गणतंत्र दिवस पर निबंध
गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी में आपके सामने प्रस्तुत है। इस विस्तृत निबंध में भारतीय गणतंत्र दिवस के प्रत्येक पहलू को लिया गया है। हमें उम्मीद है कि इंडियन रिपब्लिक डे पर हिंदी में यह निबंध सभी विद्यार्थियों के बहुत काम आएगा।
प्रस्तावना
गणतंत्र का अर्थ है ‘जनता द्वारा जनता का शासन’। गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय त्योहार है और इसे सभी भारतीय हर्षोल्लास से मनाते है। सदियों की गुलामी के बाद भारत देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ और इसका संविधान विद्वानों और नेताओं द्वारा तैयार किया गया जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इसी दिन भारत को गणराज्य घोषित किया गया था तथा तभी से भारत का सर्वोच्च शासक राष्ट्रपति को माना गया और यह दिन भारत का गणतंत्र-दिवस कहलाया। इसके बाद से ही प्रति वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस को पूरे भारत देश में राष्ट्र प्रेम के साथ मनाया जाता है लेकिन राजधानी दिल्ली में इस दिवस को विशेष रूप से बहुत उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन को विद्यालयों तथा सरकारी दफ्तरों में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
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गणतंत्र दिवस का इतिहास
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 26 जनवरी की तिथि का अपना विशेष स्थान है। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में स्वर्गीय पं. जवाहरलाल नेहरू ने सन् 1930 में पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी और उन्होंने 26 जनवरी के दिन प्रतिज्ञा की थी कि “जब तक हम पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त न कर लेंगे तब तक हमारा स्वतंत्रता आंदोलन चलता रहेगा और इसे प्राप्त करने के लिए प्राणों की आहुति दे देंगे।” इसके बाद डॉ.बी.आर.अंबेडकर की अध्यक्षता में 4 नवंबर 1947 को भारतीय संविधान के प्रारूप को सदन में रखा गया और अंत में 2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान बनकर तैयार हो गया। इसी कारण 26 जनवरी का दिन ही गणतंत्र दिवस की घोषणा के लिए चुना गया। भारत 26 जनवरी 1950 को भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र गणराज्य घोषित कर दिया गया। उस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लार्ड माउंटबेटन (गवर्नर जनरल) के स्थान पर भारत देश के प्रथम राष्ट्रपति बने और सबसे बड़ी बात यह हुई कि 26 जनवरी 1950 को देश में अपना संविधा, अपनी सरकार, अपना राष्ट्रपति तथा अपना राष्ट्र ध्वज ‘तिरंगा’ हो जाने पर संसार का एक श्रेष्ठ गणराज्य बन गया। 26 जनवरी की तिथि को भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है।
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भारत का संविधान और गणतंत्र दिवस
भारत की बहुरंगी विविधता और संस्कृति विश्व की सभी पुरानी सभ्यताओं में से एक है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसके निर्माता या वास्तुकार डॉ. भीमराव अंबेडकर को माना गया है। भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, इस सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपना कार्य पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के बाद भारत देश को उसका संविधान सौंप दिया था। वर्तमान समय में संविधान में 470 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ है और ये 25 भागों में विभाजित है। इस लिखित संविधान के कारण ही देश को गणतंत्र घोषित किया गया और गणतंत्र दिवस के दिन को भारतवासियों द्वारा गौरव तथा हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाने लगा।
भारत देश में उल्लास का दिन
गणतंत्र दिवस संपूर्ण राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय उल्लास का दिन माना जाता है। इस दिन सभी राज्य की सरकारे तथा केंद्र सरकार अपनी-अपनी राजधानियों में शानदार उत्सव का आयोजन करती है। सभी राष्ट्रीय कार्यालयों, जिला मुख्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। इस दिन लोग राष्ट्र के प्रति अपना राष्ट्र प्रेम अपने-अपने तरीक़े से व्यक्त करते है; जैसे:- समाचार देखकर, विद्यालय में भाषण सुनना या सुनाना, राष्ट्रीय-प्रेम से संबंधित किसी प्रतियोगिता में भाग लेकर आदि। इस दिन के उपलक्ष में विद्यार्थी मंचों पर देश प्रेम से संबंधित गीत प्रस्तुत किया करते है तथा देश-प्रेम पर स्व-रचित कविताएँ भी सुनाते है साथ ही नृत्य का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन अधिक से अधिक लोग कार्यक्रम देखने के लिए उस्थित होते है और हर्ष तथा उल्लास के साथ देश प्रेम में मग्न होते है।
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गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली का सौंदर्य
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में सरकारी दफ्तरों तथा कार्यालयों के आस-पास की सड़के तिरंगे से सजी हुई होती है साथ ही इस दिन चारों ओर साफ़-सफ़ाई और दिनों के मुक़ाबले बेहतर होती है। लोग अपने वाहनों पर तिरंगे को सजाते है तथा बच्चे इस दिन खुशी-खुशी तिरंगे के साथ विद्यालय जाते है। इस दिन लोग देश-प्रेम से संबंधित संगीत अधिक सुनते है तथा राष्ट्र-प्रेम से संबंधित एवं संविधान निर्माण से संबंधित फ़िल्म देखते है। 26 जनवरी को सरकारी छुट्टी में शामिल किया है इसलिए भी लोगों के लिए इस दिन का अधिक महत्त्व है। इस दिन शाम को आतिशबाजी छोड़ी जाती है तथा रात्रि के समय सरकारी भवनों पर रोशनी की चकाचौंध होती है। भारत के सभी गाँवों, शहरों, विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में सभाएँ तथा राष्ट्र-कविसम्मेलन का आयोजन किया जाता है। राष्ट्र-प्रेम का सौंदर्य तथा सभाएँ सबसे अधिक राजधानी दिल्ली में देखने को मिलती है जिसका आयोजन भी बड़े स्तर पर किया जाता है और यहाँ उपस्थित भीड़ भारतवासियों का भारत के प्रति उनमें उपस्थित अगाध देश प्रेम को उजागर करती है।
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राष्ट्र पर्व गणतंत्र दिवस
26 जनवरी का दिन कोई साधारण दिन नहीं है, इस दिन भारत पूर्ण रूप से गणतंत्र हुआ था। भारत 15 अगस्त 1947 को ही स्वतंत्र हुआ लेकिन यह पूर्ण रूप से स्वतंत्र तब से माना जाता है जब 26 जनवरी 1950 को ‘भारत सरकार अधिनियम’ को हटाकर भारत में नवनिर्मित संविधान को लागू किया गया। इसलिए इसे पूरे भारत में पर्व के रूप में मनाया जाता है, यह वह दिन है जब भारत देश को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई अर्थात् देश को अपनी कानूनी व्यवस्था प्राप्त हुई। यह भारत के तीन मुख्य राष्ट्रीय तथा ऐतिहासिक पर्वों में से एक है, इस दिन कार्यालयों तथा विद्यालयों में सरकारी छुट्टी होती है इसलिए एक दिन पहले ही कई जगह इसके कार्यक्रम को पर्व के समान मनाया जता है लेकिन बिहार जैसे राज्य के अधिकतर विद्यालयों में गणतंत्र दिवस का पर्व 26 जनवरी को ही मनाया जाता है और विद्यार्थियों को मिठाइयाँ भी दी जाती है। विद्यार्थियों को भी इस पर्व का इंतजार रहता है इस दिन विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे भारतवासियों का चेहरा तथा मन राष्ट्र-प्रेम से सराबोर होता है।
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गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की परेड
गणतंत्र दिवस पर निबंध दिल्ली की परेड के ज़िक्र के बिना अधूरा है। 26 जनवरी के दिन अर्थात् गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीत राष्ट्र ध्वज ‘तिरंगा’ फहराया जाता हैं और साथ में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में उत्साह से मनाया जाता है और राजपथ पर नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है। भारतीय सेना के वोभिन्न रेजिमेंट, वायु सेना, नौसेना आदि इस भव्य परेड में भाग लेते है। इस भव्य आयोजन में विभिन्न राज्यों तथा विद्यालयों के बच्चे तथा युवा आते हैं, इस समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात मानी जाती है। परेड प्रारंभ करते हुए राजपथ के छोर पर स्थित अमर जवान ज्योति पर पुष्प की माला डालते हुए शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा जाता है। प्रधानमंत्री राजपथ के मंच तक आते है और इसके बाद राष्ट्रपति इस समारोह में आए अन्य देश के मुख्य अतिथि के साथ आते है। इस परेड में भारत देश के सभी राज्य अपनी संस्कृति, अपने लोक गीत व अपनी प्रसिद्ध कला को दृश्य रूप में सब के सामने प्रस्तुत करते है। इस परेड को टेलीवजन के ज़्यादा से ज़्यादा चैनलों पर प्रसारित किया जाता है। प्रदर्शनी को देखने के लिए लाखो की भीड़ एकत्रित होती है। चारों ओर हर्षोल्लास का वातावरण छाया होता है और लोग बड़े आनंद से परेड का आनंद लेते है तथा अपने देश प्रेम को प्रकट करते है।
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गणतंत्र दिवस पर संस्कृति की झलक
गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न राज्य अपने-अपने प्रांत की सभ्यता, संस्कृति, प्रगति और विशेषताओं को दर्शाते हुए सुंदर-सुंदर अद्भुत झाँकियाँ निकालते हैं। विभिन्न प्रदेशों की नृत्य-मंडलियाँ अपने मनमोहक नृत्य को प्रस्तुत करके उत्सव में उल्लास भर देते है और 26 जनवरी के दिन को और भी अधिक आकर्षक बना देते है। विभिन्न राज्यों का विशेष पहनावा तथा उन राज्यों के विशेष स्थानों के बारे भी देखने एवं जानने को मिलता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों में साहस के साथ किए गए महत्त्वपूर्ण काम करने वालों को पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। मनमोहक बैंड की गूंज के साथ संपन्न होने वाला यह कार्यक्रम दर्शकों के लिए राष्ट्र-प्रेम के रूप में यादगार बन जाता है। इस दिन को अर्थात् राष्ट्रीय पर्व को उत्साह से मनाना प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रीय कर्तव्य है। सभी संस्कृतियों की विशेषताओं को देखकर तथा सुनकर लोगों का मन देश प्रेम से प्रफुल्लित हो उठता है। एक के बाद एक संस्कृतियों तथा सभ्यताओं का दर्शकों के सामने आना गणतंत्र दिवस के महत्त्व को और भी अधिक बढ़ा देता है और लोगों में अगले वर्ष भी इस अवसर का हिस्सा बनने की चाह को उत्पन्न करता है।
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अनेकता में एकता का पर्व
गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में अनेक धर्मों के लोग इस दिन के आयोजन को देखने आते हैं तथा अनेक धर्मों के लोग इस दिन होने वाले कार्यक्रम का हिस्सा भी बनते हैं। राष्ट्रपति द्वारा झंडारोहण तथा राष्ट्रगान के बाद प्रत्येक राज्य अपनी-अपनी विविधता को दर्शाते हुए झाँकी प्रस्तुत करते है। हिंदू, मुस्लिम आदि सभी धर्मों के लोग इस पर्व को राष्ट्र-प्रेम तथा उल्लास के साथ मनाते है। इस अवसर पर अनेक सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दस्तों को ट्राफी से सम्मानित किया जाता है तथा अलग-अलग दस्तों द्वार किया जाने वाला मार्च देश की अनेकता में एकता का प्रतीक है। अंत में पुरस्कार वितरण आदि क्रियाएँ होती है और पूरा वातावरण ‘जन गण मन’ के राष्ट्र-प्रेम से सराबोर नज़र आता है। भले ही लोग अलग-अलग प्रांत से संबंध रखते हो लेकिन इस अवसर पर महज़ भारतीय होते है और भारतीय होने तथा अपनी एकता पर गर्व भी करते है।
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26 जनवरी के दिन आयोजन
गणतंत्र दिवस के पर्व को मनाने के लिए तथा रंगारंग कार्यक्रम को प्रस्तुत करने के लिए विद्यालय एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी अत्यधिक उत्साहित होते है। मुख्य रूप से विद्यालयों में खेल, नृत्य आदि शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को उनके साहस को और अधिक प्रबल करते हुए पुरस्कार, इनाम तथा प्रमाण पत्र के साथ-साथ छोटी-बड़ी धनराशी भी प्रदान की जाती है। 26 जनवरी के दिन ऐसा अवसर देखकर अन्य विद्यार्थियों का भी मनोबल बढ़ता है और अपने देश के लिए कुछ अच्छा कर गुजरने का आत्मविश्वास पनपता है। कुछ सामाजिक संस्थाएँ अपने दोस्तों, परिवार, बच्चों तथा अपने संस्था के सदस्यों के साथ मिलकर गणतंत्र दिवस के समक्ष में कार्यक्रम आयोजित करती है और देश प्रेम पर काव्य-पाठ एवं भाषण प्रस्तुत करती है जो देश के लोगों को सही दिशानिर्देश देने में सहायक सिद्ध होता है। इस दिन भारत के साथ-साथ अन्य देश में रहने वाले भारतीय भी राजपथ पर सुबह 8 बजे होने वाले कार्यक्रम को टेलिविजन पर देखने के लिए तैयारी पहले से ही कर लेते है। इस दिन आगे की पीढ़ियाँ अपने देश के गौरवशाली इतिहास को और भी गहराई से समझती तथा जानती है साथ ही कई जगहों पर भाषण, वाद-विवाद व निबंध प्रतियोगिताएँ भी करायी जाती है।
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गणतंत्र दिवस के दिन सैन्य-प्रदर्शन
भारत के सैनिकों के लिए 26 जनवरी का दिन एक महत्त्वपूर्ण पर्व के रूप में स्वीकार किया जाता है। राजधानी दिल्ली के भव्य उत्सव पर भारतीय सैनिक शानदार तथा अद्भुत सैन्य-प्रदर्शन करके भारतवासियों का मन मोह लेते हैं तथा साथ ही दुश्मनों को यह भी दिखाते है कि भारत के वीर भारत माता की रक्षा करने के लिए हमेशा आगे रहते है। जब सैनिक अपने पूरे शस्त्र-अस्त्र और आकर्षण वेशभूषा से सजे हुए पूरे अनुशासन में परेड करते है तब देशवासियों का कलेजा गर्व से फूल उठता है। इस महत्त्वपूर्ण दिन पर भारतीय सेना का भव्य परेड विजय चौक से शुरू होकर इंडिया गेट पर खत्म होता है और इस अवसर पर तीनों भरतीय सेनाओं थल सेना, जल सेना तथा नभ सेना द्वारा वर्तमान राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। इसके साथ ही सेना के लिए एवं सेना द्वारा निर्मित अत्याधुनिक हथियारों और टैंकों का प्रदर्शन भी किया जाता है, इस दिन वायु सेना के लड़ाकू जहाज अपनी जाँबाजी का अद्भुत प्रदर्शन करते हैं। जो कि भारत तथा भारतियों के राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है। विद्यालय तथा महाविद्यालय के छात्र-छात्राएँ भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपनी संगठित शक्ति का परिचय देते हैं और एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस. के सभी जवान यह विश्वास दिलाते हैं कि आधुनिक युग की पीढ़ी भी देश का भार संभालने के लिए तैयार है एवं जब-जब देश को वीरों की आवश्यकता होगी तब-तब हर परिस्थति में देश के वीर भारत के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।
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26 जनवरी दिल्ली का मुख्य उत्सव
गणतंत्र दिवस के दिन पूर्व-संध्या को राष्ट्रपति देश के नाम अपना भाषण प्रस्तुत करते हैं। दिल्ली के विजय-चौक से 26 जनवरी की प्रातः समारोह आरंभ होता है। 21 तोपों की सलामी देकर संपूर्ण भारतवासियों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि भारत की तीनों सेनाएँ अपने कर्तव्य को निभाने के लिए सदा तैयार हैं और पुष्प-वर्षा के बीच राष्ट्रपति जल, थल, नभ सेनाओं के इस अभिवादन को स्वीकार करते है। दिल्ली राजधानी होने के साथ-साथ एक ऐसा राज्य भी है जो अपने राष्ट्र के प्रति हमेशा समर्पित तथा राष्ट्र के हित के लिए कार्य करने में आगे रहता है। दिल्ली में मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस का हिस्सा बनना प्रत्येक भारतवासियों के लिए एक गौरव की बात होती है। दिल्ली के राजपथ पर प्रथम गणतंत्र दिवस के समारोह में सम्मिलित होने वाले प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। गणतंत्र दिवस का अवकाश तीन महत्त्वपूर्ण अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती हैं। जिस संविधान के नाम यह दिवस मनाया जाता है उसे पूर्ण रूप से तैयार होने में लगभग तीन साल का समय लग गया था।
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गणतंत्र दिवस पर निबंध – २६ जनवरी का महत्व
26 जनवरी को मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस भारत के देशवाशियों के मन में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम को और भी अधिक गहरा करता है तथा जनता में आत्मगौरव बढ़ाने का कार्य करता है। साथ ही स्वतंत्रता से पूर्व तथा उसके बाद की स्थितियों के लिए किए गए सुधार में महान नायकों के योगदान तथा सैनिकों का देश के प्रति अगाध प्रेम व उनके बलिदान को भी याद दिलाता है। यह दिन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह दिन भारत के प्रत्येक मनुष्य को अपने संविधान के प्रति जागरूक करता है साथ ही साथ संविधान के महत्त्व को भी समझाता है। भारत 15 अगस्त 1947 को ही स्वतंत्र हो चुका था लेकिन जिस दिन भारत के नागरिक पूर्ण रूप से स्वतंत्र हुए वह दिन 26 जनवरी 1950 का दिन ही था जिसे गणतंत्र दिवस के नाम से जाना जाता है। यह वही दिन था जब भारत देश को स्वयं का संविधान प्राप्त हुआ और यह देश विश्व स्तर पर एक गणतांत्रिक देश के रूप में स्थापित हुआ। आज प्रत्येक मनुष्य किसी भी गलत कार्य को रोक सकता है तथा उसके विरोध में आवाज़ उठा सकता है या अपने लिए सही फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है यहाँ तक महिलाओं को समाज में बराबरी तथा हर सरकारी कार्य-क्षेत्र में आगे बढ़ने की स्वतंत्रता देना आदि महत्त्वपूर्ण सुधार गणतांत्रिक स्वरूप, संविधान तथा इसको तैयार करने वाले सत्यनिष्ठ व्यक्तियों की ही देन हैं।
गणतंत्र दिवस से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
गणतंत्र दिवस पर निबंध में 26 जनवरी के दिन तथा संविधान से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:
- प्रत्येक वर्ष देश के प्रथम नागरिक अर्थात् राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस के समारोह में हिस्सा लेते है तथा तिरंगा फहराते हैं।
- विद्वानों द्वारा कहा गया है कि पहली बार 26 जनवरी 1930 में पूर्ण स्वराज का कार्यक्रम मनाया गया जिसमें अंग्रेजी हुकूमत से पूर्ण रूप से आज़ादी प्राप्ति का प्रण लिया गया था।
- 26 जनवरी के दिन प्रथम बार सुबह लगभग 10 बजकर 18 मिनट पर भारत देश का संविधान लागू हुआ था।
- संविधान में प्राथमिक शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है तथा सभी वर्ग के लोगों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है।
- संविधान की नज़र में प्रत्येक मनुष्य समान माना गया है। साथ ही हर एक व्यक्ति को विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली है।
- गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है और साथ ही यह विश्वास दिलाया जाता है कि भारत की सेना जनता की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगी।
- गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि अन्य देश के होते है, भारत देश के प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
- राजपथ पर गणतंत्र दिवस का आयोजन भारत में पहली बार सन् 1955 में किया गया था।
- प्रारूप समिति सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी जो लगभग 20 समितियों में से एक थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण संविधान को लिखना या निर्माण करना था।
गणतंत्र दिवस वर्ष 2021 में
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था और इसी के साथ भारत के नागरिकों को कानूनी रूप से अधिकार प्राप्त हुए थे। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुछ खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा इसे हर वर्ष उत्साह, उमंग, हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता है, लोग एक-दूसरे को गणतंत्र दिवस की बधाइयाँ देते हैं लेकिन कोरोना जैसी महामारी की वजह से इस वर्ष सरकार को बहुत से बदलाव करने पड़े थे लेकिन फिर भी लोगों के देश प्रेम और जोश पर इन बदलावों की वजह से कुछ ख़ास किस्म का फर्क देखने को नहीं मिला। 26 जनवरी 2021 को भारत तथा भारतवासियों ने अपना 72वाँ गणतंत्र दिवस उसी जोश के साथ मनाया जैसे पहले मनाया करते थे। इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर कोरोना वायरस फैलने के कारण दर्शकों तथा अतिथियों की संख्या को कम किया गया था तथा इस बार 26 जनवरी 2021 को लगभग 25,000 लोग ही राजपथ से गणतंत्र दिवस का परेड देख पाए थे जबकि पहले यह संख्या लाखों में होती थी। नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को परेड का हिस्सा नहीं बनाया गया तथा दिव्यांग बच्चों को शामिल नहीं किया गया। फिर भी लोगों का अपने देश के प्रति प्रेम घटा नहीं अपितु और अधिक बढ़ गया और अधिकतर संस्थानों, विद्यालयों तथा महाविद्यालयों ने नए-नए तकनीकी प्रयोग के सहयोग से अपने-अपने कार्यक्रमों को सफल बनाया तथा यह भी दर्शाया कि भारत के नागरिक हर परिस्थिति में भारत का सहयोग करते है, अपने राष्ट्र के प्रति उनका प्रेम तथा जोश किसी भी परिस्थिति में कम नहीं हो सकता।
गणतंत्र दिवस पर निबंध – निष्कर्ष
गणतंत्र दिवस वह तीन राष्ट्र पर्वों में से एक है जो भारत के प्रत्येक नागरिक को गणतंत्र होने का अहसास कराता है। इस दिन भारत के सैन्य शक्ति को देखा जा सकता है जो यह संदेश देता है कि जल, थल तथा वायु सेना पूर्ण रूप से सक्षम हैं अपने देश की रक्षा करने के लिए। विद्यालय, महाविद्यालय तथा संस्थानों में विद्यार्थी एवं संस्था के लोग नाटक, परेड, खेल, नृत्य, संगीत, काव्य-पाठ आदि क्रियाओं द्वारा इस राष्ट्र-पर्व को मनाते है तथा अंत में सभी मिठाई लेकर अपने-अपने घरों को जाते है। दिल्ली में गणतंत्र दिवस का सबसे अधिक सुंदर तथा भव्य आयोजन किया जाता है। देश के संविधान की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी का प्रण प्रत्येक नागरिक को अवश्य लेना चाहिए। यह दिन भारत देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन माना जाता है इसलिए गणतंत्र दिवस के राष्ट्र-पर्व को भारत के प्रत्येक नागरिक को हर्षोल्लास, उत्साह, प्रेम, जोश तथा सम्मान के साथ मनाना चाहिए।
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हमें उम्मीद है कि गणतंत्र दिवस पर निबंध आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। इसमें हमने इस ख़ास दिन से जुड़े सभी बिंदुओं को शामिल किया है। विशेषतः छात्र-छात्राएँ अवश्य ही इससे लाभान्वित होंगे। आप अन्य किन विषयों पर निबंध पढ़ना चाहते हैं, कृपया टिप्पणी करके हमें अवश्य बताएँ।
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