निबंध

“मेरा विद्यालय” निबंध हिंदी में

“मेरा विद्यालय” निबंध हिंदी पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अपने विद्यालय को गहराई से समझना हर विद्यार्थी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विद्यालय दूसरे घर के समान है। इस निबंध में यही कोशिश की गयी है कि तार्किक ढंग से छात्र-छात्राएँ अपने-अपने विद्यालय को समझें। पढ़ें “मेरा विद्यालय” निबंध हिंदी में–

मेरा विद्यालय मुझे बहुत प्रिय है। मेरे विद्यालय का नाम है राष्ट्रीय विद्या मन्दिर। इसमें छठी से बारहवीं श्रेणी तक पढ़ाई होती है। यह सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन, दिल्ली से सम्बद्ध है । इसमें लगभग 550 विद्यार्थी हैं, 20 अध्यापक हैं, दो क्लर्क हैं, 3 चपरासी, 2 माली, 2 सफाई कर्मचारी तथा वाटर-मैन हैं।

मेरे विद्यालय का भवन विशाल और सुन्दर है। श्रेणी कक्षों के अतिरिक्त प्राचार्य तथा क्लर्क रूम हैं। इनके अतिरिक्त एक बड़ा ‘टीचर्स रूम’ है तथा एक विशाल पुस्तकालय कक्ष भी है। स्वागत कक्ष, संगीत, आलेखन, इंडोरगेम, रैडक्रास, एन.सी.सी. के भी अलग-अलग कक्ष हैं। विद्यालय-भवन के साथ ही एक विस्तृत खेल का मैदान है।

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विद्यालय की विशेषताएँ

मेरा विद्यालय सबसे बड़ी विशेषता यह रखता है कि इसमें अनुशासन है। वैसे भी जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। विद्यालय का वातावरण अति शान्त है। कोई विद्यार्थी व्यर्थ में घूमता नहीं मिलेगा। कोई बाहरी आदमी अध्ययन के समय कक्षाओं के सामने से नहीं गुजर पाएगा। कोई कक्षा बिना अध्यापक के नहीं होगी। कोई अध्यापक ऐसा नहीं होगा जिसका ‘पीरियड’ हो और वह श्रेणी में न हो। वातावरण की यह विशिष्टता ही छात्रों को दत्तचित्त होकर अध्ययन की प्रेरणा देती है।

विद्यालय की दूसरी विशेषता है स्वच्छता। स्कूल आरम्भ होने से पूर्व प्रत्येक कमरा साफ होगा। शीशे दरवाजे साफ होंगे। कागज या रोटी का टुकड़ा, फलों या सब्जी के छिलके गैलरी में नहीं मिलेंगे। कूड़ा-करकट डालने के लिए स्थान-स्थान पर लगे ‘डस्ट-बिन’ रखें हैं। पेशाब-घर तथा शौचालय दुर्गन्ध रहित हैं।

विद्यालय की तीसरी विशेषता है शिक्षण। शिक्षण एक कला है। कलात्मक शिक्षण विद्याध्ययन का सरल उपाय है। औसत विद्यार्थी को भी योग्य बनाने की विशिष्ट शैली है। शिक्षक प्रतिदिन छात्रों का गृह-कार्य देखते हैं। सीखने में धीमे छात्र-छात्राओं को विद्यालय अवकाश के बाद आधा घण्टा अतिरिक्त समय दिया जाता है। बोर्ड की परीक्षाओं से एक मास पूर्व डेढ़-डेढ़ घण्टे के दो अतिरिक्त पीरियड लगते हैं, जिनमें विद्यार्थी अपनी कमी को दूर करते हैं। यही कारण है कि हमारे विद्यालय का परीक्षा-परिणाम न केवल शत-प्रतिशत रहता है, अपितु 10-12 डिस्टिंकशन भी आती हैं।

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विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारना

विद्यालय की चौथी विशेषता शिक्षणेतर कार्य-कलाप हैं। इनमें वाद्यवृन्द तथा खेल-कूद का विशिष्ट स्थान है। हॉकी, क्रिकेट, फुटबॉल, बॉलीबॉल, कबड्डी का खेल, खो-खो, जिमनास्टिक शिक्षा की विशिष्ट व्यवस्था है। अत्याधुनिक खेल सामान तथा अंशकालीन शिक्षक खेल-दक्षता और प्रवीणता के सम्बल हैं। यही कारण है, मेरा विद्यालय नगर के विद्यालयों की प्रतियोगिता और प्रान्तीय प्रतियोगिताओं की अनेक वैजयन्ती (शील्ड) जीतकर लाता है।

हमारे विद्यालय के वाद्यवृन्द का तो जवाब नहीं। 51 छात्र-छात्राओं की ‘बैण्डटीम’ का बहुरंगी गणवेश, वाद्यों की स्वर लहरी तथा धुनों की कलात्मकता श्रोताओं और दर्शकों को मन्त्र-मुग्ध कर देती है। गणतन्त्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने पर हमारे वाद्यवृन्द को सदा प्रथम पुरस्कार प्राप्ति का गौरव मिलता है।

विद्यालय की शनिवार-सभा विद्यार्थी-प्रतिभा के कपाट खोलती है। जीवन और जगत्‌ की विविधता की जानकारी देती है। विद्यार्थियों में छिपी वाक्‌-शक्ति को उद्घटित करती है। एक ओर प्रति शनिवार वीडियो फिल्म द्वारा एक विषय-विशेष की जानकारी दी जाती है, तो दूसरी ओर विद्यार्थी को कविता, कहानी, चुटकुला सुनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। मास के अन्तिम शनिवार को अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता, वादविवाद प्रतियोगिता अथवा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएँ होती हैं। प्रथम, ट्वितीय और तृतीय, इन तीन विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार से प्रोत्साहित किया जाता है।

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भारत यात्रा और वार्षिकोत्सव

मेरा विद्यालय देशाटन के महत्व को भी समझता है। वर्ष में एक बार प्रायः दिसम्बर-अवकाश में 100 विद्यार्थियों को भारत-यात्रा पर ले जाया जाता है। इसमें विद्यार्थी भारतमाता की विविधता के दर्शन भी करते हैं और अपने सहपाठी की चित्तवृत्ति को और अधिक समझने का अवसर प्राप्त करते हैं।

विद्यार्थियों के प्रोत्साहन का दिन होता है विद्यालय का वार्षिकोत्सव | इसमें विविध खेलों के श्रेष्ठ खिलाड़ियों, संगीत के वाद्य-यन्त्रों में दक्ष विद्यार्थियों तथा वार्षिक परीक्षा में आए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय परीक्षार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इस अवसर पर छात्र रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते हैं, जिसमें गीत-संगीत, काव्य-पाठ, एकांकी- अभिनय प्रमुख होते हैं, जिसे देखकर दर्शक भाव-विभोर हो जाते हैं।

विद्यालय में वर्ष में एक बार शिक्षक-अभिभावक दिवस भी मनाया जाता है। इसमें विद्यार्थियों के माता-पिता या संरक्षक एकत्र होते हैं। अभिभावकों के साथ छात्र भी विद्यालय की कमियों और सुधारों पर खुले मन से विचार करते हैं। उनके विचारों को ध्यान से सुना जाता है और यथासम्भव कार्यान्वित करने की चेष्टा की जाती है।

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मेरा विद्यालय व उसकी कमियाँ

प्रभु की सृष्टि गुण-दोषमयी है। मेरे विद्यालय में भी लोगों को कुछ कमियाँ दीखती हैं। यहाँ प्रवेश पाना आकाश के तारे तोड़ लाने से कम नहीं। अपवाद छोड़ दें तो सिफारिश न किसी अधिकारी की चलती है, न धन की। योग्यता की दौड़ में जो जीत जाए, वह प्रवेश ले ले। दूसरे, विद्यालय के अनुशासन की कठोरता ने विद्यार्थियों का सैनिकीकरण-सा कर दिया है। परिणामतः विद्यार्थियों की सच्ची शिकायत की भी उपेक्षा होती रहती है। तीसरी ओर, विद्यालय के व्यय इतने अधिक हैं कि मध्यम वर्ग का विद्यार्थी इस पावन मन्दिर में प्रवेश की बात सोच ही नहीं सकता।

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“मेरा विद्यालय” पर 10 लाइन

  1. मेरा विद्यालय मुझे बहुत प्रिय है। इसका नाम है राष्ट्रीय विद्या मन्दिर। इसमें छठी से बारहवीं श्रेणी तक पढ़ाई होती है।
  2. मेरा विद्यालय सबसे बड़ी विशेषता यह रखता है कि इसमें अनुशासन है। वैसे भी जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। विद्यालय का वातावरण अति शान्त है।
  3. हमारे विद्यालय की विशेषता है स्वच्छता। स्कूल आरम्भ होने से पूर्व प्रत्येक कमरा साफ होगा। शीशे दरवाजे साफ होंगे। कागज या रोटी का टुकड़ा, फलों या सब्जी के छिलके गैलरी में नहीं मिलेंगे।
  4. स्कूल में शिक्षक प्रतिदिन छात्रों का गृह-कार्य देखते हैं। सीखने में धीमे छात्र-छात्राओं को अवकाश के बाद आधा घण्टा अतिरिक्त समय दिया जाता है।
  5. यहाँ वाद्यवृन्द तथा खेल-कूद का विशिष्ट स्थान है। हॉकी, क्रिकेट, फुटबॉल, बॉलीबॉल, कबड्डी का खेल, खो-खो, जिमनास्टिक शिक्षा की विशिष्ट व्यवस्था है।
  6. हमारा स्कूल देशाटन के महत्व को भी समझता है। वर्ष में एक बार प्रायः दिसम्बर-अवकाश में 100 विद्यार्थियों को भारत-यात्रा पर ले जाया जाता है।
  7. विद्यालय में वर्ष में एक बार शिक्षक-अभिभावक दिवस भी मनाया जाता है। इसमें विद्यार्थियों के माता-पिता या संरक्षक एकत्र होते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
  8. हमारे विद्यालय के वाद्यवृन्द का तो जवाब नहीं। 51 छात्र-छात्राओं की ‘बैण्डटीम’ का बहुरंगी गणवेश, वाद्यों की स्वर लहरी तथा धुनों की कलात्मकता श्रोताओं और दर्शकों को मन्त्र-मुग्ध कर देती है।
  9. विद्यार्थियों के प्रोत्साहन का दिन होता है विद्यालय का वार्षिकोत्सव | इसमें विविध खेलों के श्रेष्ठ खिलाड़ियों, संगीत के वाद्य-यन्त्रों में दक्ष विद्यार्थियों तथा वार्षिक परीक्षा में आए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय परीक्षार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
  10. मुझे मेरा विद्यालय बहुत अच्छा लगता है। यहाँ विविध विषयों को सीखने के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करने की शिक्षा भी प्राप्त होती है।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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