धर्म

कृष्ण भगवान की आरती – Krishna Ji Ki Aarti

कृष्ण भगवान की आरती जो व्यक्ति प्रेमभाव से गाता है, भगवान् उसकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। पढ़ें कृष्ण जी की आरती (Krishna Ji Ki Aarti) और भक्ति से करें इसका गायन–

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन धारी।
वंशीधर बनवारी, बृज जन प्रियकारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

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गणिका गीध अजामिल गजपति भयहारी।
आरत-आरति हारी, जय मंगल कारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

गोपालक गोपेश्वर, द्रौपदी दुखदारी
शबर-सुता सुखकारी, गौतम-तिय तारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

जन प्रहलाद प्रमोद, नरहरि तनु धारी।
जन मन रंजनकारी, दिति-सुत संहारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

टिट्टिभ – सुत संरक्षक, रक्षक मंझारी।
पाण्डु सुवन शुभकरी, कौरव मद हारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

मन्मथ-मन्मथ मोहन, मुरली-रव कारी।
वृन्दाविपिन बिहारी, यमुना तट चारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

अघ-बक-बकी उधारक, तृणावर्त तारी।
बिधि-सुरपति मदहारी, कंस मुक्तिकारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

शेष, महेश, सरस्वती, गुन गावत हारी।
कल कीरति विस्तारी, भक्त भीति हारी
जय श्री कृष्ण हरे…

नारायण” शरणागत, अति अघ अघहारी।
पद-रज पावनकारी, चाहत चितहारी॥
जय श्री कृष्ण हरे…

श्री कृष्ण भक्त-वत्सल हैं। गीता के अनुसार वे स्वयं अपने भक्तों के योग-क्षेम का ध्यान रखते हैं। विधान है कि पूजन के अंत में सदैव कृष्ण भगवान की आरती (Krishna Bhagwan Ki Aarti) गायी जाती है। हाँ, आवश्यक नहीं कि यही आरती गायी जाये। भगवान् श्री घनश्याम कि कोई भी आरती यथा आरती श्री कुंज बिहारी की आदि का गायन किया जा सकता है। ऐसा करने से पूजा-पाठ के दौरान यदि कोई त्रुटि हो गयी हो, तो उसका परिमार्जन हो जाता है।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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