भगवान शांतिनाथ की आरती – Shantinath Aarti
भगवान शांतिनाथ की आरती (Shantinath Aarti) पढ़ने से सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैI भगवान शांतिनाथ जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर हैं और इनका रूप कामदेव के समान मोहक हैI मान्यता है कि भगवान शांतिनाथ की आरती के श्रवण से मन प्रसन्न रहता है तथा सभी प्रकार की भय बाधाएं दूर होती हैI भगवान शांतिनाथ की आरती को भक्तों द्वारा तनाव मुक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए पढ़ा जाता हैI भगवान शांतिनाथ की आरती पढ़ें–
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श्री शांतिनाथ सोलहवें जिन की आरति करो रे॥टेक.॥
प्रभु आरति से सब जन का, मिथ्यात्व तिमिर नश जाता है,
भव-भव के कल्मष धुलकर, सम्यक्त्व उजाला आता है,
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
श्री मोहमहामदनाशक प्रभु की आरति करो रे॥श्री शांति….॥१॥
प्रभु ने जन्म लिया जब भू पर, नरकों में भी शांति मिली।
ऐरादेवी के आंगन में, आनंद की इक लहर चली॥
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
जय विश्वसेन के प्रिय नन्दन की आरति करो रे॥श्री शांति…..॥२॥
शांतिनाथ निज चक्ररत्न से, षट्खंडाधिपती बने।
इस वैभव में शांति न लखकर, रत्नत्रय के धनी बने।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
श्री शांतिनाथ पंचम चक्री की आरति करो रे॥श्री शांति….॥३॥
जो प्रभु के दरबार में आता, इच्छित फल को पाता है।
आत्मशक्ति को विकसित कर, ‘चंदनामती’ शिव पाता है।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
मुक्ति श्री के अधिनायक प्रभु की आरति करो रे॥श्री शांति….॥४॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान शांतिनाथ की आरती (Shantinath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान शांतिनाथ की आरती रोमन में–
śrī śāṃtinātha solahaveṃ jina kī ārati karo re॥ṭeka.॥
prabhu ārati se saba jana kā, mithyātva timira naśa jātā hai,
bhava-bhava ke kalmaṣa dhulakara, samyaktva ujālā ātā hai,
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
śrī mohamahāmadanāśaka prabhu kī ārati karo re॥śrī śāṃti….॥1॥
prabhu ne janma liyā jaba bhū para, narakoṃ meṃ bhī śāṃti milī।
airādevī ke āṃgana meṃ, ānaṃda kī ika lahara calī॥
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
jaya viśvasena ke priya nandana kī ārati karo re॥śrī śāṃti…..॥2॥
śāṃtinātha nija cakraratna se, ṣaṭkhaṃḍādhipatī bane।
isa vaibhava meṃ śāṃti na lakhakara, ratnatraya ke dhanī bane।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
śrī śāṃtinātha paṃcama cakrī kī ārati karo re॥śrī śāṃti….॥3॥
jo prabhu ke darabāra meṃ ātā, icchita phala ko pātā hai।
ātmaśakti ko vikasita kara, ‘caṃdanāmatī’ śiva pātā hai।
ārati karo, ārati karo, ārati karo re,
mukti śrī ke adhināyaka prabhu kī ārati karo re॥śrī śāṃti….॥4॥