लहसुन खाने के फायदे – Lahsun Khane Ke Fayde
लहसुन खाने के फायदे (Benefits Of Eating Garlic in Hindi) बहुत से हैं क्यूंकि लहसुन एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो अपने स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। लहसुन में कई पोषक तत्व होते हैं, जिनमें विटामिन सी, विटामिन बी6, मैंगनीज, और सेलेनियम शामिल हैं। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार लहसुन शरीर को गर्म रखने वाला कफ, गैस, अपच, बदहज्मी दूर करने वाला, जोड़ों के दर्द और लकवा में लाभ पहुँचाने वाला और हृदय रोगों को रोकने वाला हैलहसुन में एन्टी बैक्टीरियल स्क्रेलिन होता है। जिसके फलस्वरूप लहसुन को रगड़कर घाव पर लगा देने से घाव का विष नष्ट होकर उसके जल्द भरने में मदद मिलती है। दाद, खाज, खुजली में लहसुन या इसके पत्तों को पीसकर लगाना इसी कारण लाभप्रद होता है यदि फोड़ा दुख रहा हो तो लहसुन को पीसकर बाँधने से फोड़ा पककर फूटकर आराम मिल जाता है। आइए, इस लेख में देखते हैं कि लहसुन खाने के फायदे क्या-क्या हैं।
लहसुन के फायदे जानें – Lahsun Ke Fayde
- आयुर्वेद शास्त्रानुसार लहसुन की जड़ में चटपटा, पत्तों में कड़वा, नाल में कसैला, नाल के अगले भाग में नमकीन तथा बीजों में मीठा रस रहता है।
- लहसुन कामशक्तिबर्धक, वीर्यवर्धक, तर-गरम और पाचक कब्ज निवारक, तेज और मीठा हैटूटी हड्डियों को जोड़ने वाला, गले को लाभप्रद, रक्तबर्धक, शरीर की रंगत को चमकाने वाला, बुद्धिबर्धक, बुढ़ापानाशक, बलगमी और रियाही रोगों को जड़-मूल से नष्ट करने वाला, दिल को ताकत देने वाला, बदहज्मी, बुखार और पसलियों के दर्द को दूर करने वाला, स्थायी कब्ज को नष्ट करने वाला, वायुगोला नाशक, क्षुधाबर्धक, खाँसी, सूजन, बबासीर और कोढ़ नाशक, उदर कृमि नाशक, उदर गैस नाशक, बलगम को शरीर से निष्कासित करने वाला है। लहसुन के अन्दर न्यूमोनिया तो क्या, तपेदिक तक को नष्ट करने की शक्ति विद्यमान है।
- दाढ़, दाँत दर्द में लहसुन रस को गरम करके इसका फाहा लगाने से तुरन्त आराम होता है।
- कान और नाक के दर्द में लहसुन रस को सरसों के तैल में मिलाकर गुनगुना करके डालना अत्यधिक लाभप्रद है। हैं न लहसुन खाने के फायदे अनेक?
- लहसुन का रस भैंस के दूध के साथ सेवन करने से भूख बढ़ जाती है तथा गठिया और टी. बी. के रोगी के लिए तो अत्यन्त लाभप्रद और शक्तिबर्धक है।
- कीड़ों मकोड़ों के काटने या डंक मारने पर लहसुन का रस लगाने से जलन नष्ट हो जाती है।
- गरीबों के लिए सबसे अधिक सस्ता एन्टीबायोटिक और हानि रहित औषध मात्र लहसुन है। यह पैर के अँगूठे से सिर के बाल तक शरीर के प्रत्येक भाग व अवयवों पर अपना रोगनाशक व स्वास्थ्य रक्षक प्रभाव डालता है। जिन लोगों को दिल का एकाध दौरा पड़ चुका हो, वे यदि लहसुन इस्तेमाल न करते हों तो तुरन्त ही लहसुन का इस्तेमाल प्रारम्भ कर निश्चिन्त हो जायें।
नोट—आमतौर पर लोग नासमझी में लहसुन को गर्म प्रकृति होने के कारण गर्मी की ऋतु में इस्तेमाल बन्द अथवा कम कर देते हैं, जबकि गेहूँ एवं दालें भी तो गरम प्रकृति की हैं इनका सेवन क्यों करते हैं ? जबकि सत्यता यह है कि जीवन को सुरक्षित रखने हेतु एक विशेष श्रेणी तक गर्मी पाना अति आवश्यक है। गेहूं या दालों की भांति लहसुन की गर्मी भी कोई हानि नहीं पहुँचाती है। लहसुन का सही और पूर्णरूपेण लाभ इसे कच्चा खाकर ही उठाया जा सकता है। प्रातःकाल निहार मुँह लहसुन की 1 कली (जवा) चबाकर पानी के साथ खायें धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाते जायें बच्चों को भी इसका रस दिया जा सकता है। चाहें तो इसमें शहद मिलालें। बच्चों के लिए खाँसी विशेष रूप से काली खाँसी में लहसुन का अर्क और शहद एक अति उत्तम योग है। रक्त की कमी हेतु तो यह सभी टानिकों का बाप है। लहसुन शरीर के कोले स्टेरोल स्तर को कम करती है मेनिजाईटिस (मस्तिष्कावरण शोथ) में दिल की बीमारी में वृद्धावस्था के रोगों में स्त्रियों के मासिक धर्म सम्बन्धी विकारों में तथा मधुमेह में लाभप्रद है। यह उच्च रक्तचाप घटाकर रखत में बढ़ी हुई शर्करा को कम करता है तथा हृदय की कोशिकाओं को नरम (मुलायम) बनाये रखता है। लहसुन एक्टीबायोटिक गुणों के अतिरिक्त आँतों के लिए एन्टीसैप्टिक भी है। लहसुन कई प्रकार की कैन्सर की रसूलियों को ठीक करने की क्षमता रखता है।
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- लहसुन के अन्दर रोम-छिद्रों के द्वारा शरीर में शोषित होने का गुण विद्यमान है। अत: न्यूमोनिया में इसका प्रयोग छाती पर बतौर पुल्टिस के करने से लाभ होता है न्यूमोनिया में बच्चों को लहसुन की चन्द कलियाँ छीलकर धागे में पिरोकर हार की भाँति गले में पहनाना लाभप्रद है।
- गाय के 100 ग्राम घी में लहसुन की तीन कलियाँ जलाऐं, जब खूब जल जाऐं तो लहसुन को निकालकर फेंक दें तथा घी को शीशी में सुरक्षित रखलें। आवश्यकता के समय कानों में 2-3 बूंदें डालें। इस योग से कान का दर्द तुरन्त मिट जाता है, कान से पीप बहना भी रुक जाता है। परीक्षित योग है।
- पेट के कीड़ों को मारने हेतु लहसुन रामबाण का कार्य करता है। लहसुन को मुनक्का या शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें। (लहसुन की 5 कलियां (जवा) छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर 15-20 मुनक्का के दानों अथवा शहद के साथ खायें।
नोट – इसी योग को यदि बिना नागा 2-3 मास सेवन कर लिया जाए तो सेवनकर्ता अपने सुधरे हुए स्वास्थ्य को देखकर दंग रह जाएगा।
- लहसुन रस की 20-25 बंदें बाल्टी भर पानी में डालकर स्नान करने से बुढ़ापा आने पर शरीर के अन्दर की मृत कोशिकाओं की दुर्गन्ध दबकर रोग पास नहीं आते हैं तथा आहार में लहसुन की चटनी के प्रयोग से रक्त संचार में तीव्रता आकर नवीन कोशिकाओं का निर्माण हो जाता है रात्रि में 250 ग्राम में लहसुन की 5 कलियाँ छोटी-छोटी काटकर, धीमी-धीमी आग पर उबालकर इसमें मिश्री मिलाकर पीने से दुर्बलता, गठिया, जोड़ों के दर्द एवं कम्पन जैसे वृद्धावस्था के रोग नष्ट होकर शरीर में पुनः नये सिरे से बल का विकास होने लग जाता है।
- शरीर सूखा-सूखा सा हो जाए तो लहसुन का मुरब्बा सेवन करें 1 किलोग्राम की मात्रा में 1 पोथिया लहसुन छीलकर धूप में सुखा लें पानी नहीं रहे, अन्यथा मुरब्बा खराब हो जाएगा। तदुपरान्त कांच के मर्तवान में डालकर ऊपर से इतना शहद डालें कि समस्त कलियाँ डूब जायें फिर 10-12 दिनों तक इसे धूप में रखेंयही लहसुन का मुरब्बा है। नित्य प्रति 1 कली को दुग्ध के साथ चबायें सूखे शरीर पर यौवन रूपी पुनः बहार आ जाएगी।
- लहसुन की 5 कलियाँ (जवा) छीलकर 50 मि.ग्रा. जल में पीसलें इसके बाद इसे छानकर 10 ग्राम शहद घोलकर पीने से पूलित रोग (सिर के बालों का पकना) नष्ट हो जाता है। यह योग बालों को काला रखता है तथा अत्यन्त शक्तिवर्धक पौष्टिक रसायन है।
- लहसुन के 5 जवे छीलकर नित्य प्रति (जाड़ों में) चबाने से तथा साथ में घी, मक्खन, दही, दूध पीने से ढाई, 3 महीनों में ही खून की कमी नष्ट होकर शरीर की रंगत काबुली पठान की तरह लाल सुर्ख हो जाएगीदूध में लहसुन को खीर की भाँति पकाकर खायें तथा घी, दही, मक्खन में लहसुन का रस मिलाकर चाटें।
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नोट- लहसुन के साथ दूसरे पदार्थ चौगुनी मात्रा में सेवन करें।
लहसुन की खीर- लहसुन की छिली और सूखी गिरियों का चूर्ण 160 ग्राम, गाय का दूध 850 ग्राम और पानी 800 ग्राम मिलाकर पकालें। जब पानी बार में इस खीर को खाने से गुल्म रोग ठीक हो जाता है। गुल्म के साथ-साथ सूख जाए और मात्र दूध शेष रहे तब ठण्डा कर लें। सुबह से रात तक 5-6 उदावर्त नामक रोग, गृधसी, वायु, विषम ज्वर, जिगर के रोग विद्रधि और सूजन इत्यादि में भी यह खीर अत्यधिक लाभप्रद है।
दन्त रोग मसूढ़ों में सूजन, दर्द, दुर्गन्ध और रक्तस्राव में— सुबह-शाम 1 तोला शहद में 15-20 बूँदें लहसुन का रस भली प्रकार मिलाकर चाटें तथा साथ ही 60 ग्राम सरसों के तैल में छिली हुई लहसुन की गिरियों की पीठी डालकर पकायें। जब लहसुन जल जाए तो तेल को कपड़े से छानकर इसमें 20 ग्राम अजवायन को जलाकर तैयार की हुई भस्म और 10 ग्राम बारीक पिसा हुआ सैंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम दाँतों पर मंजन की भांति मलने से पायोरिया के कीड़े, सूजन, दुर्गन्ध, दर्द, खून व पीप गिरना बन्द हो जाता है। लगातार दो मास तक उपरोक्त दोनो प्रयोगों के करने से उक्त रोग जड़ से नष्ट हो जाते हैं।
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रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) की बीमारी में छिली हुई लहसुन की गिरी की पीठी 10 ग्राम, 250 ग्राम बकरी के दूध में मिलाकर तथा 10 ग्राम शहद से मीठा करके पीना लाभप्रद है दौरा खत्म होने पर लहसुन की पीठी को (आठ आने भर की खुराक में) लेकर इतने ही दूध और शहद के साथ जलपान के रूप में सेवन करते रहना चाहिए।
- यदि जीभ का रसज्ञान लुप्त हो जाए अर्थात् स्वाद मर जाए तो लहसुन की छिली कली मुख में रखकर खूब चबाऐं और जब लुगदी सी बन जाए तो जीभ पर रखकर मुख में खूब घुमायें तत्पश्चात् निगल जायें (इसी प्रकार तीन कलियाँ चबाकर निगलें) तदुपरान्त अपनी इच्छानुसार थोड़ा-बहुत पानी पी लें।
- अत्यधिक धूम्रपान करने से अथवा भांग आदि का नशा करने वाले (नशेड़ियों) में घ्राणशक्ति का हास हो जाता है अर्थात् उनके सूंघने की शक्ति कम हो जाती है उन्हें अच्छी बुरी गन्ध नहीं आती है। ऐसी स्थिति में लहसुन का रस सूँघना लाभप्रद है एक बूंद लहसुन रस में दो बूंद पानी मिलाकर नथुनों में टपकाने से तुरन्त लाभ होता है। इस प्रयोग से सिरदर्द भी नष्ट हो जाता है और गन्धग्राही स्नायु चैतन्य हो जाते हैं।
डिप्थीरिया (यह रोग बच्चों को होता है इस रोग में कण्ठ में एक झिल्ली सी पैदा हो जाती है। रोगी की बहुत जल्दी मृत्यु हो जाती है। लहसुन की एक कली मुख में रखवाकर चुसवाना लाभप्रद है। जब तक बच्चा चिकित्सक अथवा राजकीय अस्पताल न पहुँच जाए तब तक यह उपचार अवश्य करें। लाभप्रद है।
प्लूरिसी फेफड़े के आवरण में पानी पड़ जाना तथा इसके कारण सीने में दर्द और ज्वर होना प्लुरिसी कहा जाता है। इस रोग में (फेफड़ों में रुकावट उत्पन्न होती है तथा साँस रुक-रुककर आता है। लहसुन को छीलकर सिल पर पीसकर इसकी गरम-गरम पुल्टिस छाती पर बांधना लाभकारी है।
- लहसुन को कूटकर कपड़े से रस छानकर दमा के रोगी को प्रत्येक 3- 3 घंटे पर (आवश्यकतानुसार अधिक मात्रा में भी दिया जा सकता है) देना लाभप्रद हैइसके सेवन से खून, बलगम खारिज होकर तथा रक्तचाप सामान्य होकर दमा के रोगी को आराम आ जाता है। यह उच्च कोटि की एन्टीसेप्टिक दवा है। पेटदर्द, पाचन विकार में भी उपयोगी है।
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नोट- कब्ज होते ही दमे का दौरा जागता है अत: कब्ज हरगिज न रहने दें दमा के रोगियों को सुरापान अत्यन्त हानिकारक है, अतः इसका सेवन न करें।
- मिट्टी की एक ढक्कनदार हांड़ी में एकपुतिया लहसुन की छिली हुई कलियाँ डालकर व शहद में डुबोदें। फिर ढक्कन लगाकर ऊपर से कपड़ा बाँध दें। गीली मिट्टी चढ़ाकर, जमीन में गाढ़कर उसी स्थल पर चूल्हा बनाकर 40 दिनों तक सुबह-शाम खाना बनायें तदुपरान्त हाँड़ी को निकाल लें। सन्तान की चाहत रखने वाले पति-पत्नी दोनों नित्य प्रति चबाकर ऊपर से दूध पियें। नियमपूर्वक पूर्णरूपेण ब्रह्मचर्य के साथ 40 दिन तक इस योग का सेवन कर लेने से उनके प्रजनन अंगों में इतनी अधिक शक्ति भर जाती है कि मात्र 1-2 बार के सहवास (संभोग क्रिया) से ही गर्भाधान हो जाता है। इस योग के सेवन के फलस्वरूप शत-प्रतिशत पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है तथा यह योग स्त्री के गर्भाशय की शुद्धि और गर्भ स्थापन में सहायक है।
- गंजे लोग प्रतिदिन लगातार कुछ सप्ताह तक दिन में तीन बार लहसुन का रस लगाकर सूखने दिया करें अतिशय लाभकारी योग है।
- घाव में कीड़े पड़ जाने पर लहसुन की 10 कली, चौथाई चम्मच नमक दोनों को पीसकर देशी घी में सेंककर घाव पर बांधते ही कीड़े मर जाते हैं तथा घाव भी शीघ्र भर जाता है।
- लहसुन की छिली हुई 1 से 2 तोला तक कलियाँ गोघृत में थोड़ा पकाकर धारोष्ण गोदुग्ध के साथ नित्य सुबह-शाम सेवन करने से निःसन्देह ही नपुंसकता दूर होकर पुंसत्वशक्ति बढ़ जाती है।
- लहसुन का रस तथा सरसों का तैल 20-20 तोला को किसी 1 पात्र में डालकर इतना पकायें कि तेल मात्र शेष रह जाए। इस तैल को वात पीड़ित तथा पोलियो पीड़ित अंग में नित्य मालिश करने से धीरे-धीरे वातपीड़ा और अंग शिथिलता मिट जाती है
- जिधर आधाशीशी का दर्द होता हो, उधर की कनपटी में लहसुन को पीसकर बाँधने से आधाशीशी का दर्द मिट जाता है।
- अन्तर्जिह्वा निकाला हुआ लहसुन 1 तोला, जीरा 1 माशा, अदरक 1 माशा, काली मिर्च 1 माशा की चटनी बनाकर नित्य प्रति भोजन के साथ सेवन करने से मन्दाग्नि; अम्लपित्त, आध्मान, कृमि, यकृत विकार नष्ट हो जाते हैं।
- लहसुन की गाँठ की लम्बी नाल को जलाकर उसकी राख को ताजे मट्ठे से नित्य सेवन करने से खूनी और बादी बबासीर के कष्ट शान्त हो जाते हैं। नोट-लाल व हरी मिर्च का सेवन न करें।
- लहसुन की गाँठ की नाल की भस्म 1 माशा की मात्रा में नित्य प्रात: सायं शहद के साथ चाटने से खाँसी नष्ट हो जाती है, उदर कृमि भी नष्ट हो जाते हैं।
- एक गाँठ लहसुन की छीलकर बारीक पीसकर तथा 10 तोला पानी में घोलकर मधु के साथ बार-बार पिलाने से हैजा के रोगी को पेशाब होता है और रोगी मरते-मरते बच जाता है।
- छिलका रहित लहसुन 250 ग्राम, बकरी का दूध 1 किलो, गाय का घी ढाई किलो, जल 10 किलो लें। लहसुन को यवकुट कर जल में चतुर्थांश शेष रहने तक पकाकर उसमें घृत तथा दूध डालकर घृत सिद्ध होने तक पकायें। इस घृत के पात्र को धान्य राशि में 1 माह तक रखने के पश्चात् 5 से 10 ग्राम की मात्रा में नित्य सुबह-शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा (टी.बी.) निश्चय ही नष्ट हो जाती है तथा इस योग से (घृत) के प्रभाव से बन्ध्या स्त्री, नपुंसक और वृद्ध पुरुषों में भी अपार शक्ति का संचार होकर कामशक्ति बढ़ जाती है।
- लहसुन और मधु 5-5 ग्राम तथा घृत 10 ग्राम को खूब आपस में मिलाकर (अवलेह जैसा बनाकर) (नोट-यह एक मात्रा है) ऐसी 1-1 खुराक नित्य सुबह- शाम सेवन करते रहने से तथा भोजन में दूध और चावल का प्रयोग करते रहने से क्षय रोग नष्ट होकर रोगी दीर्घायु हो जाता है।
- लहसुन का 20 से 30 बूंद तक ताजा रस शहद या शर्बत के साथ प्रत्येक 4-4 घंटे पर देते रहने से नन्हें शिशुओं और छोटे बच्चों की काली खांसी (हूपिंग कफ) नि:सन्देह ठीक हो जाती है। जो बच्चे इस योग का सेवन न कर सकें उन्हें लहसुन की कलियों को छीलकर तथा धागे में पिरोकर हार की भांति गले में माला पहना देना लाभप्रद है।
- लहसुन का रस गुनगुना करके 2-3 बूँद’कानों में डालने से सर्दी के कारण होने वाला कर्णशूल (Otalgia) तुरन्त ही बन्द हो जाती है यदि कान में फुन्सी इत्यादि हो तो वह भी नष्ट हो जाती है।
- लहसुन की 10 ग्राम कलियों को 30 ग्राम सरसों के तैल में (इसमें यदि 1 ग्राम अफीम मिलालें तो और भी अधिक उत्तम है) पकाकर शीशी में भरकर सुरक्षित रखलें इस तैल की 2-3 बूंदें कान में डालने से भी तुरन्त कर्णशूल बन्द हो जाता है तथा ऊपर वाले योग से भी अधिक प्रभावकारी है।
- लहसुन, आँवला, हरताल प्रत्येक 10-10 ग्राम लेकर कल्क बनाकर 250 ग्राम तिल का तैल और 1 कि.ग्रा. गाय का दूध में मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब दूध जल जाए तब उतार छानकर तैल को सुरक्षित रखलें। इस तैल को नियमित रूप से कान में डालने से कर्णपाक कर्णस्राव और बधिरता मिटती है।.
- 20 ग्राम घी में लहसुन के छिले हुए 5 जवे पीसकर भूनलें तथा इसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर कफजनित श्वास रोगी को चटायें। अत्यन्त लाभप्रद योग है इसके सेवन से श्वासकास नष्ट हो जाता है। लहसुन खाने के फायदे तो बहुत-से हैं, लेकिन श्वास रोग में इसका उपयोग रामबाण की तरह है।
- लहसुन का स्वरस 20 से 30 बूँद तक शहद के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से फुफ्फुस के विभिन्न रोग जैसे—श्वास कास श्वासनिका विस्तीर्णता, श्वासनिका प्रदाह, श्वास कृच्छता, फुफ्फुस शोथ, वात श्लेष्मिक ज्वर, फुफ्फुसपाक आदि नष्ट हो जाते हैं।
- लहसुन स्वरस 10 ग्राम को सरसों का तैल 250 ग्राम में मिलाकर रखलें। इस तैल की प्रतिदिन मालिश करके एक घंटा धूप में बैठने के बाद उष्ण जल से स्नान करने से खाज खुजली नष्ट हो जाती है।
- लहसुन को शहद के साथ पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम लेप लगाने से चम्बल (सोरायसिस) और दाद (रिंगवार्म) शर्तिया दूर हो जाता है।
- लहसुन को बारीक पीसकर व्रण पर लगाने से घाव (Wound) भर जाता है तथा पका हुआ व्रण चाहें वह कृमियुक्त ही क्यों न हो, इस लेप (योग से अवश्य ठीक हो जाता है।
- लहसुन, राल और हींग का धुंआ (धूनी) देने से शीतला जन्य व्रण भर जाते हैं और उनमें खुजली नहीं पड़ती है।
- लहसुन, राई, चित्रकमूल को पीसकर उसकी पुल्टिस नारू (Guine warm) के स्थान पर लगाने से वह जल्द ही बाहर आ जाता है। नोट- पुल्टिस 1 घंटे से अधिक देर तक कदापि न लगावें। जब नारू बाहर आ जाए तब उस स्थान पर घी लगा देने से व्रण व वेदना नष्ट हो जाती है।
- लहसुन स्वरस 10 ग्राम, हींग 1 ग्राम को खरल में घोटकर शीशी में सुरक्षित रखलें। यह कफजन्य आधा शीशी (Migrane) म अत्यन्त ही लाभप्रद है। जिस ओर सिर में दर्द हो उस ओर के नथुने में 2-3 बूंदें डाल। तुरन्त लाभ होगा।
- लहसुन को शहद के साथ घोटकर लेप बनाकर जिस ओर सिर में शीशी का दर्द हो उस ओर के भाग में लगाना अत्यन्त लाभकारी है लहसुन का रस और शुद्ध मधु 30-30 ग्राम मिलाकर एक ही मात्रा में चाटने से बिच्छू का विष उतर जाता है। इस योग का पुनः एक घंटे बाद प्रयोग आधा किया जा सकता है।
- नमक और लहसुन को पीसकर वृश्चिक दंश के स्थान पर लेप करने से बिच्छू का विष नष्ट हो जाता है।
- लहसुन व थोड़ी सी हींग दोनों का लेप बिच्छू दंश के स्थान पर लगाने से तथा उस पर कन्डे (उपले) की आग से सेंक करने पर लेप के शुष्क होते-होते ही बिच्छू का विष उतर जाता है।
- हड्डी पर चोट लगने से दर्द होता हो अथवा अस्थि भंग (Fracture) हो गया हो तो—लहसुन 5 ग्राम, शुद्ध लाख 2 ग्राम और शहद 10 ग्राम की एक मात्रा बनाकर सुबह-शाम चाटने से तथा हड्डी पर लहसुन, हल्दी व घी का मिश्रण बनाकर लेप करने से दर्द दूर होकर हड्डी पुन: जुड़ जाती है।
- लहसुन और दूध क्रमश: 250 और 500 ग्राम को लेकर मन्द अग्नि पर पाक करें। जब लहसुन और दूध मिलकर एकजान हो जाऐं तो खूब भली प्रकार’ मलकर छानकर पुनः छने हुए दूध को आग पर पकाकर खोवा बनालें। तदुपरान्त इस खोआ में 500 ग्राम खान्ड मिलाकर 10-10 ग्राम के पेड़े बनाकर रखलें इनमें से सुबह-शाम 1 से 2 पेड़े तक खिलाने से अर्धांग, वातरोग एवं अर्दित (Facial Paralysis) इत्यादि रोग नष्ट हो जाते हैं।
- लहसुन, पोदीना, धनिया, जीरा, काली मिर्च, सैंधानमक को मिलाकर चटनी बनाकर सेवन करने से रक्तदाब वृद्धि (Hypertension) रोग नष्ट जाता है • लहसुन और प्याज का रस समभाग मिलाकर सुंघाने से अथवा नाक में 2-3 बूँद टपकाने से अपस्मार और अपन्त्रक की बेहोशी तुरन्त ही दूर हो जाती है।
- लहसुन, जीरा, सैंधानमक, काला नमक, सौंठ, मिर्च, पीपल और हींग समस्त सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर नीबू के रस के साथ सेवन करने से हैजा का रोगी तुरन्त अच्छा हो जाता है
नोट – लहसुन की मात्रा 3 ग्राम अर्थात् 7-8 जवे या कलियां हैं। गर्म प्रकृति वालों को यह हानिकारक है। सिरदर्द पैदा करता है, खून जलाता है, फेफड़ों तथा गर्भवती स्त्रियों को हानिकारक है। गर्म प्रकृति के लोगों को आवश्यकता पड़ने पर अल्प मात्रा में सेवन करें। स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ते देखकर तुरन्त इसका सेवन बन्द कर दें। गरम वस्तु खाने से जिनका पित्त बढ़ जाता हो, उन्हें भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन को कच्चा तथा चबाकर खायें। बाह्रा प्रयोग करते समय कृपया ध्यान रखें कि यह एक तीव्र जलन करने वाली चर्मदाहक वस्तु है अत: लेप को अधिक समय तक शरीर पर रखने से छाला उठ सकता है जिसमें काफी वेदना होती है, इसलिए कोमल प्रकृति के लोगों पर इसका लेप पूर्णत: सावधानीपूर्वक करें। इसका बदल जंगली लहसुन और प्याज है। इसके दर्पनाशक कतीरा, धनिया, रोगन बादाम, सिकन्जबीन, खट्टे मीठे अनार का रस और नमक पानी में पका लेना है।
हमें उम्मीद है कि लहसुन खाने के फायदे जानकर आप इसका उपयोग अवश्य करेंगे और इससे बहुत-से लाभ उठाएंगे। यदि इनके अतिरिक्त लहसुन खाने के फायदे आपको पता हैं, तो टिप्पणी करके हमें अवश्य बताएँ।
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