धर्म

भगवान शीतलनाथ की आरती – Bhagwan Sheetalnath Ki Aarti

भगवान शीतलनाथ की आरती (Bhagwan Sheetalnath Ki Aarti) सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैI जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की आरती के पाठन से समस्त विघ्न बाधाओं और पापों का नाश होता हैI कई जैन धर्मावलंबियों के अनुसार भगवान शीतलनाथ की आरती क्रोध, अभिमान और छल जैसी कुरीतियों पर विजय पाने के लिए की जाती हैI  भगवान शीतलनाथ जी धैर्य और क्षमा के साक्षात् प्रतीक हैं इसलिए श्री शीतलनाथ आरती को उनके अनुयायियों द्वारा अत्यंत कल्याणकारी माना जाता हैI

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ॐ जय शीतलनाथ स्वामी,
स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी।
घृत दीपक से करू आरती,
घृत दीपक से करू आरती।
तुम अंतरयामी,
ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

भदिदलपुर में जनम लिया प्रभु,
दृढरथ पितु नामी, दृढरथ पितु नामी।
मात सुनन्दा के नन्दा तुम,
शिवपथ के स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

जन्म समय इन्द्रो ने, उत्सव खूब किया,
स्वामी उत्सव खूबकिया ।
मेरु सुदर्शन ऊपर,
अभिषेक खूब किया॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

पंच कल्याणक अधिपति, होते तीर्थंकर,
स्वामी होते तीर्थंकर।
तुम दसवे तीर्थंकर स्वामी,
हो प्रभु क्षेमंकर॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

अपने पूजक निन्दक केप्रति,
तुम हो वैरागी, स्वामी तुम हो वैरागी ।
केवल चित्त पवित्र करन नित,
तुमपूजे रागी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

पाप प्रणाशक सुखकारक,
तेरे वचन प्रभो, स्वामी तेरे वचन प्रभो।
आत्मा को शीतलता शाश्वत,
दे तब कथन विभो॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

जिनवर प्रतिमा जिनवर जैसी,
हम यह मान रहे, स्वामी हम यह मान रहे।
प्रभो चंदानामती तब आरती,
भाव दुःख हान करें॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

ॐ जय शीतलनाथ स्वामी,
स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी।
घृत दीपक से करू आरती,
घृत दीपक से करू आरती।
तुम अंतरयामी,
ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी…॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर भगवान शीतलनाथ की आरती (Bhagwan Sheetalnath Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें भगवान शीतलनाथ की आरती रोमन में–

oṃ jaya śītalanātha svāmī,
svāmī jaya śītalanātha svāmī।
ghṛta dīpaka se karū āratī,
ghṛta dīpaka se karū āratī।
tuma aṃtarayāmī,
oṃ jayaśītalanātha svāmī॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

bhadidalapura meṃ janama liyā prabhu,
dṛḍharatha pitu nāmī,
dṛḍharatha pitu nāmī।
māta sunandā ke nandā tuma,
śivapatha ke svāmī॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

janma samaya indro ne,
utsava khūba kiyā, svāmī utsava khūbakiyā ।
meru sudarśana ūpara,
abhiṣeka khūba kiyā॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

paṃca kalyāṇaka adhipati, hote tīrthaṃkara, svāmī hote tīrthaṃkara ।
tuma dasave tīrthaṃkara svāmī, ho prabhu kṣemaṃkara॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

apane pūjaka nindaka keprati,
tuma ho vairāgī, svāmī tuma ho vairāgī ।
kevala citta pavitra karana nita,
tumapūje rāgī॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

pāpa praṇāśaka sukhakāraka,
tere vacana prabho, svāmī tere vacana prabho।
ātmā ko śītalatā śāśvata,
de taba kathana vibho॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

jinavara pratimā jinavara jaisī,
hama yaha māna rahe,
svāmī hama yaha māna rahe।
prabho caṃdānāmatī taba āratī,
bhāva duḥkha hāna kareṃ॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

oṃ jaya śītalanātha svāmī,
svāmī jaya śītalanātha svāmī।
ghṛta dīpaka se karū āratī,
ghṛta dīpaka se karū āratī।
tuma aṃtarayāmī,
oṃ jayaśītalanātha svāmī॥
॥ oṃ jaya śītalanātha svāmī…॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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