स्वास्थ्य

कब्ज का परमानेंट इलाज – Kabjiyat Ki Dava

कब्ज का परमानेंट इलाज क्या है – यह जानना बहुत ज़रूरी है। वस्तुतः आज यह रोग महामारी का रूप ले चुका है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रत्येक तीसरा व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है। इस लेख में जानते हैं कब्ज को जड़ से इलाज कैसे करें। यह आलेख डॉ० ओमप्रकाश सक्सेना ‘निडर’ द्वारा लिखित है।

दरअस्ल, कब्ज का परमानेंट इलाज करने के लिए सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि यह रोग है क्या। कब्ज का सीधा-सादा सा अर्थ है – मल हो जाना या मल उतरने की क्रिया विकृत हो जाना। यह रोग प्रायः आँतों की गड़बड़ी के कारण हुआ करता है।

यह भी पढ़ें – भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज कैसे करें

कब्ज तोड़ने की दवा (घरेलू नुस्खे) – Kabjiyat Ki Dava

कोष्ठबद्धता, मलावरोध, मलबन्ध, मल न उतरना आदि सभी कब्ज के ही पर्यायवाची शब्द हैं। भोजन संबंधी अच्छी आदतें अपनाकर कब्ज से बचा जा सकता है। आइए, देखते हैं कि कब्ज तोड़ने की दवा (Kabjiyat Ki Dava) क्या-क्या हैं जिनसे कब्ज का परमानेंट इलाज संभव है।

● छोटी (काली अथवा जंगी) हरड़ 2-3 प्रतिदिन चूसा करें ।

नोट – इस काली हरड़ को न भूनना है और न कूटना है। केवल पानी से धोकर और साफ कपड़े से पोछ लें। लगभग 1 घन्टे में यह घुल जाती है। यह कब्ज का रामबाण इलाज है। किन्तु यह खुश्की करती है। अतः घी या दूध का सेवन अति आवश्यक है।

● सनाय की पत्ती 50 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम, मिश्री 200 ग्राम, तीनों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। इसको रात्रि में सोते समय 6 ग्राम की मात्रा में गरम पानी के साथ सेवन करने से प्रातःकाल खुलकर दस्त होता है।

● यदि बहुत छोटे बच्चे यथा 2 साल के बच्चे को कब्ज की समस्या सही करनी हो तो पान का डंठल यदि धीरे से गुदा में प्रविष्ट कर दिया जाय तो मल आसानी से आ जाता है। डंठल के सिरे पर थोड़ा सा नारियल का तेल लगा लें।

● यदि बच्चा थोड़ा बड़ा हो तो गरम पानी में शहद मिलाकर पिचकारी (एनिमा) दिया जा सकता है। ऐसा करने से एक मिनट के अन्दर ही मल आ जाता है।

नोट – यदि डूश देना हो तो गरम पानी इस्तेमाल करना चाहिए। पानी में नींबू का रस या शहद मिला लेना चाहिए। डूश निर्दोष रहता है। इससे कोई हानि नहीं होती है। कब्ज के रोगी बच्चे को शक्कर (Sugar) के स्थान पर शहद देना चाहिए। शहद पेट साफ रखता है तथा हृदय व यकृत को बल भी प्रदान करता है। कब्ज के रोगी को अधिक से अधिक पानी पिलाना चाहिए। प्रायः बच्चों को पानी पर्याप्त मात्रा में न पिलाने के ही कारण कब्ज हो जाया करती है। प्रातःकाल नींबू का रस मिला हुआ पानी पिलाने (बच्चों तथा बड़ों सभी को) से कब्ज की शिकायत धीरे-धीरे दूर हो जाती है। यदि बच्चे की आदत प्रातः काल पानी पीने की डाल दी जाये और वह सदैव निहार-मुँह शौच जाने से पूर्व पानी पीता रहे तो जीवन भर कब्ज की शिकायत ही नहीं होगी। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा, अन्य रोगों से भी सुरक्षा रहेगी। निश्चित तौर पर यह कब्ज का परमानेंट इलाज है।

● मल उतारने हेतु – ग्लीसरीन स्पोजिटरी भी बाजार में उपलब्ध है जो बच्चों और बड़ों के लिए अलग-अलग होती है। इसको गुदा में प्रविष्ट करके 15 मिनट तक दबा कर रखने से (ताकि बत्ती गुदा से बाहर न निकल जाये) तुरन्त मल आ जाता है तथा कोई कठिनाई भी नहीं होती है। नन्हें शिशुओं को प्रारम्भ से ही घुट्टी पिलाई जाये तो उनको कब्ज की शिकायत नहीं रहती है। भारी वस्तुएँ कब्जकारक होती हैं, अतः इनसे परहेज आवश्यक है। तेज किस्म के जुलाब हानिकारक होते हैं। अन्डी का तैल (कैस्टर आयल) का प्रयोग अथवा साबुन की बत्ती का प्रयोग किया जा सकता है। कब्ज सदैव ही पेट की गर्मी से हुआ करता है अतः गुलकन्द (बढ़िया क्वालिटी में “चरक” कम्पनी का लें) का सेवन बच्चों से बड़े तक निर्भीकता से कर सकते हैं।

● चिड़िया की थोड़ी सी बीट लेकर नन्हें शिशुओं की गुदा में दबा देने से भी मल आ जाता है। गुदा को किसी तेल से तर कर देने से भी मल आसानी से आ जाता है।

● अमलताश के गूदे को 3 गुना पानी में भिगोकर रातभर रखने से तथा प्रातःकाल छानकर मिश्री मिलाकर उबालकर बच्चों को 1-1 चम्मच अथवा अधिक आयु के अनुसार सेवन कराने से कब्ज दूर हो जाती है।

● छोटे बच्चे यथा 5 साल के बच्चे को कब्ज सही करने की या 3 साल के बच्चे की कब्ज की दवा का उल्लेख करते हैं। बच्चे के पेट में यदि सुद्दे बन गये हों तो गरम जल में जैतून का तेल 1 से 2 चम्मच और शहद 20 से 30 ग्राम मिलाकर एनिमा देने से सुद्दे निकल जाते हैं। दूध पीने से भी कब्ज हो जाया करती है। सब्जी और फलों का रस कब्ज को तोड़ देता है। छोटे बच्चे को यदि आदतन कब्ज हो तो चोकर सहित आटे की रोटी बनाकर शहद में भिगोकर एक कपड़े में बाँधकर चूसनी की भांति बना लें। उसे बच्चे को चूसने के लिए दे दें। ऐसा करने से कब्ज से छुटकारा मिल जायेगा।

● पके आलूबुखारा को शहद में मिलाकर सेवन कराने से भी कब्ज दूर हो जाती है।

● आधा चम्मच जैतून का तैल एवं उसमें दुगुना शहद मिलाकर बच्चों को प्रतिदिन सेवन कराने से बच्चों की आदतन होने वाली कब्ज से छुटकारा मिल जाता है। खट्टे, मीठे, चटपटे, गरिष्ठ, तीव्र मिर्च-मसाले युक्त पदार्थों के खान-पान से कब्ज के रोगी को दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह सब रोग का कारण होते हैं।

● दालचीनी आधा ग्राम तथा सौंठ और इलायची भी आधा-आधा ग्राम लें। तीनों को पीसकर भोजन से पूर्व लें भूख बढ़ती है कब्ज दूर होती है। इलायची ने फायदे आप हिंदीपथ पर पढ़ ही चुके हैं।

● भोजन से पहले और बाद में तथा प्रातः काल पाखाना के बाद एक नींबू का रस 200 ग्राम पानी में निचोड़कर कुछ दिनों तक लगातार पीने से पुरानी-से-पुरानी कब्ज समूल नष्ट हो जाती है। यह भी कब्ज का परमानेंट इलाज है।

● काले नमक के 50 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम शुद्ध घृत के साथ खरल में डालकर मर्दन कर लें। इसे शीशी में सुरक्षित रख लें। प्रतिदिन रात्रि में सोते समय 10 की मात्रा में लेकर 50 ग्राम गरम जल से सेवन करायें। कब्ज का इलाज हो जाएगा।

● सौंफ की गिरी निकालकर (एक हथेली भर) पानी के साथ लगातार लेने से आमाशय सबल बनता है तथा मस्तिष्क बलवान होता है। कब्ज की शिकायत भी दूर हो जाती है। सौंफ बहुत ही उपयोगी चीज़ है। अतः सौंफ के अन्य फायदे भी जानने योग्य हैं।

यह भी पढ़ें

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!