धर्म

गोलू देवता की आरती – Golu Devta Ki Aarti

गोलू देवता की आरती मन की सभी मुरादें पूर्ण करने वाली है। पहाड़ी क्षेत्रों में मान्यता है कि गोलू महाराज न्याय के देवता हैं और गौर भैरव अर्थात् शिव जी के अवतार हैं। आज भी कई जगहों पर गोलू दरबार की प्रथा प्रचलित है। आज-कल गोलू देव दरबार का सबसे प्रचलित रूप जागर है, जहाँ गोलू महाराज आकर सभी के कष्टों का हरण करते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से गोलू देवता की आरती गाता है, गोलज्यू महाराज उनकी ज़रूर सुनते हैं। पढ़ें गोलू देवता की आरती (Golu Devta Ki Aarti) हिंदी में–

यह भी पढ़ें गोलू चालीसा

जय गोल ज्यू महाराज,
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!

जय गोल ज्यू महाराज,
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

ज्योत जगुनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

(कोरस)
जय गोल ज्यू महाराज,
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जगुनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

पाड़ी में बगन तू आछे ,
लुवे को पिटार में नादान,
(देवा लुवे को पीटार में नादान)

गोरी घाट भाना पायो..
पड़ी गयो गोरिया नाम..!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

(कोरस)
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

ज्योति जलूनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

हरुआ, कलुवा भाई तेरो,
बड़ छेना जो दीवान..!

माता कालिंका तेरी…
बाबू झालो राज…!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

(कोरस)
जय हो जय गोल ज्यू महाराज
जय हो जय गोल ज्यू महाराज

ज्योति जलूनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

सुखिले लुकड़ टांक तेरो
कांठ का घोड़ में सवार !
(देवा काठ को घोड़ में सवार )

लुवे की लगाम हाथयू में..
चाबुक छू हथियार…!!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

(कोरस)
जय हो जय गोल ज्यू महाराज .
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

न्याय तेरो हूँ साची,
सब उनी तेरो द्वार,

देवा सब उनी तेरो द्वार !
जो मांखी तेरो नो ल्यूं …

लगे वीक नय्या पार !

जय गोल ज्यू महाराज !!

(कोरस)
जय हो जय गोल ज्यू महाराज .
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

दूध, बतास और नारियल,
फूल चडनी तेरो द्वार,
देवा फूल चडनी तेरो द्वार !

प्रथम मंदीर चम्पावत..
फिर चितई, घोड़ाखाल.!

जय गोल ज्यू महाराज !!

(कोरस)
जय हो जय गोल ज्यू महाराज .
जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…
सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!

दोस्तो, हमने हिंदीपथ के माध्यम से आप सभी के साथ गोलू देवता की आरती (Golu Devta Ki Aarti) साझा की है। आशा है कि हमारा यह प्रयास आप लोगों को अच्छा लगा होगा। यहाँ से आप Golu Devta Aarti

का PDF भी डाउनलोड कर सकते हैं। इसे डाउनलोड करके आप अपने डिवाइस में सेव करके या फिर इसका प्रिंट भी निकलवाकर रख सकते हैं।

गोलू देवता उत्तराखंड राज्य के प्रसिद्ध न्याय के देवता हैं।

गोलू देवता को गौर भैरव के रूप में शिव का अवतार माना जाता है। वह एक सफेद घोड़े की सवारी करते हैं और उन्हें हमेशा न्याय करने वाला माना जाता है। वे कहते हैं, अगर आप साफ विवेक से मांगते हैं, तो वे हर इच्छा को पूरी करते हैं। वह इस क्षेत्र के इष्ट देवता हैं और यहाँ के कई लोगों के कुल देवता भी हैं। आप उन्हें कुमाऊं की पहाड़ियों के पीठासीन देवता के रूप में भी देख सकते हैं।

चितई गोलू देवता मंदिर इन्हें समर्पित सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और बिनसर वन्यजीव अभयारण्य के मुख्य द्वार से लगभग 4 किमी (2.5 मील) और अल्मोड़ा से लगभग 10 किमी (6.2 मील) दूर है। दूसरा प्रसिद्ध मंदिर भोवाली के पास, सैनिक स्कूल, घोड़ाखाल के बगल में स्थित है।

गोलू देव अपने घोड़े पर दूर-दूर तक यात्रा करते थे और अपने राज्य के लोगों से मिलते थे। गोलू दरबार होता था और गोलू देव लोगों की समस्याओं को सुनते थे और उनकी हर संभव मदद करते थे। उनका एक विशेष स्थान था। वे अपने भक्तों से अत्यधिक प्रेम करते थे और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

गोलू देव अभी भी अपने लोगों से मिलते हैं और कई गांवों में गोलू दरबार की प्रथा अभी भी प्रचलित है, जहाँ गोलू देव लोगों के सामने प्रकट होते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं और उनकी हर संभव मदद करते हैं। गोलू देव के दिल में उनके सफेद घोड़े के लिए हमेशा एक विशेष स्थान था, वे अभी भी अपने घोड़े से प्यार करते हैं। इसलिए कई लोगों का मानना ​​है कि वह अभी भी अपने घोड़े की पीठ पर यात्रा करते हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध गोलू देवता की महिमा अपरंपार है।  बोलो गोलू देव की जय!

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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