धर्म

वराह स्तोत्र – Varaha Stotram

वराह स्तोत्र का पाठ उसी तरह इस अद्भुत माया से रक्षा करता है जिस तरह वराह अवतार में भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा की थी। जो भक्त वराह स्तोत्र का श्रद्धा से भरकर पाठ करता है उसके जीवन में सुख-शान्ति आने लगती है और वह व्यक्ति तथा उसका परिवार समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है। साथ ही जो व्यक्ति शत्रु-पीड़ा से ग्रस्त है उसके लिए वराह स्तोत्र (Varaha Stotram) अमोघ कवच के समान है जिसका भेदन संभव नहीं है। इसे पढ़ने से शत्रुओं को पराजय का मुख देखना पड़ता है और उन्हें अपने कार्यों में कभी सफलता नहीं मिलती है। केवल शत्रु ही नहीं, अपितु संसार में ऐसी अदृश्य शक्तियाँ भी हैं जो व्यक्ति को हानि पहुँचाने में सक्षम हैं। अतः वराह स्तोत्र को नित्य पढ़ने से ऐसी शक्तियों से भी सुरक्षा की प्राप्ति होती है। पढ़ें अद्भुत वराह स्तोत्र– 

वराह स्तोत्र पढ़ें 

ऋषयः ऊचुः
जितं जितं तेऽजित यज्ञभावन त्रयीं तनुं स्वां परिधुन्वते नमः।
यद्रोमरन्ध्रेषु निलिल्युरध्वरा- स्तस्मै नमः कारणसूकराय ते ॥१॥

रूपं तवैतन्ननु दुष्कृतात्मनां दुर्दर्शनं देव यदध्वरात्मकम्।
छन्दांसि यस्य त्वचि बर्हिरोम- स्वाज्यं दृशित्वंघ्रिषु चातुर्होत्रम् ॥२॥

स्रुक्तुण्ड आसीत्स्रुव ईश नासयो- रिडोदरे चमसाः कर्णरन्ध्रे।
प्राशित्रमास्ये ग्रसने ग्रहास्तु ते यच्चर्वणं ते भगवन्नग्निहोत्रम् ॥३॥

दीक्षानुजन्मोपसदः शिरोधरं त्वं प्रायणीयोदयनीयदंष्ट्रः।
जिह्वा प्रवर्ग्यस्तव शीर्षकं क्रतोः सभ्यावसथ्यं चितयोऽसवो हि ते ॥४॥

सोमस्तु रेतः सवनान्यवस्थितिः संस्थाविभेदास्तव देव धातवः।
सत्राणि  सर्वाणि शरीरसन्धि- स्त्वं सर्वयज्ञक्रतुरिष्टिबन्धनः ॥५॥

नमो नम्स्तेऽखिलमन्त्रदेवता- द्रव्याय सर्वक्रतवे क्रियात्मने।

वैराग्यभक्त्यात्मजयानुभावित- ज्ञानाय विद्यागुरवे नमोनमः ॥६॥

दंष्ट्राग्रकोट्या भगवंस्त्वया धृता विराजते भूधर भूः सभूधरा।
यथा वनान्निःसरतो दता धृता मतङ्गजेन्द्रस्य सपत्रपद्मिनी ॥७॥

त्रयीमयं रूपमिदं च सौकरं भूमण्डलेनाथ दता धृतेन ते।
चकास्ति शृङ्गोढघनेनभूयसा कुलाचलेन्द्रस्य यथैव विभ्रमः ॥८॥

संस्थापयैनां जगतां सतस्थुषां लोकाय पत्नीमसि मातरं पिता।
विधेम चास्यै नमसा सह त्वया यस्यां स्वतेजोऽग्निमिवारणावधाः ॥९॥

कः  श्रद्दधीतान्यतमस्तव प्रभो रसां गताया भुव उद्विबर्हणम्।
न विस्मयोऽसौ त्वयि विश्वविस्मये यो माययेदं ससृजेऽतिविस्मयम् ॥१०॥
विधुन्वता वेदमयं निजं वपु- र्जनस्तपस्सत्यनिवासिनो वयम्।
सटाशिखोद्धूतशिवांबुबिन्दुभि- र्विमृज्यमाना भृशमीश पाविताः ॥११॥

स वै बत भ्रष्टमतिस्तवैष ते यः कर्मणां पारमपारकर्मणः।
यद्योगमायागुणयोगमोहितं विश्वं समस्तं भगवन् विधेहि शम् ॥१२॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर वराह स्तोत्र (Varaha Stotram) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह स्तोत्र रोमन में–

Read Varaha Stotram

ṛṣayaḥ ūcuḥ
jitaṃ jitaṃ te’jita yajñabhāvana trayīṃ tanuṃ svāṃ paridhunvate namaḥ।
yadromarandhreṣu nililyuradhvarā- stasmai namaḥ kāraṇasūkarāya te ॥1॥

rūpaṃ tavaitannanu duṣkṛtātmanāṃ durdarśanaṃ deva yadadhvarātmakam।
chandāṃsi yasya tvaci barhiroma- svājyaṃ dṛśitvaṃghriṣu cāturhotram ॥2॥

sruktuṇḍa āsītsruva īśa nāsayo- riḍodare camasāḥ karṇarandhre।
prāśitramāsye grasane grahāstu te yaccarvaṇaṃ te bhagavannagnihotram ॥3॥

dīkṣānujanmopasadaḥ śirodharaṃ tvaṃ prāyaṇīyodayanīyadaṃṣṭraḥ।
jihvā pravargyastava śīrṣakaṃ kratoḥ sabhyāvasathyaṃ citayo’savo hi te ॥4॥

somastu retaḥ savanānyavasthitiḥ saṃsthāvibhedāstava deva dhātavaḥ।
satrāṇi sarvāṇi śarīrasandhi- stvaṃ sarvayajñakraturiṣṭibandhanaḥ ॥5॥

namo namste’khilamantradevatā- dravyāya sarvakratave kriyātmane।
vairāgyabhaktyātmajayānubhāvita- jñānāya vidyāgurave namonamaḥ ॥6॥

daṃṣṭrāgrakoṭyā bhagavaṃstvayā dhṛtā virājate bhūdhara bhūḥ sabhūdharā।
yathā vanānniḥsarato datā dhṛtā mataṅgajendrasya sapatrapadminī ॥7॥

trayīmayaṃ rūpamidaṃ ca saukaraṃ bhūmaṇḍalenātha datā dhṛtena te।
cakāsti śṛṅgoḍhaghanenabhūyasā kulācalendrasya yathaiva vibhramaḥ ॥8॥

saṃsthāpayaināṃ jagatāṃ satasthuṣāṃ lokāya patnīmasi mātaraṃ pitā।
vidhema cāsyai namasā saha tvayā yasyāṃ svatejo’gnimivāraṇāvadhāḥ ॥9॥

kaḥ śraddadhītānyatamastava prabho rasāṃ gatāyā bhuva udvibarhaṇam।
na vismayo’sau tvayi viśvavismaye yo māyayedaṃ sasṛje’tivismayam ॥10॥

vidhunvatā vedamayaṃ nijaṃ vapu- rjanastapassatyanivāsino vayam।
saṭāśikhoddhūtaśivāṃbubindubhi- rvimṛjyamānā bhṛśamīśa pāvitāḥ ॥11॥

sa vai bata bhraṣṭamatistavaiṣa te yaḥ karmaṇāṃ pāramapārakarmaṇaḥ।
yadyogamāyāguṇayogamohitaṃ viśvaṃ samastaṃ bhagavan vidhehi śam ॥12॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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