निबंध

वर्षा ऋतु पर निबंध – Varsha Ritu Par Nibandh

वर्षा ऋतु पर निबंध बारिश के मौसम की विशेषताओं को समेटे है। इसमें वर्षा ऋतु का हर पहलू भली-भाँति समाहित किया गया है। विद्यार्थियों के लिए यह निबंध निश्चित ही बहुत उपयोगी रहेगा। पढ़ें “वर्षा ऋतु पर निबंध”–

प्रस्तावना

चिलचिलाती धूप और अधिक गर्मी के बाद जून महीने के आरंभ में ही वर्षा ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इस मौसम के आगमन से लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलती है और वातावरण खुशनुमा बना रहता है। यह एक सुहावना मौसम है जिसके आने से किसानों को अधिक राहत मिलता है साथ ही लाभ प्राप्त होता है क्योंकि अधिकतर अच्छी फसल वर्षा पर ही निर्भर करती है। आज भी बहुत से ऐसे गाँव है जहाँ पानी की कमी है और वहाँ वर्षा के पानी से पूर्ती संभव हो पाती है, तलाबों और नहरों में पानी भरने के बाद ही लोग पानी का इस्तेमाल अपने अनुसार कर पाते है।

इस ऋतु में पेड़-पौधे तेज़ी से अपना विकास करते है जिसके कारण चारों तरफ हरे-भरे पेड़ नज़र आते है ऐसा दृश्य मनुष्य के मन को आनंदित करता है। वर्षा ऋतु केवल खुशियाँ ही लेकर नहीं आता अपितु कभी-कभी अपने विकराल रूप में भी दस्तक देता है अत्यधिक वर्षा बाढ़ जैसे संकट का कारण बनती है जिसका सबसे अधिक प्रभाव ग्रामीण जनता पर पड़ता है साथ ही लगातार होने वाली बारिश के कारण गाँव के गाँव डूब जाते है और मनुष्य को प्रकृति के साथ-साथ बहुत बड़े स्तर पर जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तथा अनेक प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इस मौसम में रोगों के फैलने की अधिक संभावना होती हैं इसलिए सभी मनुष्य को इस ऋतु में सावधान रहने की भी आवश्यकता होती है।

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वर्षा ऋतु का आरंभ

भारत देश में मुख्य चार ऋतुओं में से वर्षा ऋतु अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है इसका आरंभ जून माह में हो जाता है। यह अधिकतर लोगों का पसंदीदा तथा प्रिय समय होता है क्योंकि इस मौसम में धरती पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली देखने को मिलती है, आसमान साफ-साफ एवं स्वच्छ दिखता है तथा मिट्टी की खुशबू पूरे वतावरण में फैल जाती है जो मनुष्य के मन को आनंद प्रदान करती है इसके साथ ही इस मौसम की प्रियता का कारण यह भी है कि इसका प्रारंभ शरीर को झुलसा देने वाली धूप तथा परेशान करने वाली गर्मी के बाद होता है जो लोगों को अधिक राहत प्रदान करता है।

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इस मौसम में बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी बचपना उभरने लगता है, शहर की गलियों में लोग काग़ज की नाव बनाकर बारिश के बहते पानी में छोड़ते हुए नज़र आते है। इस मौसम से होने वाले नुकसान से बचने के लिए भी लोग पहले से अपने घरों की मरम्मत कराते है। यह ऋतु सभी प्राणियों के लिए नव जीवन लेकर आता है, इस मौसम में राष्ट्रीय पक्षी मोर को बरसात में नाचते हुए देखा जा सकता है जो कि बेहद सौंदर्य भरा दृश्य होता है।

साथ ही इस मौसम में कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोकगीत गाने की परंपरा भी देखी जाती है। भीषण गर्मी के कारण जो नदी, झील, नालें, तालाब आदि सुख जाते हैं वे सब लगातार होने वाली बारिश के कारण भरने लगते हैं और आगामी समय में लोगों के लिए अधिक उपयोगी साबित होते है। खेतों के लिए तथा फसल लगाने के लिए जल की अधिक मात्रा में आवश्यकता है और वर्षा ऋतु इस आवश्यकता की पूर्ति पूर्ण रूप से करता है।

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वर्षा ऋतु में इंद्रधनुष का सौंदर्य

यह एक ऐसा ऋतु है जिसमें इंद्रधनुष के सौंदर्य को अनेक बार देखा जा सकता है। सात रंगों का यह दृश्य अत्यधिक मनभावन होता है जिसे हर उम्र के मनुष्य देखना पसंद करते हैं और प्रकृति के इस मनभावन दृश्य को देखने के लिए अनेक लोग वर्षा के दिनों का इंतज़ार करते है। वातावरण तो खुशनुमा होता ही है लेकिन जिस-जिस दिन इंद्रधनुष का सतरंगी दृश्य साफ-साफ दिखाई देता है उस दिन के सौंदर्य में मानो चार चाँद लग जाता है और लोगों के जीवन में खुशियों के रंग भर जाते है।

मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षी भी इस मौसम का बेसब्री से इंतज़ार करते और राहत की साँस लेते है। इन दिनों असमान भी साफ-साफ और आसमानी चमक के साथ दिखाई देता है। कभी-कभी इंद्रधनुष के सातों रंग दिखाई देते जिसे मनुष्य अपने कैमरे में कैद कर लेते है। आज-कल पेड़-पौधों की लगातार कटाई और बढ़ते प्रदूषण के कारण यह दृश्य भी बहुत कम देखने को मिलता है।
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वर्षा ऋतु और त्योहार

इस मौसम में मनमोहक वातावरण के साथ-साथ त्योहारों के आने की ख़ुशी भी लोगों के मन में होती है। इस ऋतु के आने के बाद ही भारत देश में त्योहारों की कतार लग जाती है और वातावरण में मौजूद नमी मनुष्य के शरीर को राहत प्रदान करती है जो लोगों के त्योहारों की ख़ुशी को और भी बढ़ा देता है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत देश में त्योहारों का आगमन वर्षा ऋतु के बाद होता है क्योंकि अधिकतर त्योहार इसी मौसम के बाद आते है। इस मौसम के बाद ही भारत देश में तीज, रक्षा बंधन, ओणम जैसे आदि प्रसिद्ध त्योहार भारतवासियों द्वारा हर्ष के साथ मनाए जाते है। यह कहा जा सकता है कि वर्षा ऋतु सभी महत्त्वपूर्ण त्योहारों के स्वागत की तैयारी करता है और धरती को हरा-भरा बनाकर मनुष्य के त्योहार तथा उनकी ख़ुशियों में चार चाँद लगा देता है।

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वर्षा का दृश्य – वर्षा ऋतु पर निबंध

इस ऋतु के आते ही सर्वत्र उल्लास छा जाता है और जीव-जंतु के अंदर आनंद के बीज फूटने लगते है। चारों ओर वर्षा का पानी भरा होता है और उसमें मेंढकों की भरमार होती जिनकी टर-टर सुबह-शाम कानों में गूँजती रहती है इस जीव की ऐसी ध्वनि केवल बरसात के मौसम में ही अधिक सुनने को मिलती है। एक तरफ चमकती हुई बिजली आसमान की शोभा को बढ़ाती है तो दूसरी ओर बरसात की बूँदों के साथ पेड़-पौधें झूमते हुए नज़र आते है।

गाँव के तालाबों और नहरों में पानी लबालब भरा होता है जिसका आस-पास के लोग भरपूर उपयोग करते है। इस मौसम में अनेक रंग-बिरंगे फूल खिलते है जो इस मौसम को और भी रोमांचित बना देते है। धरती का ऐसा सौंदर्य रूप देखकर बादल भी प्रेमी के समान धरती पर अपना प्रेम रूपी जल बरसाने लगते है तथा पृथ्वी को और भी अधिक शोभायमान बना देते है। सूरज की गर्मी से जल रहे खेतों को जल मिलता है, इस मौसम में पहली बरसात को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे धरती की प्यास समाप्त हो रही हो।

इस मौसम में वर्षा के समय का निर्धारण मौसम विभाग के सदस्य भी नहीं कर पाते कभी तो बिना काले बादलों के ही अचानक बरसात होने लगती है और कभी-कभी तेज़ आँधी-तूफ़ान के साथ-साथ काले-काले बादल हो तब भी बरसात नहीं होती साथ ही कभी-कभी लगातार घंटों तक वर्षा होती रह जाती है। इसके कारण मौसम संबंधित आकाशवाणी तथा दूरदर्शन की ख़बरें कभी-कभी गलत सिद्ध हो जाती है। कभी-कभी बरसात के रुकने ही वाली होती है कि फिर से झमाझम बारिश होने लगती है। इस प्रकार इस मौसम में वातावरण बदलता है।

यह मौसम आम जनता के लिए कई प्रकार की परेशानियाँ भी साथ ले आता है जिसका सामना करना कभी-कभी सरल नहीं होता साथ ही बाढ़ जैसी भयानक प्राकृतिक आपदा को भी मनुष्य तथा सरकार को झेलना पढ़ता है।

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वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान

यह ऋतु किसान तथा फसलों के लिए एक वरदान माना जाता है, इस मौसम में मुख्य रूप से ख़रीफ़ फसलों को बोया जाता है। ऐसी फसलों के लिए पानी की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है इसलिए यह मौसम किसानों के लिए अधिक महत्त्व रखता है। किसान वर्षा के जल को तालाबों तथा कुछ बड़े-बड़े गड्ढों में जमा करते है जिसका प्रयोग भविष्य में ज़रूरत पड़ने पर कर सके। इस मौसम के आगमन से किसानों की फसले हरी-भरी और मनभावन हो जाती है साथ ही सभी फसल धीरे-धीरे वृद्धि करने लगती है इसलिए अधिकतर खेत चारों ओर फसलों से भरे हुए नज़र आते हैं।

वर्षा ऋतु के आने से प्रकृति की सुंदरता में चार चाँद लग जाता है और अधिकतर मनुष्य को हरियाली बहुत पसंद होती जो कि इस मौसम में अधिक देखने को मिलती है इसलिए यह मौसम अनेक लोगों का प्रिय मौसम भी है। किसान को इस मौसम में अपने फसलों की सिंचाई के लिए भरपूर जल प्राप्त होता है जिसके कारण उनकी फसल बिना किसी रुकावट के फलती और फूलती है।

भारत देश के ज्यादातर किसान मानसून आधारित बारिश पर ही अपनी फसल बोते है। किसान तपती गर्मी में खेतों में निराई, गुड़ाई, करते है जो कि अत्यधिक मेहनत का काम होता है इसके बाद खेतों में बीजों को डालने का काम करते है। भीषण गर्मी के बाद किसान आसमान में देखते हुए बरसात होने के राह देखते है और जब वर्षा होती है तब किसान हर्ष से भर जाते इसके बाद किसानों के खेतों में मानो रौनक आ जाती है; सभी खेतों में फल, सब्जियाँ, आदि फसल भरपुर मात्रा में उगने लगती है जिसका लाभ किसान और आम जनता को मिलता है।

बारिश का सबसे अधिक महत्त्व किसानों के लिए है क्योंकि किसान ही मनुष्य की पेट की भूख को समाप्त करने के लिए फल, सब्जियाँ और अनाज उगाते है तथा स्वयं इस उत्पादन के बदले में धन राशी प्राप्त करते हैं और अपनी आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करते है। किसानों के लिए वर्षा ईश्वरीय वरदान के रूप में माना जाता है जो कि शरीर को जला देने वाली धूप में खड़े होकर खेतों में की गई उनकी कड़ी मेहनत को सफल बनाता है।

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वर्षा के दिनों प्रकृति का सौंदर्य

इन दिनों प्राकृतिक सौंदर्य भी निखरने लगता है, सभी फल-फूल गर्मी से झुलसने के बाद वर्षा के जल से राहत प्राप्त करते है और हवा के साथ झूमते है। इस मौसम में नैनीताल आदि सभी पहाड़ी इलाकों का सौंदर्य देखते बनता है जो कि मनुष्य को अपनी ओर अधिक आकर्षित करता है। ऐसे मौसम में लोग अधिक से अधिक वृक्ष लगाते है जो कि एक सराहनीय कार्य है एवं वर्षा ऋतु में बारिश का जल तलाबों, कुओं, नहरों में पानी लबालव भर जाता है जिसका उपयोग ग्रामीण इलाकों में बसे हुए मनुष्य भविष्य में करते है और अपने रोज़मर्रा के कार्यों को पूर्ण करते हैं।

इस मौसम में कभी हल्का नीला-नीला साफ आसमान दिखता है तो कभी गहरे काले बादल साथ ही कभी-कभी दोपहर में अंधेरा छाने लगता है आदि प्रकृति के यह सभी दृश्य बच्चों को आश्चर्यजनक लगने लगते हैं साथ ही आनंद देने वाले भी; बच्चे और युवा इस मौसम का खूब आनंद लेते है और बरसात में भीगते है तथा गीली मिट्टी से खेलते है। इस प्रकार इस ऋतु में लोग मनोरजंन भी करते है।

ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होने के कारण प्रकृति लहलहा उठती है और चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आने लगती है, अनेक पक्षियों की भिन्न-भिन्न प्रकार की ध्वनियाँ सुनायी देने लगती है और मेंढकों की टर-टर से शहरों तथा गाँव की गलियाँ गूँज उठती है। सब मैदान तथा उद्यान हरी-हरी घासों से भर जाते है और पेड़-पौधों पर कोमल-कोमल नयी-नयी पत्तियाँ दिखने लगती है और उन पत्तियों पर वर्षा की बूँदें मोती के समान प्रतीत होती है। इस मौसम में प्रकृति स्वयं को हरियाली से सँवारती हुई दिखती है और अपने सौंदर्य के निखार को प्रस्तुत करती है जो कि प्रत्येक मनुष्य को राहत प्रदान करता है।

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संक्रामक बीमारियों के फैलने की अधिक संभावना

वर्षा ऋतु हमेशा खुशियाँ ही नहीं लाती कभी-कभी संक्रामक बीमारियाँ भी फैलती है, जिनकी चर्चा वर्षा ऋतु पर निबंध में ज़रूरी है। इस मौसम में बीमारियाँ बहुत तेज़ी से फैलती है इसलिए दिन प्रतिदिन लोग अधिक बीमार पड़ने लगते है। एक तरफ तो यह मौसम मनुष्य को भीषण गर्मी से राहत प्रदान करती है तो दूसरी ओर कई संक्रामक बीमारियों को वायु तथा जल के माध्यम से फैलता है।

इस मौमस में मनुष्य को अधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है, जगह-जगह पानी भर जाता है साथ ही सड़कों पर कीचड़ तो कभी अत्यधिक पानी भर जाता है जिसके कारण लोगों का घर से बाहर निकल पाना जोखिम भरा हो जाता है तथा उनके आवश्यक कार्य भी नहीं हो पाने, न ही रोज़-रोज़ चिकित्सालय जाना संभव हो पाता है जिसकी वजह से मनुष्य और अधिक बीमार होने लगते है। वर्षा ऋतु के दिनों में डेंगू, डायरिया, तेज़ ज्वर आदि बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है इसके साथ-साथ यह मौसम बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का कारण भी बनता है जिसमें कई गाँव डूब जाते है तथा लोगों के घर-परिवार उजड़ जाते है।

इस ऋतु में रोगों के फैलने की सम्भावना अधिक हो जाती है तथा लोग पहले से अधिक बीमार होने होने लगते है इसलिए इस मौसम में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और वर्षा का आनंद लेते हुए बारिश के जल को एकत्रित करना चाहिए| संक्रामक बीमारियों से मनुष्य स्वयं ही बच सकता है अन्यथा ऐसे बीमारियों के परिणाम भयानक रूप में सामने आते है, इसका सबसे बेहतर उपचार सावधानी बरतना और स्वयं को सुरक्षित तथा स्वस्थ रखना है।

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वर्षा ऋतु के फायदे

  • वर्षा ऋतु असहनीय गर्मी को कम कम करता है और वातावरण को शीतलता प्रदान करता है। छोटे से छोटे सभी जीव को इस मौसम में गर्मी से राहत मिलती है।
  • इस ऋतु में किसानों को खेती करने के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है और सिंचाई के लिए भरपूर जल भी किसानों को मिल जाता है जिसके कारण खेती करने में अधिक सहायता मिलती है।
  • नदी, तालाब, नहर आदि जो अत्यधिक गर्मी के कारण सूख जाते है या जिनमें बहुत कम जल बचते है वे सब इस मौसम में बारिश के पानी से पूरा-पूरा भर जाते है।
  • इस मौसम में बारिश के जल का संचयन करके वर्ष भर के लिए जल बचाया जा सकता है तथा भविष्य में उसका उपयोग किया जा सकता है, अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह प्रक्रिया अपनायी जाती है और जल की कमी को पूर्ण किया जाता है।
  • बर्षा ऋतु में सबसे अधिक भू-जल के स्तर में सुधार होता है अर्थात् यह मौसम भूमि के अंदर जल की मात्रा को बढ़ाता है।
  • प्रकृति इस मौसम में खिली-खिली नज़र आती है एवं चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है, पेड़-पौधे हरी-हरी पत्तियों से भरे होते है।
  • किसान अपने मवेशियों के लिए आसानी से हरा और ताज़ा चारा इकट्ठा कर पाते है और अपने पशुओं को हष्ट-पुष्ट बनाते है।
  • वर्षा के मौसम में सूखी और उजाड़ भूमि पर बारिश का जल पड़ने से ऐसे खेतों में खेती करना आसान हो जाता है।
  • यह ऋतु सभी जीव-जंतुओं को नवजीवन प्रदान करता है, इस मौसम में नव-जीवन को प्राप्त कर सभी अत्यधिक आनंद लेते ही।
  • इस मौसम में मनुष्य को सभी प्रकार के ताज़े-ताज़े फल, सब्जियाँ और भरपूर अनाज मिलता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
  • बारिश होने से ही जंगल के जीव-जंतुओं को जल और भरपूर खाद्य पदार्थ प्राप्त हो पाता है।
  • वर्षा ऋतु में बारिश के कारण वायु में स्थित प्रदूषण कम हो जाता है और इस समय की बरसात वायु को स्वच्छ करती है।
  • वर्षा ऋतु पर्यावरण तंत्र को बनाए रखता है अगर वर्षा न हो तो चारों ओर पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा मनुष्य बूँद-बूँद को तरसने लगेंगे।
  • अगर वर्षा अच्छी होती है तो किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त होती है एवं किसानों के व्यापर में वृद्धि होती है वे अपने व्यापार को और अधिक बड़े स्तर तक बढ़ाते है।
  • आज भी भारत देश में अधिकतर आमदनी कृषि से प्राप्त होती है अगर वर्षा फसलों की आवश्यकता के अनुकूल होती है तो देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होता है अर्थात् देश तथा देश के लोगों को लाभ प्राप्त होता है।
  • वर्षा ऋतु का एक साहित्यिक लाभ भी है कि इस मौसम में लेखक तथा लेखिकाओं को प्रकृति के सौंदर्य को अपनी रचनाओं में चित्रात्मक रूप में उकेरने का अवसर मिलता है।

वर्षा ऋतु के नुकसान

वर्षा ऋतु पर निबंध में हमने इस मौसम के सभी पहलुओं को समेटने की कोशिश की है। अतः इस ऋतु के नुक़सान पर भी चर्चा आवश्यक हो जाती है। आइए, देखते हैं कि इसके क्या संभव नुक़सान हैं।

  • लगातार बारिश होने के कारण जगह-जगह पानी तथा कीचड़ जमा हो जाते है जिसके कारण संक्रामक बिमारियों के फैलने का डर बना रहता है।
  • भीषण बारिश होने से कई बार बाढ़ आ जाती है जिसमें कई गाँव डूब जाते है जिसके फलस्वरूप मानव और जीव-जंतुओं को भारी क्षति पहुँचती है लेकिन कही न कही मनुष्य स्वयं इसके लिए ज़िम्मेदार है क्योंकि मनुष्य ने जंगलों की कटाई कर दी और पत्थरों की बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर ली दूसरी ओर मानव नदियों के किनारे बसते जा रहे है।
  • अत्यधिक बारिश भूमि के कटाव का कारण बनती है जिससे उपजाऊ मिट्टी बहकर चली जाती है जो न तो पर्यावरण और फसलों के लिए हानिकारक साबित होता है।
  • लगातार बारिश के कारण आम जनता को आवागमन में सबसे अधिक परेशानी होती है और छोटे-छोटे गड्ढों में पानी जमा हो जाता जिसमें मच्छर पैदा होते है जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते है।
  • लगातार बारिश होने के कारण अधिकतर फसलें डूब जाती है जिससे किसानों को अधिक नुकसान झेलना पड़ता है साथ ही तेज़ आँधी, तूफान, बारिश लोगों के घरों को कई प्रकार से हानि पहुँचाता है जिसके परिणामस्वरूप घरों की मरम्मत में दूबारा धन खर्च करना पड़ जाता है।
  • इस ऋतु में लगातार बारिश में भीगने से ज़्यादातर मनुष्य को खाँसी, बुखार आदि का सामना करना पड़ता है।
  • वर्षा ऋतु से केवल लाभ ही प्राप्त नहीं होता है कुछ समस्याओं को भी झेलना पड़ता है, शहरों में सड़कें जल से भर जाती है और लोगों को यातायात की असुविधा का सामना करना पड़ता है।

वर्षा ऋतु पर निबंध – निष्कर्ष

इस ऋतु में संपूर्ण जनजीवन में हर्षोल्लास की लहर दौड़ उठती है। बारिश का पानी पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को नव-जीवन प्रदान करता है और यह जल सभी जीव-जंतुओं के लिए अमृत सिद्ध होता है। इस ऋतु में चारों ओर हरियाली ही हरियाली देखकर मनुष्य के मन को शांति मिलती है। वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा जाता है अगर इस ऋतु के अनेक फायदें भी है तो नुकसान भी कम नहीं है लेकिन इसके बाद भी बारिश जनता के लिए जीवनदायिनी बनी रही है।

इस समय लोग हल्की-हल्की बारिश की कल्पना करते है लेकिन कभी-कभी लगातार बारिश लोगों के लिए गंभीर समस्या बन जाती है। मनुष्य के लिए एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि वर्षा ऋतु के समय धरती के जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है और जल की कमी को पूर्ण किया जा सकता है। इस मौसम के कुछ नुकसानों से बचते हुए मनुष्य को वर्षा ऋतु का आनंद लेना चाहिए।

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हमें आशा है कि वर्षा ऋतु पर निबंध आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। विशेषतः छात्र-छात्राएँ इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। यदि आप पाते हैं कि वर्षा ऋतु पर निबंध में कोई पहलू छूट गया जिसे सम्मिलित किया जाना चाहिए, तो हमें टिप्पणी करके अवश्य बताएँ।

आशा है कि हिंदीपथ पर निबंध की श्रृंखला में वर्षा ऋतु का निबंध आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। हमने इस विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी निबंध के माध्यम से विस्तृत रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश है। आइये वर्षा ऋतु के निबंध का सार संकलित करते हैं। 

  • वर्षा ऋतु की शुरुआत ग्रीष्म ऋतु के बाद होती है। इसकी शुरुआत जून/ जुलाई महीने से होती है और  सितम्बर/ अक्टूबर महीने तक चलती है। 
  • इस ऋतु में आसमान में नीले चमकदार रंग के बादल छा जाते हैं और सात रंगों से भरा हुआ इंद्रधनुष दिखाई देता है। 
  • कृषक वर्ग बेसब्री से वर्षा ऋतु के आगमन के लिए लालायित रहता है। 
  • इस ऋतू में सड़क गीली होने की वजह से धूल भरी आँधियों से मुक्ति मिल जाती है। 
  • वातावरण बेहद हरा भरा और हरियाली से ओतप्रोत रहता है। 
  • नदी, तालाब, नाले पानी से भर जाते हैं और वातावरण में ठंडी हवा के झोंखे फ़ैल जाते हैं। 
  • पक्षी सुहाने मौसम में बेहद खुश होकर चहचहाने लगते हैं और मोर पंख फैलाकर झूमने लगते हैं। 
  • वर्षा ऋतु में खेतों में हरियाली छा जाती है और फसलें लहराने लगती हैं। 
  • जानवर भी खाने के लिए हरी घास पाकर बहुत खुश हो जाते हैं। 

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