सौख्य भरेगी॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान अनंतनाथ की आरती (Anantnath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान अनंतनाथ की आरती रोमन में–
karate haiṃ prabhū kī ārati, ātamajyoti jalegī।
prabhuvara anaṃta kī bhaktī, sadā saukhya bharegī॥
he tribhuvana svāmī, he antaryāmī॥ṭeka॥
he siṃhasena ke rājadulāre, jayaśyāmā pyāre।
sāketapurī ke nātha, anaṃta guṇākara tuma nyāre॥
terī bhaktī se hara prāṇī meṃ śakti jagegī,
prabhuvara anaṃta kī bhaktī, sadā saukhya bharegī॥
he tribhuvana svāmī, he antaryāmī
vadi jyeṣṭha dvādaśī me prabhuvara, dīkṣā ko dhārā thā,
caitrī māvasa meṃ jñānakalyāṇaka utsava pyārā thā।
prabhu kī divyadhvani divyajñāna āloka bharegī,
prabhuvara anaṃta kī bhaktī, sadā saukhya bharegī॥
sammedaśikhara kī pāvana pūjya dharā bhī dhanya huī
jahā~ se prabhu ne nirvāṇa lahā, vaha jaga meṃ pūjya kahī।
usa muktithāna ko maiṃ praṇamū~, hara vāṃchā pūregī,
prabhuvara anaṃta kī bhaktī, sadā saukhya bharegī॥
sunate haiṃ terī bhaktī se, saṃsāra jaladhi tirate,
hama bhī terī ārati karake, bhava ārata ko harate।
caṃdanāmatī krama-krama se, ika dina mukti milegī,
prabhuvara anaṃta kī bhaktī, sadā saukhya bharegī॥