धर्म

मुकुंद माधव गोविंद बोल – Mukund Madhav Govind Bol

पढ़ें “मुकुंद माधव गोविंद बोल” लिरिक्स

मुकुन्द माधव गोविन्द बोल ।
केशव माधव हरि हरि बोल

राम राम बोल, राम राम बोल ।
शिव शिव बोल, शिव शिव बोल ॥

यह भी पढ़ें – दामोदर स्तोत्र

नारायण बोल, नारायण बोल ।
केशव माधव हरि हरि बबोल ॥

मुकुन्द माधव गोविन्द बोल ।
केशव माधव हरि हरि बोल ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम मुकुंद माधव गोविंद बोल भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह Mukund Madhav Govind Bol भजन रोमन में–

Read Mukund Madhav Govind Bol Lyrics

mukunda mādhava govinda bola ।
keśava mādhava hari hari bola ॥

rāma rāma bola, rāma rāma bola ।
śiva śiva bola, śiva śiva bola ॥

nārāyaṇa bola, nārāyaṇa bola ।
keśava mādhava hari hari babola ॥

mukunda mādhava govinda bola ।
keśava mādhava hari hari bola ॥

यह भी पढ़ें

कृष्ण अमृतवाणीप्रेम मंदिर, वृंदावनदामोदर अष्टकमबालकृष्ण की आरतीसंतान गोपाल स्तोत्रसंतान गोपाल मंत्रजन्माष्टमी पूजा और विधिलड्डू गोपाल की आरतीगिरिराज की आरतीगोपाल चालीसाकृष्ण चालीसाराधे राधे जपो चले आएंगे बिहारीश्याम तेरी बंसी पुकारे राधा श्यामबजाओ राधा नाम की तालीअरे द्वारपालों कन्हैया से कह दोश्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाएछोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वालगोविंद बोलो हरि गोपाल बोलोमेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा हैमेरे बांके बिहारी लालओ कान्हा अब तो मुरली कीभर दे रे श्याम झोली भरदेमैं हूं शरण में तेरी संसार के रचैयाकन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगेश्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारीमुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदासजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैंलल्ला की सुन के मैं आईनंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल कीमेरे कान्हाराधे किशोरी दया करोकृष्णा मनमोहना मोरे कान्हा मोरे कृष्णामधुराष्टकम्जय जनार्दना कृष्णा राधिकापतेभज मन राधे

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!