मंगला गौरी स्तोत्र – Mangla Gauri Stotra
मंगला गौरी स्तोत्र (Mangla Gauri Stotra) का पाठ सौभाग्य देने वाला है। मान्यता है कि जो स्त्री माँ मंगला गौरी स्तोत्र का नियमित पाठ करती है उसका वैवाहिक जीवन सुख से परिपूर्ण हो जाता है। साथ ही उसके घर में धन-संपत्ति की कभी भी कमी नहीं रहती है। विशेषतः श्रावण के महीने में मंगला गौरी व्रत के साथ ही इस स्तोत्र का पाठ अक्षय पुण्य देने वाला व समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है। पढ़ें मंगला गौरी स्तोत्र–
ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।
॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मंगला गौरी स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें मंगला गौरी स्तोत्र रोमन में–
Read Mangla Gauri Stotra
oṃ rakṣa-rakṣa jaganmāte devi maṅgala caṇḍike।
hārike vipadārrāśe harṣamaṃgala kārike॥
harṣamaṃgala dakṣe ca harṣamaṃgala dāyike।
śubhemaṃgala dakṣe ca śubhemaṃgala caṃḍike॥
maṃgale maṃgalārhe ca sarvamaṃgala maṃgale।
satā maṃgala de devi sarveṣāṃ maṃgalālaye॥
pūjye maṃgalavāre ca maṃgalābhiṣṭa devate।
pūjye maṃgala bhūpasya manuvaṃśasya saṃtatam॥
maṃgalā dhisṭhāta devi maṃgalāñca maṃgale।
saṃsāra maṃgalādhāre pāre ca sarvakarmaṇām॥
devyāśca maṃgalaṃstotraṃ yaḥ śrṛṇoti samāhitaḥ।
prati maṃgalavāre ca pūjye maṃgala sukha-prade॥
tanmaṃgalaṃ bhavetasya na bhaventad-maṃgalam।
vardhate putra-pautraśca maṃgalañca dine-dine॥
māmarakṣa rakṣa-rakṣa oṃ maṃgala maṃgale।
॥ iti maṃgalāgaurī stotraṃ sampūrṇaṃ॥
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