धर्म

लक्ष्मी चालीसा – Laxmi Chalisa in Hindi

लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने वाला जीवन में सुख, समृद्धि और संपन्नता प्राप्त करता है। उसपर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। यह लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) जो प्रतिदिन पढ़ता है, उसके पास कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।

उसके परिवार में हमेशा प्रसन्नता का वातावरण बना रहता है। सच्चे दिल से लक्ष्मी चालीसा (Lakshmi Chalisa) का पाठ करने वाले को कभी किसी चीज की कमी नहीं होती। पढ़ें लक्ष्मी चालीसा–

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॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करि,
पुरवहु मेरी आस ॥

॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करूँ।
सबविधि करौ सुवास,
जय जननि जगदंबिका ॥

॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरों तोही,
ज्ञान बुद्धि विद्या दे मोही।

तुम समान न ही कोई उपकारी,
सब विधि पुरवहु आस हमारी।

जय जय जय जननी जगदम्बा,
सबकी तुम ही हो अवलम्बा।

तुम हो सब घट घट के वासी,
विनती यही हमारी खासी।

जग जननी जय सिन्धुकुमारी,
दीनन की तुम हो हितकारी।

बिनवों नित्य तुमहिं महारानी,
कृपा करो जग जननि भवानी।

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी,
सुधि लीजै अपराध बिसारी।

कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी,
जग जननी विनती सुन मोरी।

ज्ञान बुद्धि सब सुख का दाता,
संकट हरो हमारी माता।

क्षीर सिन्धु जब विष्णु मथायो,
चौदह रत्न सिन्धु में पायो।

चौदह रत्न में तुम सुखरासी,
सेवा कियो प्रभु बन दासी।

जो जो जन्म प्रभु जहां लीना,
रूप बदल तहँ सेवा कीन्हा।

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा,
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा।

तब तुम प्रगट जनकपुर माही,
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं।

अपनायो तोहि अन्तर्यामी,
विश्व विदित त्रिभुवन के स्वामी।

तुम सम प्रबल शक्ति नहिं आनि,
कहँ लौं महिमा कहौं बखानी।

मन क्रम वचन करै सेवकाई,
मन इच्छित वांछित फल पाई।

तजि छल कपट और चतुराई,
पूजहिं विविध भाँति मनलाई।

और हाल मैं कहौं बुझाई,
जो यह पाठ करै मन लाई।

ताको कोई कष्ट न होई,
मन इच्छित पावै फल सोई।

त्राहि त्राहि जय दुख निवारिणी,
ताप भव बंधन हारिणी।

जो यह पढ़े और पढ़ावे,
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै।

ताको कोई न रोग सतावे,
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।

पुत्रहीन अरु संपतिहीना,
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना।

विप्र बोलाय के पाठ करावै,
शंका दिल में कभी न लावै।

पाठ करावै दिन चालीसा,
तापर कृपा करें गौरीसा।

सुख सम्पत्ति बहुत सो पावै,
कमी नहीं काहु की आवै।

बारह मास करै सो पूजा,
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा।

प्रतिदिन पाठ करै मनमाहीं,
उन सम कोई जग में कहुँ नाहीं।

बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई,
लेय परीक्षा ध्यान लगाई।

करि विश्वास करै व्रत नेमा,
होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा।

जय जय जय लक्ष्मी भवानी,
सब में व्यापित हो गुणखानी।

तुम्हारो तेज प्रबल जग माहीं,
तुम समकोउ दयालु कहुँ नाहिं।

मोहि अनाथ की सुध अब लीजै,
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै।

भूल चूक करि क्षमा हमारी,
दर्शन दीजै दशा निहारी।

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई,
ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई।

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी,
तुमहि अछत दुख सहते भारी।

नहिं मोहि ज्ञान बुद्धि है मन में,
सब जानत हो अपने मन में।

रूप चतुर्भुज करके धारण,
कष्ट मोर अब करहु निवारण।

॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी,
हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो दुश्मन का नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित,
विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पै,
करहु दया की कोर॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर लक्ष्मी चालीसा (Lakshmi Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें लक्ष्मी चालीसा रोमन में–

Laxmi Chalisa in Hindi

॥ dohā ॥
mātu lakṣmī kari kṛpā,
karo hṛdaya meṃ vāsa।
manokāmanā siddha kari,
puravahu merī āsa ॥

॥ soraṭhā ॥
yahī mora aradāsa,
hātha joḍa़ vinatī karū~।
sabavidhi karau suvāsa,
jaya janani jagadaṃbikā ॥

॥ caupāī ॥
sindhu sutā maiṃ sumiroṃ tohī,
jñāna buddhi vidyā de mohī।

tuma samāna na hī koī upakārī,
saba vidhi puravahu āsa hamārī।

jaya jaya jaya jananī jagadambā,
sabakī tuma hī ho avalambā।

tuma ho saba ghaṭa ghaṭa ke vāsī,
vinatī yahī hamārī khāsī।

jaga jananī jaya sindhukumārī,
dīnana kī tuma ho hitakārī।

binavoṃ nitya tumahiṃ mahārānī,
kṛpā karo jaga janani bhavānī।

kehi vidhi stuti karauṃ tihārī,
sudhi lījai aparādha bisārī।

kṛpā dṛṣṭi citavo mama orī,
jaga jananī vinatī suna morī।

jñāna buddhi saba sukha kā dātā,
saṃkaṭa haro hamārī mātā।

kṣīra sindhu jaba viṣṇu mathāyo,
caudaha ratna sindhu meṃ pāyo।

caudaha ratna meṃ tuma sukharāsī,
sevā kiyo prabhu bana dāsī।

jo jo janma prabhu jahāṃ līnā,
rūpa badala taha~ sevā kīnhā।

svayaṃ viṣṇu jaba nara tanu dhārā,
līnheu avadhapurī avatārā।

taba tuma pragaṭa janakapura māhī,
sevā kiyo hṛdaya pulakāhīṃ।

apanāyo tohi antaryāmī,
viśva vidita tribhuvana ke svāmī।

tuma sama prabala śakti nahiṃ āni,
kaha~ lauṃ mahimā kahauṃ bakhānī।

mana krama vacana karai sevakāī,
mana icchita vāṃchita phala pāī।

taji chala kapaṭa aura caturāī,
pūjahiṃ vividha bhā~ti manalāī।

aura hāla maiṃ kahauṃ bujhāī,
jo yaha pāṭha karai mana lāī।

tāko koī kaṣṭa na hoī,
mana icchita pāvai phala soī।

trāhi trāhi jaya dukha nivāriṇī,
tāpa bhava baṃdhana hāriṇī।

jo yaha paḍha़e aura paḍha़āve,
dhyāna lagākara sunai sunāvai।

tāko koī na roga satāve,
putra ādi dhana sampatti pāvai।

putrahīna aru saṃpatihīnā,
andha badhira koḍha़ī ati dīnā।

vipra bolāya ke pāṭha karāvai,
śaṃkā dila meṃ kabhī na lāvai।

pāṭha karāvai dina cālīsā,
tāpara kṛpā kareṃ gaurīsā।

sukha sampatti bahuta so pāvai,
kamī nahīṃ kāhu kī āvai।

bāraha māsa karai so pūjā,
tehi sama dhanya aura nahiṃ dūjā।

pratidina pāṭha karai manamāhīṃ,
una sama koī jaga meṃ kahu~ nāhīṃ।

bahu vidhi kyā maiṃ karauṃ baḍa़āī,
leya parīkṣā dhyāna lagāī।

kari viśvāsa karai vrata nemā,
hoya siddha upajai ura premā।

jaya jaya jaya lakṣmī bhavānī,
saba meṃ vyāpita ho guṇakhānī।

tumhāro teja prabala jaga māhīṃ,
tuma samakou dayālu kahu~ nāhiṃ।

mohi anātha kī sudha aba lījai,
saṃkaṭa kāṭi bhakti mohi dījai।

bhūla cūka kari kṣamā hamārī,
darśana dījai daśā nihārī।

kehi prakāra maiṃ karauṃ baḍa़āī,
jñāna buddhi mohi nahiṃ adhikāī।

bina darśana vyākula adhikārī,
tumahi achata dukha sahate bhārī।

nahiṃ mohi jñāna buddhi hai mana meṃ,
saba jānata ho apane mana meṃ।
rūpa caturbhuja karake dhāraṇa,
kaṣṭa mora aba karahu nivāraṇa।

॥ dohā ॥
trāhi trāhi dukha hāriṇī,
haro begi saba trāsa।
jayati jayati jaya lakṣmī,
karo duśmana kā nāśa॥

rāmadāsa dhari dhyāna nita,
vinaya karata kara jora।
mātu lakṣmī dāsa pai,
karahu dayā kī kora॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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