कार्तिकेय आरती – Kartikey Aarti
कार्तिकेय आरती पढ़ने से भगवान शिव तथा माता पार्वती के पुत्र और गणेश जी के भाई भगवान कार्त्तिकेय की प्रसन्नता अवश्य ही प्राप्त होती है। भगवान कार्तिकेय युद्ध, विवाद और विषम परिस्थितियों में सफलता दिलाने वाले हैं। समस्त संसार में ऐसा कुछ नहीं जो कार्तिकेय आरती के भक्तिपूर्वक किए गए पाठ से अप्राप्य हो। कार्तिकेय भगवान को स्कंद कुमार के नाम से भी जाना और पूजा जाता है। उनकी कृपा अपने भक्तों पर सदैव सहज ही बनी रहती है।
भगवान कार्तिकेय प्रत्येक भक्त को सही मार्ग दिखाते हैं और उनकी भक्ति हृदय को निर्मल बनाने का कार्य करती है। भगवान के पूजन के पश्चात इस आरती को अवश्य पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से भगवान कार्तिकेय की पूजा में यदि कोई दोष रह गया हो, तो वह दूर हो जाता है। वस्तुतः आरती पढ़ने का मुख्य उद्देश्य शास्त्रों में यही कहा गया है कि इसके पाठ से पूजा के दौरान हुई सभी त्रुटियों का परिमार्जन हो जाता है। पढ़ें कार्तिकेय आरती हिंदी में–
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय
जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कार्तिकेय आरती ( Kartikey Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान कार्तिकेय जी की आरती रोमन में–
Read Kartikey Aarti
jaya jaya āratī veṇu gopālā
veṇu gopālā veṇu lolā
pāpa vidurā navanīta corā
jaya jaya āratī veṃkaṭaramaṇā
veṃkaṭaramaṇā saṃkaṭaharaṇā
sītā rāma rādhe śyāma
jaya jaya āratī gaurī manohara
gaurī manohara bhavānī śaṃkara
sadāśiva umā maheśvara
jaya jaya āratī rāja rājeśvari
rāja rājeśvari tripurasundari
mahā sarasvatī mahā lakṣmī
mahā kālī mahā lakṣmī
jaya jaya āratī ānjaneya
ānjaneya hanumantā
jaya jaya ārati dattātreya
dattātreya trimurti avatāra
jaya jaya āratī siddhi vināyaka
siddhi vināyaka śrī gaṇeśa
jaya jaya āratī subrahmaṇya
subrahmaṇya kārtikeya