धर्म

गुरु चालीसा – Guru Chalisa

गुरु चालीसा का नियमित पाठ चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न करने वाला है। इस संसार में सद्गुरु से बढ़कर कोई अपना नहीं है।

गुरु ही है जो हमारा सच्चा हितैशी होता है। वही हमें सही मार्ग पर लगाकर संसार-सागर पार कराता है। गुरु के प्रति श्रद्धा-भक्ति हो तो जगत में कुछ भी कठिन नहीं रह जाता है। अतः गुरु चालीसा (Guru Chalisa) पढ़ने से सहज ही जीवन से दुःख और दारिद्र्य विदा हो जाते हैं। साथ ही अन्तःकरण में ज्ञान की ज्योति का प्रकाश उत्पन्न हो जाता है। यही तो सद्गुरु की महिमा है। वस्तुतः सद्गुरु कोई व्यक्ति विशेष नहीं है। अध्यात्म की दृष्टि से देखें तो गुरु एक चैतन्य तत्त्व है जो सदैव अपने शिष्यों की तथा परंपरा की उन्नति में सहायता करने के लिए इच्छुक रहता है। उसकी कृपा की बरसात तो हर पल, प्रति क्षण हो रही है। बस उसे हृदय में स्थापित कर स्मरण मात्र करना है। पढ़ें गुरु चालीसा हिंदी में–

॥ दोहा ॥
ॐ नमो गुरुदेवजी,
सबके सरजन हार।
व्यापक अंतर बाहर में,
पार ब्रह्म करतार॥

देवन के भी देव हो,
सिमरुं मैं बारम्बार।
आपकी किरपा बिना,
होवे न भव से पार॥

ऋषि-मुनि सब संत जन,
जपें तुम्हारा जाप।
आत्मज्ञान घट पाय के,
निर्भय हो गये आप॥

गुरु चालीसा जो पढ़े,
उर गुरु ध्यान लगाय।
जन्म-मरण भव दुःख मिटे,
काल कबहुँ नहीं खाय॥

गुरु चालीसा पढ़े-सुने,
रिद्धि-सिद्धि सुख पाय।
मन वांछित कारज सरें,
जन्म सफल हो जाय॥

॥ चौपाई ॥
ॐ नमो गुरुदेव दयाला,
भक्तजनों के हो प्रतिपाला।
पर उपकार धरो अवतारा,
डूबत जग में हंस एक उबारा॥

तेरा दरश करें बड़भागी,
जिनकी लगन हरि से लागी।
नाम जहाज तेरा सुखदाई,
धारे जीव पार हो जाई॥

पारब्रह्म गुरु हैं अविनाशी,
शुद्ध स्वरूप सदा सुखराशी।
गुरु समान दाता कोई नाहीं,
राजा प्रजा सब आस लगायी॥

गुरु सन्मुख जब जीव हो जावे,
कोटि कल्प के पाप नसावे।
जिन पर कृपा गुरु की होई,
उनको कमी रहे नहीं कोई॥

हिरदय में गुरुदेव को धारे,
गुरु उसका हैं जन्म सँवारें।
रामलखन गुरु सेवा जानी,
विश्व-विजयी हुए महाज्ञानी॥

कृष्ण गुरु की आज्ञा धारी,
स्वयं जो पारब्रह्म अवतारी।
सद्गुरु कृपा अति है भारी,
नारद की चौरासी टारी॥

कठिन तपस्या करें शुकदेव,
गुरु बिना नहीं पाया भेद।
गुरु मिले जब जनक विदेही,
आतमज्ञान महा सुख लेही॥

व्यास, वसिष्ठ मर्म गुरु जानी,
सकल शास्त्र के भये अति ज्ञानी।
अनंत ऋषि मुनि अवतारा,
सद्गुरु चरण-कमल चित धारा॥

सद्गुरु नाम जो हृदय धारे,
कोटि कल्प के पाप निवारे।
सद्गुरु सेवा उर में धारे,
इक्कीस पीढ़ी अपनी वो तारे॥

पूर्वजन्म की तपस्या जागे,
गुरु सेवा में तब मन लागे।
सद्गुरु-सेवा सब सुख होवे,
जनम अकारथ क्यों है खोवे॥

सद्गुरु सेवा बिरला जाने,
मूरख बात नहीं पहिचाने।
सद्गुरु नाम जपो दिन-राती,
जन्म-जन्म का है यह साथी॥

अन्न-धन लक्ष्मी जो सुख चाहे,
गुरु सेवा में ध्यान लगावे।
गुरुकृपा सब विघ्न विनाशी,
मिटे भरम आतम परकाशी॥

पूर्व पुण्य उदय सब होवे,
मन अपना सद्गुरु में खोवे।
गुरु सेवा में विघ्न पड़ावे,
उनका कुल नरकों में जावे॥

गुरु सेवा से विमुख जो रहता,
यम की मार सदा वह सहता।
गुरु विमुख भोगे दुःख भारी,
परमारथ का नहीं अधिकारी॥

गुरु विमुख को नरक न ठौर,
बातें करो चाहे लाख करोड़।
गुरु का द्रोही सबसे बूरा,
उसका काम होवे नहीं पूरा॥

जो सद्गुरु का लेवे नाम,
वो ही पावे अचल आराम।
सभी संत नाम से तरिया,
निगुरा नाम बिना ही मरिया॥

यम का दूत दूर ही भागे,
जिसका मन सद्गुरु में लागे।
भूत, पिशाच निकट नहीं आवे,
गुरुमंत्र जो निशदिन ध्यावे॥

जो सद्गुरु की सेवा करते,
डाकन-शाकन सब हैं डरते।
जंतर-मंतर, जादू-टोना,
गुरु भक्त के कुछ नहीं होना॥

गुरू भक्त की महिमा भारी,
क्या समझे निगुरा नर-नारी।
गुरु भक्त पर सद्गुरु बूठे,
धरमराज का लेखा छूटे॥

गुरु भक्त निज रूप ही चाहे,
गुरु मार्ग से लक्ष्य को पावे।
गुरु भक्त सबके सिर ताज,
उनका सब देवों पर राज॥

॥ दोहा ॥
यह सद्गुरु चालीसा,
पढ़े सुने चित्त लाय।
अंतर ज्ञान प्रकाश हो,
दरिद्रता दुःख जाय॥

गुरु महिमा बेअंत है,
गुरु हैं परम दयाल।
साधक मन आनंद करे,
गुरुवर करें निहाल॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गुरु चालीसा (Guru Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गुरु चालीसा रोमन में–

॥ dohā ॥
oṃ namo gurudevajī,
sabake sarajana hāra।
vyāpaka aṃtara bāhara meṃ,
pāra brahma karatāra॥

devana ke bhī deva ho,
simaruṃ maiṃ bārambāra।
āpakī kirapā binā,
hove na bhava se pāra॥

ṛṣi-muni saba saṃta jana,
japeṃ tumhārā jāpa।
ātmajñāna ghaṭa pāya ke,
nirbhaya ho gaye āpa॥

guru cālīsā jo paḍha़e,
ura guru dhyāna lagāya।
janma-maraṇa bhava duḥkha miṭe,
kāla kabahu~ nahīṃ khāya॥

guru cālīsā paḍha़e-sune,
riddhi-siddhi sukha pāya।
mana vāṃchita kāraja sareṃ,
janma saphala ho jāya॥

॥ caupāī ॥
oṃ namo gurudeva dayālā,
bhaktajanoṃ ke ho pratipālā।
para upakāra dharo avatārā,
ḍūbata jaga meṃ haṃsa1 ubārā॥

terā daraśa kareṃ baḍa़bhāgī,
jinakī lagana hari se lāgī।
nāma jahāja terā sukhadāī,
dhāre jīva pāra ho jāī॥

pārabrahma guru haiṃ avināśī,
śuddha svarūpa sadā sukharāśī।
guru samāna dātā koī nāhīṃ,
rājā prajā saba āsa lagāyī॥

guru sanmukha jaba jīva ho jāve,
koṭi kalpa ke pāpa nasāve।
jina para kṛpā guru kī hoī,
unako kamī rahe nahīṃ koī॥

hiradaya meṃ gurudeva ko dhāre,
guru usakā haiṃ janma sa~vāreṃ।
rāma-lakhana guru sevā jānī,
viśva-vijayī hue mahājñānī॥

kṛṣṇa guru kī ājñā dhārī,
svayaṃ jo pārabrahma avatārī।
sadguru kṛpā ati hai bhārī,
nārada kī caurāsī ṭārī॥

kaṭhina tapasyā kareṃ śukadeva,
guru binā nahīṃ pāyā bheda।
guru mile jaba janaka videhī,
ātamajñāna mahā sukha lehī॥

vyāsa, vasiṣṭha marma guru jānī,
sakala śāstra ke bhaye ati jñānī।
anaṃta ṛṣi muni avatārā,
sadguru caraṇa-kamala cita dhārā॥

sadguru nāma jo hṛdaya dhāre,
koṭi kalpa ke pāpa nivāre।
sadguru sevā ura meṃ dhāre,
ikkīsa pīḍha़ī apanī vo tāre॥

pūrvajanma kī tapasyā jāge,
guru sevā meṃ taba mana lāge।
sadguru-sevā saba sukha hove,
janama akāratha kyoṃ hai khove॥

sadguru sevā biralā jāne,
mūrakha bāta nahīṃ pahicāne।
sadguru nāma japo dina-rātī,
janma-janma kā hai yaha sāthī॥

anna-dhana lakṣmī jo sukha cāhe,
guru sevā meṃ dhyāna lagāve।
gurukṛpā saba vighna vināśī,
miṭe bharama ātama parakāśī॥

pūrva puṇya udaya saba hove,
mana apanā sadguru meṃ khove।
guru sevā meṃ vighna paḍa़āve,
unakā kula narakoṃ meṃ jāve॥

guru sevā se vimukha jo rahatā,
yama kī māra sadā vaha sahatā।
guru vimukha bhoge duḥkha bhārī,
paramāratha kā nahīṃ adhikārī॥

guru vimukha ko naraka na ṭhaura,
bāteṃ karo cāhe lākha karoḍa़।
guru kā drohī sabase būrā,
usakā kāma hove nahīṃ pūrā॥

jo sadguru kā leve nāma,
vo hī pāve acala ārāma।
sabhī saṃta nāma se tariyā,
nigurā nāma binā hī mariyā॥

yama kā dūta dūra hī bhāge,
jisakā mana sadguru meṃ lāge।
bhūta, piśāca nikaṭa nahīṃ āve,
gurumaṃtra jo niśadina dhyāve॥

jo sadguru kī sevā karate,
ḍākana-śākana saba haiṃ ḍarate।।
jaṃtara-maṃtara, jādū-ṭonā,
guru bhakta ke kucha nahīṃ honā॥

gurū bhakta kī mahimā bhārī,
kyā samajhe nigurā nara-nārī।
guru bhakta para sadguru būṭhe,
dharamarāja kā lekhā chūṭe॥

guru bhakta nija rūpa hī cāhe,
guru mārga se lakṣya ko pāve।
guru bhakta sabake sira tāja,
unakā saba devoṃ para rāja॥

॥ dohā ॥
yaha sadguru cālīsā,
paḍha़e sune citta lāya।
aṃtara jñāna prakāśa ho,
daridratā duḥkha jāya॥

guru mahimā beaṃta hai,
guru haiṃ parama dayāla।
sādhaka mana ānaṃda kare,
guruvara kareṃ nihāla॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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