भगवान सुमतिनाथ की आरती – Sumatinath Aarti
भगवान सुमतिनाथ की आरती (Sumatinath Aarti) इस भवसागर के कष्टों से तारने वाली है। जैन धर्म के पांचवे तीर्थंकर भगवान सुमतिनाथ की आरती दुःख निवारणी और सुख फल देने वाली है। सच्चे दिल से भगवान सुमतिनाथ का ध्यान सांसारिक बंधनों से मुक्त करके मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। भगवान सुमतिनाथ की आरती पढ़ें और जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति पाएं।
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आरती सुमति जिनेश्वर की,
सुमति प्रदाता, मुक्ति विधाता,
त्रैलोक्य ईश्वर की॥टेक.॥
इक्ष्वाकुवंश के भास्कर,
हे स्वर्णप्रभा के धारी।
सुर, नर, मुनिगण ने मिलकर,
तव महिमा सदा उचारी॥आरती….॥१॥
साकेतपुरी में जन्मे,
माता सुमंगला हरषीं।
जनता आल्हादिक मन हो,
आकर तुम वन्दन करती॥आरती…॥२॥
श्रावण शुक्ला दुतिया को,
प्रभु गर्भकल्याण हुआ है।
फिर चैत्र शुक्ल ग्यारस को,
सुरपति ने न्हवन किया है॥आरती….॥३॥
वैशाख शुक्ल नवमी तिथि,
लौकान्तिक सुरगण आए।
सिद्धों की साक्षीपूर्वक,
दीक्षा ले मुनि कहलाए॥आरती….॥४॥
निज जन्म के दिन ही प्रभु को,
केवल रवि प्रगट हुआ था।
इस ही तिथि शिवरमणी ने,
आ करके तुम्हें वरा था॥आरती….॥५॥
सम्मेदशिखर की पावन,
वसुधा भी धन्य हुई थी।
देवों के देव को पाकर,
मानो कृतकृत्य हुई थी॥आरती….॥६॥
उस मुक्तिथान को प्रणमूं,
नमूं पंचकल्याणक स्वामी।
‘‘चंदनामती’’ तुम आरति,
दे पंचमगति शिवगामी॥आरती….॥७॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान सुमतिनाथ की आरती (Sumatinath Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान सुमतिनाथ की आरती रोमन में–
āratī sumati jineśvara kī,
sumati pradātā, mukti vidhātā,
trailokya īśvara kī॥ṭeka.॥
ikṣvākuvaṃśa ke bhāskara,
he svarṇaprabhā ke dhārī।
sura, nara, munigaṇa ne milakara,
tava mahimā sadā ucārī॥āratī….॥1॥
sāketapurī meṃ janme,
mātā sumaṃgalā haraṣīṃ।
janatā ālhādika mana ho,
ākara tuma vandana karatī॥āratī…॥2॥
śrāvaṇa śuklā dutiyā ko,
prabhu garbhakalyāṇa huā hai।
phira caitra śukla gyārasa ko,
surapati ne nhavana kiyā hai॥āratī….॥3॥
vaiśākha śukla navamī tithi, l
aukāntika suragaṇa āe।
siddhoṃ kī sākṣīpūrvaka,
dīkṣā le muni kahalāe॥āratī….॥4॥
nija janma ke dina hī prabhu ko,
kevala ravi pragaṭa huā thā।
isa hī tithi śivaramaṇī ne,
ā karake tumheṃ varā thā॥āratī….॥5॥
sammedaśikhara kī pāvana,
vasudhā bhī dhanya huī thī।
devoṃ ke deva ko pākara,
māno kṛtakṛtya huī thī॥āratī….॥6॥
usa muktithāna ko praṇamūṃ,
namūṃ paṃcakalyāṇaka svāmī।
‘‘caṃdanāmatī’’ tuma ārati,
de paṃcamagati śivagāmī॥āratī….॥7॥