भगवान वासुपूज्य की आरती – Vasupujya Aarti
भगवान वासुपूज्य की आरती (Vasupujya Aarti) भक्तों द्वारा जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, धन-धान्य और समृद्धि के लिए की जाती हैI भगवान वासुपूज्य जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर हैंI मान्यता है यदि कोई भक्त अपने हृदय में प्रभु के निर्मल स्वरुप को बिठा कर भगवान वासुपूज्य की आरती का पठन-पाठन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और हृदय पावन व शुद्ध होता हैI भगवान वासुपूज्य की आरती को सुनने से इंसान को मानसिक विक्षोभ से मुक्ति मिलती है और उसमें दयाभाव जैसे गुणों का विकास होता हैI
यह भी पढ़ें – वासुपूज्य चालीसा
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति-२, तुम अन्तर्यामी॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
चंपापुर नगरी भी, धन्य हुई तुमसे।स्वामी धन्य……
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे, मात पिता हरषे ॥१॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
बालब्रह्मचारी बन, महाव्रत को धारा। स्वामी महाव्रत……
प्रथम बालयति जग ने, तुमको स्वीकारा ॥२॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
गर्भ जन्म तप एवं, केवलज्ञान लिया। स्वामी…….
चम्पापुर में तुमने, पद निर्वाण लिया ॥३॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
वासवगण से पूजित, वासुपूज्य जिनवर। स्वामी……
बारहवें तीर्थंकर, है तुम नाम अमर ॥४॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
जो कोई तुमको सुमिरे, सुख सम्पति पावे। स्वामी……
पूजन वंदन करके, वंदित हो जावे ॥५॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
घृत आरति ले हम सब, तुम आरति करते। स्वामी…….
उसका फल यह मिले चंदना-मती शुद्ध कर दे ॥६॥
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान वासुपूज्य की आरती (Vasupujya Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान वासुपूज्य की आरती रोमन में–
oṃ jaya vāsupūjya svāmī, prabhu jaya vāsupūjya svāmī।
paṃcakalyāṇaka adhipati-2, tuma antaryāmī॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
caṃpāpura nagarī bhī, dhanya huī tumase।svāmī dhanya……
jayarāmā vasupūjya tumhāre, māta pitā haraṣe ॥1॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
bālabrahmacārī bana, mahāvrata ko dhārā। svāmī mahāvrata……
prathama bālayati jaga ne, tumako svīkārā ॥2॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
garbha janma tapa evaṃ, kevalajñāna liyā। svāmī…….
campāpura meṃ tumane, pada nirvāṇa liyā ॥3॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
vāsavagaṇa se pūjita, vāsupūjya jinavara। svāmī……
bārahaveṃ tīrthaṃkara, hai tuma nāma amara ॥4॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
jo koī tumako sumire, sukha sampati pāve। svāmī……
pūjana vaṃdana karake, vaṃdita ho jāve ॥5॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…
ghṛta ārati le hama saba, tuma ārati karate। svāmī…….
usakā phala yaha mile caṃdanā-matī śuddha kara de ॥6॥
oṃ jaya vāsupūjya svāmī…