स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 8

“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 8” में पढ़ें स्वामी विवेकानंद जी के 34 पत्र हिंदी में। इन पत्रों में स्वामीजी के ओजस्वी विचारों और गहन चिंतन का पता लगता है। उनकी हर चिट्ठी पठनीय है। पढ़ें और मनन करें–

  1. श्रीमती सरला घोषाल को लिखित (16 अप्रैल,1899)
  2. खेतड़ी के महाराज को लिखित (14 जून, 1899)
  3. श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (14 जुलाई, 1899)
  4. कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखित (3 अगस्त, 1899)
  5. स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (10 अगस्त, 1899)
  6. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (4 सितम्बर, 1899)
  7. श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (14 सितम्बर, 1899)
  8. कुमारी मेरी हेल को लिखित (सितम्बर, 1899)
  9. कुमारी मेरी हेल को लिखित (3 अक्टूबर, 1899)
  10. कुमारी मेरी हेल को लिखित (30 अक्टूबर, 1899)
  11. श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित
  12. भगिनी निवेदिता को लिखित (1 नवम्बर, 1899)
  13. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (15 नवम्बर, 1899)
  14. कुमारी मेरी हेल को लिखित (20 नवम्बर, 1899)
  15. स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (21 नवम्बर, 1899)
  16. श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (नवम्बर, 1899)
  17. श्रीमती एफ. एच. लेगेट को लिखित (26 नवम्बर, 1899)
  18. श्रीमती एफ. एच. लेगेट को लिखित (30 नवम्बर, 1899)
  19. भगिनी निवेदिता को लिखित (6 दिसम्बर, 1899)
  20. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (12 दिसम्बर, 1899)
  21. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (22 दिसम्बर, 1899)
  22. भगिनी निवेदिता को लिखित (23 दिसम्बर, 1899)
  23. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (27 दिसम्बर, 1899)
  24. कुमारी मेरी हेल को लिखित (27 दिसम्बर, 1899)
  25. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (17 जनवरी, 1900)
  26. भगिनी निवेदिता को लिखित (24 जनवरी,1900)
  27. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (15 फरवरी, 1900)
  28. भगिनी निवेदिता को लिखित (15 फरवरी, 1900)
  29. कुमारी मेरी हेल को लिखित (20 फरवरी, 1900)
  30. स्वामी अखण्डानन्द को लिखित (21 फरवरी, 1900)
  31. कुमारी मेरी हेल को लिखित (2 मार्च, 1900)
  32. भगिनी निवेदिता को लिखित (4 मार्च, 1900)
  33. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (4 मार्च, 1900)
  34. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (7 मार्च, 1900)

“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 8” में स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित मार्च 1900 तक की चिट्ठियाँ हैं। स्वामी जी का चिंतन और व्यक्तित्व बहुआयामी था। उनकी हर चिट्ठी किसी-न-किसी आयाम की गहराई से पड़ताल कर उसे उजागर करती है।

इससे आगे के पत्र पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 9

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!