धर्म

शिव समा रहे मुझमें – Shiv Sama Rahe Mujhme Lyrics

“शिव समा रहे मुझमें” हंसराज रघुवंशी के प्रसिद्ध गीतों में से एक है जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। भक्तिभाव से पूर्ण है इसका हर शब्द आपको महादेव का सामीप्य अनुभव कराने में सक्षम है। जब अन्तःकरण सांसारिकता से शून्य हो जाता है तभी शिव का अवतरण उसमें होता है। एक बार हृदय में शिव अवतरित हुए तो काम-क्रोधादि सब जलकर भस्म हो जाते हैं और अन्तस् में दमकते चैतन्य की अनुभूति हो जाती है। पढ़ें इस गीत के बोल (Shiv Sama Rahe Mujhme Lyrics)–

ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय,
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शून्य हो रहा हूँ,
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शून्य हो रहा हूँ

क्रोध को, लोभ को
क्रोध को, लोभ को
मैं भस्म कर रहा हूँ

शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय

ब्रह्म मुरारी सुरार्चिता लिंगम्
निर्मल भाषित शोभित लिंगम्
जन्मज दुखः विनाशक लिंगम्
तत् प्रनमामि सदा शिव लिंगम्

ब्रह्म मुरारी सुरार्चिता लिंगम्
निर्मल भाषित शोभित लिंगम्
जन्मज दुखः विनाशक लिंगम्
तत् प्रनमामि सदा शिव लिंगम्

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तेरी बनाई दुनिया में कोई
तुझसा मिला नहीं
मैं तो भटका दर बदर कोई
किनारा मिला नहीं

जितना पास तुझको पाया
उतना खुद से दूर जा रहा हूँ

शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय

मैंने खुद को खुद ही बंधा
अपनी खींची लकीरों में
मैं लिपट चुका था
इच्छा की जंजीरों में

अनंत की गहराइयों में
समय से दूर हो रहा हूँ
शिव प्राणों में उतर रहे
और मैं मुक्त हो रहा हूँ
उठो हंसराज उठो
उठो वत्स उठो
वो सुबह की पहली किरण में
वो कस्तूरी बन के हिरन में
मेघों में गरजे, गूंजे गगन में
रमता जोगी रमता मगन में
वो ही आयु में
वो ही वायु में
वो ही जिस्म में
वो ही रूह में
वो ही छाया में
वो ही धूप में
वो ही हर एक रूप में
ओ भोले
क्रोध को, लोभ को
क्रोध को, लोभ को
मैं भस्म कर रहा हूँ

शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
ॐ नमः शिवाय
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह मधुर गीत को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह गीत रोमन में–

Read Shiv Sama Rahe Mujhme Lyrics

oṃ namaḥ śivāya,
oṃ namaḥ śivāya,
śiva samā rahe mujhameṃ,
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~,
śiva samā rahe mujhameṃ,
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~

krodha ko, lobha ko
krodha ko, lobha ko
maiṃ bhasma kara rahā hū~

śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~
oṃ namaḥ śivāya
śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~
oṃ namaḥ śivāya

brahma murārī surārcitā liṃgam
nirmala bhāṣita śobhita liṃgam
janmaja dukhaḥ vināśaka liṃgam
tat pranamāmi sadā śiva liṃgam

brahma murārī surārcitā liṃgam
nirmala bhāṣita śobhita liṃgam
janmaja dukhaḥ vināśaka liṃgam
tat pranamāmi sadā śiva liṃgam

terī banāī duniyā meṃ koī
tujhasā milā nahīṃ
maiṃ to bhaṭakā dara badara koī
kinārā milā nahīṃ

jitanā pāsa tujhako pāyā
utanā khuda se dūra jā rahā hū~

śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~
oṃ namaḥ śivāya
śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~
oṃ namaḥ śivāya

maiṃne khuda ko khuda hī baṃdhā
apanī khīṃcī lakīroṃ meṃ
maiṃ lipaṭa cukā thā
icchā kī jaṃjīroṃ meṃ

anaṃta kī gaharāiyoṃ meṃ
samaya se dūra ho rahā hū~
śiva prāṇoṃ meṃ utara rahe
aura maiṃ mukta ho rahā hū~
uṭho haṃsarāja uṭho
uṭho vatsa uṭho
vo subaha kī pahalī kiraṇa meṃ
vo kastūrī bana ke hirana meṃ
meghoṃ meṃ garaje, gūṃje gagana meṃ
ramatā jogī ramatā magana meṃ
vo hī āyu meṃ
vo hī vāyu meṃ
vo hī jisma meṃ
vo hī rūha meṃ
vo hī chāyā meṃ
vo hī dhūpa meṃ
vo hī hara eka rūpa meṃ
o bhole
krodha ko, lobha ko
krodha ko, lobha ko
maiṃ bhasma kara rahā hū~

śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~
oṃ namaḥ śivāya
śiva samā rahe mujhameṃ
aura maiṃ śūnya ho rahā hū~

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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