चार धाम की आरती – Char Dham Ki Aarti
चार धाम की आरती (Char Dham Ki Aarti) का पाठ करें। इसे पढ़ने चारों धामों के तीर्थाटन का फल होता है। हिंदू धर्म में चारों धाम मुख्य धर्मस्थलों में विशेष स्थान रखते हैं। प्रत्येक हिन्दू की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार चारों धामों के दर्शन अवश्य किए जाएँ। चार धाम की आरती उन्हीं चारों धामों को समर्पित है। इसे पढ़ने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पाप-ताप कट जाते हैं। जो श्रद्धानत होकर चार धाम की आरती पढ़ता है उसके जीवन में सब कुछ सकारात्मकता की ओर उन्मुख हो जाता है। पढ़ें चार धाम की आरती–
चलो रे साधो चलो रे सन्तो,
चन्दन तलाब में नहायस्याँ।
दर्शन ध्यों जगन्नाथ स्वामी,
फेर जन्म नाही पायस्याँ॥
चलो रे साधो चलो रे सन्तो,
रत्नागर सागर नहायस्याँ।
दर्शन ध्यों रामनाथ स्वामी,
फेर जन्म नहीं पायस्याँ॥
चलो रे साधो चलो रे सन्तो,
गोमती गंगा में नहायस्याँ।
दर्शन ध्यो रणछोड़ टीकम,
फेर जन्म नही पायस्याँ॥
चलो रे साधो चलो रे सन्तो,
तपत कुण्ड में नहायस्याँ।
दर्शन ध्यो बद्रीनाथ स्वामी,
फेर जन्म नही पायस्याँ॥
कुण दिशा जगन्नाथ स्वामी,
कुण दिशा रामनाथ जी।
कुण दिशा रणछोड़ टीकम,
कुण दिशा बद्रीनाथ जी॥
पूरब दिशा जगन्नाथ स्वामी,
दखिन दिशा रामनाथ जी।
पश्चिम दिशा रणछोड़ टीकम,
उत्तर दिशा बद्रीनाथ जी॥
केर चढ़े जगन्नाथ स्वामी,
केर चढ़े रामनाथ जी।
केर चढ़े रणछोड़ टीकम,
केर चढ़े बद्रीनाथ जी॥
अटको चढ़े जगन्नाथ स्वामी,
गंगा चढ़े रामनाथ जी।
माखन मिसरी रणछोड़ टीकम,
दल चढ़े बद्रीनाथ जी॥
केर करन जगन्नाथ स्वामी,
केर करण रामनाथ जी
केर करन रणछोड़ टीकम,
केर करण बद्रीनाथ जी॥
भोग करन जगन्नाथ स्वामी,
जोग करन रामनाथ जी।
राज करण रणछोड़ टीकम,
तप करन बद्रीनाथ जी॥
केर हेतु जगन्नाथ जी,
केर हेतु रामनाथ जी।
केर हेतु रणछोड़ टीकम,
केर हेतु बद्रीनाथ जी॥
पुत्र हेतु जगन्नाथ स्वामी,
लक्ष्मी हेतु रामनाथ जी।
भक्ति हेतु रणछोड़ टीकम,
मुक्ति हेतु बद्रीनाथ जी॥
चार धाम अपार महिमा,
प्रेम सहित जो गायसी।
लख चौरासी जुण,
छूटै फेर जन्म नही पायसी॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर चार धाम की आरती (Char Dham Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें चार धाम की आरती रोमन में–
calo re sādho calo re santo,
candana talāba meṃ nahāyasyā~।
darśana dhyoṃ jagannātha svāmī,
phera janma nāhī pāyasyā~॥
calo re sādho calo re santo,
ratnāgara sāgara nahāyasyā~।
darśana dhyoṃ rāmanātha svāmī,
phera janma nahīṃ pāyasyā~॥
calo re sādho calo re santo,
gomatī gaṃgā meṃ nahāyasyā~।
darśana dhyo raṇachoड़ ṭīkama,
phera janma nahī pāyasyā~॥
calo re sādho calo re santo,
tapata kuṇḍa meṃ nahāyasyā~।
darśana dhyo badrīnātha svāmī,
phera janma nahī pāyasyā~॥
kuṇa diśā jagannātha svāmī,
kuṇa diśā rāmanātha jī।
kuṇa diśā raṇachoड़ ṭīkama,
kuṇa diśā badrīnātha jī॥
pūraba diśā jagannātha svāmī,
dakhina diśā rāmanātha jī।
paścima diśā raṇachoड़ ṭīkama,
uttara diśā badrīnātha jī॥
kera caढ़e jagannātha svāmī,
kera caढ़e rāmanātha jī।
kera caढ़e raṇachoड़ ṭīkama,
kera caढ़e badrīnātha jī॥
aṭako caढ़e jagannātha svāmī,
gaṃgā caढ़e rāmanātha jī।
mākhana misarī raṇachoड़ ṭīkama,
dala caढ़e badrīnātha jī॥
kera karana jagannātha svāmī,
kera karaṇa rāmanātha jī
kera karana raṇachoड़ ṭīkama,
kera karaṇa badrīnātha jī॥
bhoga karana jagannātha svāmī,
joga karana rāmanātha jī।
rāja karaṇa raṇachoड़ ṭīkama,
tapa karana badrīnātha jī॥
kera hetu jagannātha jī,
kera hetu rāmanātha jī।
kera hetu raṇachoड़ ṭīkama,
kera hetu badrīnātha jī॥
putra hetu jagannātha svāmī,
lakṣmī hetu rāmanātha jī
bhakti hetu raṇachoड़ ṭīkama,
mukti hetu badrīnātha jī॥
cāra dhāma apāra mahimā,
prema sahita jo gāyasī
lakha caurāsī juṇa,
chūṭai phera janma nahī pāyasī॥